कनिष्क विमान बम धमाके को आज 40 साल पूरे हो चुके हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हमले में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने इस हमले को सबसे जघन्य आतंकी हमलों में से एक बताया। इस बीच केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ आठ सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल आयरलैंड पहुंचा है। यहां के कॉर्क स्थित 'अहाकिस्ता स्मारक' पर सभी ने कनिष्क बम धमाके के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की। आयरलैंड के पीएम माइकल मार्टिन और कनाडा के मंत्री गैरी आनंदसांगरी ने भी पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। 2023 में एंगस रीड इंस्टीट्यूट ने एक स्टडी की। इसके मुताबिक 10 में से 9 कनाडाई नागरिकों को कनिष्क विमान धमाके के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है।
कनिष्क बम धमाके की 40वीं बरसी पर मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, 'भारत की तरफ से मैं विश्व समुदाय से हमारी साझा जिम्मेदारी को याद रखने की अपील करता हूं। मैं कनाडा से इस समस्या का मुकाबला करने में हमारे द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने का आह्वान करता हूं। कनाडा भारत का मित्र और एक मूल्यवान साझेदार है। दोनों देश जीवंत सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को साझा करते हैं। लोकतांत्रिक परंपराओं से भी बंधे हैं। इन आदर्शों के लिए हमें सभी प्रकार के उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करना होगा।'
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प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन?
- भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ
- यूपी के राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख
- विधायक अरविंदर सिंह लवली
- गुरवीर सिंह बराड़
- नरिंदर सिंह रैना
- त्रिलोक सिंह चीमा
- आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा
कहां विमान में हुआ था धमाका?
आज ही के दिन 23 जून 1985 को एयर इंडिया के कनिष्क विमान में बम धमाका हुआ था। इस विमान ने कनाडा के मॉन्ट्रियल से उड़ान भरी थी। लंदन के रास्ते नई दिल्ली जाना था। मगर उससे पहले ही आयरलैंड के तट करीब अटलांटिक महासागर के ऊपर विमान में भीषण धमाका हुआ और जहाज समुद्र में जा गिरा। दहला देने वाले हादसे में 329 निर्दोष यात्रियों की जान गई थी। मृतकों में भारत और कनाडा समेत कई देशों के नागरिक शामिल थे।
कैसे विमान में रखा गया था बम?
सूटकेस के अंदर बम भरकर विमान में रखा गया था। गजब बात यह है कि जिस यात्री का यह सूटकेस था, वह विमान में बैठा नहीं था। बम धमाके में जान गंवाने वाले सिर्फ 131 लोगों की लाशें मिली थीं। कनाडा के 268 और भारत के 24 लोगों की जान गई थी। धमाके की साजिश खालिस्तान समर्थक अलगाववादी आतंकियों ने रची थी।
मुठभेड़ में मारा गया था मास्टरमाइंड
कनिष्क विमान धमाके के बाद रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने बब्बर खालासा के तलविंदर सिंह परमार और इंद्रजीत सिंह रेयात को पकड़ा था। केस कमजोर होने के कारण परमार को रिहा कर दिया गया। साल 1992 में तलविंदर सिंह परमान को भारत में पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था। बाद में कनाडा ने भी माना कि परमार ही कनिष्क विमान धमाके का मास्टरमाइंड था।
2005 में बरी हुए दो आरोपी
विमान धमाके के 15 साल बाद 2000 में कनाडा पुलिस ने रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागड़ी को पकड़ा। रिपुदमन सिंह एक बड़ा व्यवसायी था, जबकि बागड़ी एक मिल मजदूर था। दोनों पर सामूहिक हत्या और साजिश रचने का आरोप था, लेकिन साल 2005 में दोनों को बरी कर दिया गया।
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सिर्फ एक शख्स दोषी, कनाडा ने मांगी माफी
कनिष्क विमान हादसे में सिर्फ इंद्रजीत सिंह रेयात को दोषी ठहराया गया। 2003 में उसे कनाडा की अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई। साल 2016 में दो तिहाई सजा पूरी करने के बाद इंद्रजीत सिंह रेयात को जेल से रिहा कर दिया गया। उधर, 2022 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में रिपुदमन सिंह मलिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 2010 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने पीड़ितों के परिवारों से माफी मांगी थी।
कनाडा की लापरवाही से हुआ था धमाका
कनाडा में साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया। समिति ने चार वर्षों तक जांच की। इसमें खुलासा हुआ कि कनाडाई अधिकारियों की लापरवाही से इतने भीषण विमान हमले को अंजाम दिया गया था समिति की जांच में यह जानकारी है कि कनिष्क विमान हमले से काफी पहले ही कनाडा पुलिस को एक व्यक्ति ने बम धमाके की साजिश से जुड़ी चेतावनी दी थी।