दर्द निवारक यानी पेन किलर के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा निमेसुलाइड (Nimesulide) पर भारत सरकार ने बैन लगा दिया है। इस दवा को बनाने, बेचने और मरीजों को देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। साथ ही, इस दवा के 100mg से ज्यादा वाले सभी ओरल फॉर्मुलेशन पर भी बैन लगा दिया गया है। ड्रग्स टेक्निकल अडवाइजरी बोर्ड की सलाह के बाद इस पर बैन लगाते हुए सरकार ने कहा है कि यह दवा इंसानों की सेहत के लिए खतरा है। सरकार ने यह भी कहा है कि इस दवा के दूसरे विकल्प मौजूद हैं जो इसकी तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं।
इस दवा पर बैन लगाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसे फॉर्मुलेशन जिनमें निमेसुलाइड की मात्रा 100 mg से ज्यादा है, वे इंसानों की सेहत के लिए खतरा हैं। ड्रग्स टेक्निकल अडवाइजरी बोर्ड से सलाह के बाद ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट 1940 की धारा 26A के तहत इस दवा को तत्काल प्रभाव से बैन किया गया है।
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नियमों में बदलाव की तैयारी?
इस दवा पर बैन लगाने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रस्ताव दिया है कि ड्रग्स रूल्स 1945 में कुछ संशोधन किए जाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि शेड्यूल K की एक खास एंट्री से 'सिरप' शब्द को हटाया जाए क्योंकि इससे कुछ दवाओं को नियमों से छूट मिल जाता है। सरकार ने कहा है कि इन संशोधनों का ड्राफ्ट पब्लिश किया जा रहा है ताकि इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों तक इसकी सूचना पहुंच जाए। अगर इस पर किसी कोई आपत्ति है या किसी का कोई सुझाव है तो अगले 30 दिन में दर्ज कराए, सरकार उस पर विचार करेगी।
बता दें कि जनवरी 2025 में सरकार ने निमेसुलाइड के उन सभी फॉर्मुलेशन पर बैन लगा दिया था जिनका इस्तेमाल जानवरों के पेनकिलर के तौर पर किया जाता था। इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट (IVRI) बरेली ने अपनी जांच में पाया था यह दवा गिद्धों के लिए जहरीली है।
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कहां होता है इस दवा का इस्तेमाल?
यह एक तरह की नॉन-स्टेरोइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी दवा है। आमतौर पर शरीर में हो रहे दर्द को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। पीरियड्स के समय लड़कियां और महिलाएं मेंस्टुअल क्रैंप्स के दर्द से बचने के लिए भी यह दवा लेती हैं। अन्य लोग हड्डियों के दर्द और सर्जरी के बाद होने वाले दर्द से बचने के लिए भी यह दलवा लेते हैं। तेज दर्द की स्थिति में भी डॉक्टर यह दवा लेने की सलाह देते हैं। हालांकि, 12 साल से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पहले से ही नहीं दी जाती थी।
