केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दोषी नेताओं (विधायकों-सांसदों) पर चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कहा कि दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का फैसला सिर्फ संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। 

 

यह मामला सीनियर वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका से जुड़ा है, उन्होंने ही यह याचिका दायर की थी। इस याचिका में जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 और 9 को चुनौती दी गई है। सरकार ने कहा कि संसद को सजा की अवधि तय करने का अधिकार है। अब शीर्ष कोर्ट इस मामले में 4 मार्च को सुनवाई करेगा।

 

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मामलों का निपटारा जल्द किया जा

 

अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सांसदों और विधायकों पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मामलों का निपटारा जल्द किया जाए। इसके जवाब में केंद्र ने कोर्ट में कहा, 'न्यायिक समीक्षा' की सीमाएं होती हैं और कोर्ट कानून की प्रभावशीलता के आधार पर संसद के फैसले को चुनौती नहीं दे सकती। 

 

केंद्र के हलफनामे में कहा गया, 'अपराधों पर प्रतिबंध की अवधि संसद की नीति का हिस्सा है। इसे चुनौती देकर आजीवन प्रतिबंध थोपना सही नहीं होगा।'