दुनिया में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं। यह महिलाओं में जिस तरह के कैंसर सबसे ज्यादा देखे जाते हैं, उनमें से चौथा कैंसर सर्वाइकल कैंसर ही है। साल 2022 में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दावा किया था कि दुनियाभर में करीब 6,60,000 केस सामने आए थे। निम्न मध्यम वर्गीय देशों में इसी साल करीब 3,50,000 महिलाओं ने दम तोड़ दिया था। साल 2023-24 के बीच भारत में एक साल के भीतर सर्वाइकल कैंसर के करीब 81,121 केस सामने आए।

सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा सहारा-अफ्रीक्री प्रांतो, सेंट्रल अमेरिका और दक्षिणी-पूर्व एशिया में है। वैक्सिनेशन, स्क्रीनिंग और महंगे इलाज के की वजह से इस कैंसर में ज्यादा लोगों की जान जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो उन महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर फैलने की आशंका 6 गुना ज्यादा है, जो महिलाएं ह्युमन इम्युनो डिफीसिएंशी वायरस (HIV) वायरस से पीड़ित हैं। इस कैंसर से युवा महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। इस कैंसर के फैलने की आशंका सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं में ज्यादा होती है। 

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) जननांगों, गले और त्वचा पर ज्यादा तेजी से फैलता है। सेक्सुअली सक्रिय लोग बिना किसी लक्षण के दिखे इस बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं। HPV की वजह से कोशिकाओं में अप्रत्याशित इजाफा होता है, जो कैंसर में तब्दील हो जाता है।

भारत जैसे देश में सर्वाइकल कैंसर को लेकर सरकार की नीति क्या है, सरकार कब तक ऐसे मामलों को कम करने की कोशिश करेगी, वैक्सीनेशन से कैसे इसे रोकेगी, जागरूकता फैलाने को लेकर कदम क्या हैं। यही सवाल कांग्रेस सांसद उज्जवल रमण सिंह से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने किया है तो सरकार ने पूरा जवाब दिया है। 

सर्वाइकल कैंसर के कितने मरीज?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेनशल कैंसर रजिस्ट्रेशन प्रोग्राम (NCRP) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि साल 2023 से 2024 के बीच सर्वाइकल कैंसर के 81,121 मामले सामने आए।

क्या सर्वाइकल कैंसर का वैक्सीन फ्री में मिलेगा?
बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने यह सवाल स्वास्थ्य मंत्रालय से किया था। जवाब मिला कि ह्युमन पैपिलोमा वायरल (HPV) वैक्सीन यूनिवर्सल इम्युनिजेशन प्रोग्राम का हिस्सा नहीं है। ऐसे में सरकार मुफ्त में इस वैक्सीन नहीं लगवाएगी।

सर्वाइकल मरीजों की मदद कैसे करती है सरकार?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NMH) के तौर पर नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (NP-NCD) के तहत राज्यों में मरीजों की मदद की जाती है। राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत उन्हें आर्थिक मदद मिलती है। राज्यों को केंद्र सरकार फंड भी देती है। 

रोकथाम के लिए सरकार का प्लान?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आशा वर्कर्स 30 साल और उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को जागरूक करती हैं। उनके पास कम्युनिटी आधारित एसेसमेंट चेकलिस्ट (CBAC) होता है,जिसे वे तैयार करते हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत प्राइमरी हेल्थ केयर पर ही कुछ रोगों की स्क्रीनिंग होती है। जिन लोगों में ऐसे मामलों का जोखिम ज्यादा होता है, उनका रिकॉर्ड प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर पर ही रख लिया जाता है। 

NHM के तहत देश में अब जनसंख्या आधारित पहल शुरू की जा रही है। आशा कर्मी, नर्स और दाई के जरिए लोगों को इस बीमारी के विषय में जागरूक किया जाता है। ऐसी बीमारियां जो शरीर पर बाहरी तौर पर लक्षण नहीं दिखाती हैं उन्हें नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (NCD) के तहत रखा जाता है। इन बीमारियों के बारे में स्वास्थ्य कर्मी समय-समय पर बताते हैं। 


वैक्सीन कितनी कारगर है?
WHO का कहना है कि सही समय पर टीकाकरण इस रोग को काफी हद तक रोका सकता है। 9 से 14 साल की उम्र में अगर महिलाओं को वैक्सीन की डोज मिल जाए तो HPV वायरस के खिलाफ उनमें इम्युनिटी आ सकती है। HIV संक्रमित महिलाएं अगर 25 साल की उम्र में और सामान्य महिलाएं अगर 30 साल की उम्र तक अगर स्क्रीनिंग कराती हैं तो सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है। किसी भी उम्र की महिला में अगर सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दिखें तो इन्हें रोका जा सकता है। 

लक्षण क्या हैं? 
पीरियड के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग
वैजाइनल डिस्चार्ज से ज्यादा बदबू आना
लगातार दर्द रहना, पैर और पेल्विस एरिया में भी एक कारण हो सकता है
पैरों में सूजन का बने रहना
वैजाइना में दर्द बने रहना। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन लक्षणों को ही प्राथमिक माना है। 

WHO का प्लान क्या है?
दुनिया के सभी देश इस बात से सहमत हैं कि सर्वाइकल कैंसर को लेकर कदम उठाने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रति 10000 महिलाओं में से 4 महिलाओं को जरूर वैक्सीन लगा दी जाए। अगर ऐसा हुआ तो 2120 तक 6 करोड़ लोगों की मौत को टाला जा सकता है। WHO ने लक्ष्य रखा है कि साल 2030 तक 90 फीसदी लड़कियों को HPV वैक्सीन लगा दी जाए। 35 से 40 फीसदी आयु वर्ग की महिलाओं की सही स्क्रीनिंग की जाए और दुनिया की 90 प्रतिशत सर्वाइकल पीड़ित महिलाओं को सही इलाज मिले। इस लक्ष्य पर भारत कितना आगे बढ़ पा रहा है, यह देखने वाली बात है।