एक पुरुष आईपीएस अधिकारी एक दिन सोलह शृंगार करके आईजी के दफ्तर में पहुंच जाता है। पुलिस विभाग की खूब किरकिरी होती है तो वह शख्स नौकरी छोड़ देता है। इस घटना को लगभग दो दशक बीत चुके हैं। वही पूर्व आईपीएस अधिकारी इस बार ठगी की शिकायत करने की वजह से चर्चा में आया है। पूर्व आईपीएस अधिकारी डी के पांडा ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनसे 381 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी की गई है। उनका कहना है कि पैसे मांगने वालों ने उन्हें धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए तो टेरर फंडिंग केस में फंसा दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रहने वाले डी के पांडा ने पुलिस के पास जाकर इसकी शिकायत दर्ज करवाई है। उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच भी शुरू कर दी है।
आईजी के पद पर रह चुके डी के पांडा ने अज्ञात लोगों के खिलाफ 381 करोड़ रुपये की ठगी के आरोप लगाते हुए प्रयागराज के धूमनगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच CBI या NIA से करवाई जानी चाहिए। उनकी शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 351 (4) और धारा 318 (4) के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
क्या है डी के पांडा की शिकायत?
अपनी शिकायत में डीके पांडा ने कहा है, 'मुझे एक शख्स ने वॉट्सऐप पर फोन किया। इस शख्स ने साइप्रस के निकोसिया से फोन किया था। उसने मुझे गाली दी और कहा कि वह राजस्थान का रहने वाला है। मैं ऑनलाइन ट्रेडिंग कर रहा था और वहां विनीत गोयल नाम का शख्स मेरी मदद कर रहा था। मैंने एक वेबसाइट के जरिए अच्छा मुनाफा कमाया था। इन पैसों को मैंने अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करने की कोशिश की लेकिन वह ट्रांसफर नहीं हुआ। फिर अचानक आरव शर्मा नाम का यह शख्स सामने आया और उसने मेरे पूरे 381 करोड़ रुपये रिकवर कर लिए।'
उन्होंने बताया है कि आरव शर्मा ने उनसे 8 लाख रुपये मांगे लेकिन उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिए। इस पर आरव ने उन्हें गालियां दी और कहा कि वह उनके पासपोर्ट और अन्य डॉक्युमेंट्स का इस्तेमाल करके टेरर फंडिंग में फंसा देगा। डी के पांडा का कहना है कि जिस तरह से बातचीत की गई उससे लगता है कि ये लोग टेरर ग्रुप से जुड़े हुए हैं इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई या एनआईए से कराई जानी चाहिए।
कौन हैं डी के पांडा?
मूल रूप से ओडिशा के निवासी डीके पांडा 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी हुआ करते थे। उनका पूरा नाम देबेंद्र किशोर पांडा है। साल 2005 में वह उस वक्त चर्चा और विवादों में आ गए थे जब साड़ी पहनकर और मांग में सिंदूर लगाकर वह दफ्तर आने लगे थे। इसके बारे में उनका कहना था कि उनके सपने में भगवान कृष्ण आए थे। वह खुद को 'दूसरी राधा' कहते थे। उस वक्त डी के पांडा का कहना था कि वह 1991 में ही राधा बन गए थे और वह एक महिला हैं। इस तरह की हरकत को लेकर उनकी और पुलिस की किरकिरी हुए तो नवंबर 2005 में उन्होंने IPS से वीआरएस ले लिया।
समय के साथ उनका यह रूप सामने आने लगा था। वह 16 शृंगार करने लगे थे। हाथ में चूड़ी पहनते, माथे पर बिंदी लगाते, मांग में सिंदूर लगाते और सलवार-कुर्ता पहनकर निल जाते। लंबे समय तक खुद को दूसरी राधा बताने वाले डी के पांडा को साल 2015 में कथित तौर पर एक और सपना आया। इस सपने के मुताबिक, उन्होंने राधा का रूप छोड़ दिया और बाबा कृष्णानंद बन गए।