पूरे देश में इन दिनों स्वदेशी की लहर चल रही है। सोशल मीडिया पर ZOHO का नाम गूंज रहा है। जोहो के प्रोडक्ट को गूगल और माइक्रोसॉफ्ट का प्रतिद्वंद्वी बताया जा रहा है। उसके चैट एप Arattai की भी खूब चर्चा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे व्हाट्सएप का विकल्प बता रहे हैं। कई मायनों में यह एप बेमिसाल है। मगर उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती व्हाट्सएप के 40 करोड़ यूजर्स बेस के सामने टिकने की है। Arattai को अब तक 50 लाख से अधिक लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। 

 

यह भारत का कोई पहला मैसेजिंग एप नहीं है। इससे पहले Hike मैसेंजर तो सबको याद होगा। देश के युवाओं के बीच अगर कोई सबसे पॉपुलर मैसेजिंग एप था तो वह यही था। हाइक की भी लड़ाई व्हाट्सएप से थी। मगर वह व्हाट्सएप के सामने टिक नहीं सका। आज कहानी Hike के अर्श से फर्श पर आने की। कैसे यह कंपनी खड़ी हुई, बंद होने के पीछे क्या वजह थी, कितना बढ़ा यूजर्स बेस था, भारी भरकम 

फंडिंग के बावजूद भी क्यों टिक नहीं सकी? 

दिल्ली और गुरुग्राम के बीच इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास hike मैसेंजर का कॉर्पोरेट मुख्यालय था। वर्ल्डमार्क 1 टावर्स की चौथी मंजिल पर स्थित Hike का ऑफिस अपने समय के सबसे बेहतरीन दफ्तरों में से एक रहा। पूरे दफ्तर को शानदार और जीवांत थीम से सजाया गया था। किसे पता था कि अपने जन्म से लगभग 13 साल बाद यह कंपनी गुमनामी में चली जाएगी। 

कब शुरू हुआ था हाइक मैसेंजर?

24 फरवरी 2009 को व्हाट्सएप की शुरुआत हुई। दो साल बाद युवा भारतीय उद्यमी कविन भारती मित्तल ने 27 जून 2011 को इंस्टेंट मैसेजिंग एप हाइक शुरू किया। लॉन्च होते ही इस एप ने देश के युवाओं के बीच धूम मचा दी। उसके स्टिकर आज भी सबको याद आते हैं। हाइक 30 साल से कम उम्र के युवाओं के बीच सबसे अधिक पॉपुलर हुआ। दूसरी तरफ व्हाट्सएप ने भी भारत में अपनी बैठ बनानी शुरू कर दी थी। साल 2016 से पहले देश के तमाम हिस्सों में अंबानी के जियो वाली क्रांति नहीं आई थी। उस समय इंटरनेट इस्तेमाल करना न केवल महंगा था, बल्कि सुलभ भी नहीं था। 

 

हाइक ने इस समस्या को अपना हथियार बनाया। उसने मुफ्त में असीमित ऑफलाइन मैसेज की सुविधा दी। एप पर ही लोग क्रिकेट स्कोर और न्यूज पड़ सकते थे। उसकी इन सुविधाओं ने हाइक को बेहद लोकप्रिय बना दिया। दूसरी तरफ व्हाट्सएप में ऐसा कुछ नहीं था। हाइक ने लोकल भाषाओं में स्टिकर देना शुरू किया। यह स्टिकर बेहद यूनीक थे। इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि अधिकांश यूजर्स पूरी बातचीत सिर्फ स्टिकर से कर लेते थे। बाद में हाइक ने वॉलेट भी जोड़ा। इससे पेमेंट करना आसान हुआ।

हाइक को कहां-कहां से मिली फंडिंग?

अपनी लॉन्चिंग से सिर्फ चार साल के भीतर हाइक देश का यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया। 2016 में इसकी वैल्यूएशन एक बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गई। हाइक मैसेंजर की स्थापना करने वाले कविन भारती मित्तल का संबंध अरबपति फैमिली से है। आपने एयरटेल का नाम सुना होगा। उसके संस्थापक और सीईओ सुनील भारती मित्तल हैं। कविन भारती मित्तल उनके बेटे हैं। कविन के बड़ी बिजनेस फैमिली से होने का लाभ हाइक को मिला। कंपनी को धन जुटाने में आसानी हुई। 

 

भारती सॉफ्टबैंक और अमेरिकी हेज फंड टाइगर ग्लोबल ने हाइक में भारी भरकम निवेश किया। अपने लॉन्चिंग के एक साल के भीतर हाइक 1.5 करोड़ यूजर्स तक पहुंच गया। 2016 तक हाइक के 10 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच बन गई। इसके बाद चीनी कंपनी टेनसेंट और ताइवानी की फॉक्सकॉन ने 17.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया।

हाइक मैसेंजर में कौन-कौन से फीचर थे?

अपने एप पर हाइक ने 'हाइक रन' नाम से एक फीचर लॉन्च किया था। इसमें कोई भी व्यक्ति दिनभर में कितने कदम चला है, गिन सकता था। आपके दोस्त दिन में कितने कदम चलते हैं, यह भी दिखता था। हाइक ने अपने ब्लू पैकेट्स फीचर भी दिया। इसमें एक यूजर्स अपने दोस्त को लिफाफे में पैसे भेज सकता था। एक हिडन मोड फीचर भी था। इसकी मदद से चैट को आसानी से छिपाया जा सकता था। 

 

आज भी लोगों को हाइक के मजेदार स्टिकर की याद आती है। एप में 20 हजार से ज्यादा बेहतरीन स्टिकर थे। खास बात यह था कि अधिकांश स्टिकर लोकल भाषाओं में थे। कई बार यूजर्स सिर्फ स्टिकर से ही अपनी बातचीत पूरी कर लेते थे। खेल से मनोरंजन, त्योहार से राष्ट्रीय दिवस, शहर से गांव तक के स्टिकर हाइक पर मौजूद थे। रोजाना हाइक के स्टिकर 30 करोड़ बार से अधिक शेयर होते थे। हाइक के फीचर इतने यूनिक थे कि कई आज तक व्हाट्सएप पर नहीं आ सके। 

लोकल से ग्लोबल बन चुका था हाइक

हाइक का भारत से भारत भी विस्तार होने लगा। उसके 40 फीसद यूजर्स मिडिल-ईस्ट और जर्मनी जैसे देशों में थे। जब हाइक का बिजनेस बढ़ा तो उसने अन्य कंपनियों को खरीदना शुरू किया। 2017 में उसने हार्डवेयर स्टार्टअप CREO का अधिग्रहण किया। तब तक हाइक आईओएस और प्लेस्टोर पर नंबर वन मैसेजिंग एप बन चुका था। उसकी वैल्यूएशन 1.4 अरब डॉलर तक पहु्ंच चुकी थी। 

 

हाइक ने किन-किन कंपनियों को खरीदा?

  • CREO: यह कंपनी एंड्रायड बेस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम डिजाइन और बनाती थी। 
  • Thought Mechanics: यह एक वेब डेवलपमेंट कंपनी थी।
  • Zip Phones: यह कंपनी फ्री में कॉल करने की सुविधा देती थी।
  • InstaLively: यह कंपनी लाइव इवेंट ब्रॉडकास्टिंग की सेवा देती थी। 

किस रणनीति से बढ़ा हाइक का बिजनेस?

हाइक ने आक्रामक अंदाज में विज्ञापन करने की रणनीति अपनाई। टीवी हो या रेडियो, सिनेमा हॉल हो या बिलबोर्ड हर जगह हाइक का प्रचार दिखता था। इससे कंपनी को मजबूत यूजर्स बेस बनाने में मदद मिली। वह रियल टाइम फीडबैक भी जुटाता था। हाइक में एक रिवॉर्ड वाली व्यवस्था था। अगर कोई शख्स किसी अन्य व्यक्ति को एप डाउनलोड करने की सिफारिश करता था तो बदले में कूफन और पैसे मिलते थे। हाइक ने सीसीडी और डोमिनोज जैसे ब्रांड के साथ साझेदारी की और अपने यूजर्स को डिस्काउंट कूपन देना शुरू किया। अगर एयरटेल का पोस्टपेड यूजर्स हाइक का इस्तेमाल करता था तो उसे 3 महीने का फ्री डाटा मिलता था। इन सब रणनीतियों से हाइक देशभर में खूब लोकप्रिय हुआ, खासकर युवाओं के बीच। 

क्यों डूब गया हाइक मैसेंजर एप?

  • अलग-अलग फीचर से हाइक की लोकप्रियता बढ़ी। लेकिन यही काल भी साबित हुआ। हाइक की कोशिश थी कि वह वीचैट जैसा सुपर एप लॉन्च करे। मगर कामयाबी नहीं मिली। इस बीच बैकग्राउंड में व्हाट्सएप अपनी बैठ जमा रहा था। उसने भी अपने प्लेटफॉर्म पर ठीक वैसे ही स्टिकर की बौछार कर दी, जैसे हाइक पर होते थे। स्टिकर ही हाइक की मेन यूएसपी थी। 

 

  • हाइक में कई सारे फीचर थे। इससे हॉच-पॉच की स्थिति बन गई। दूसरी तरफ व्हाट्सएप का इंटरफेस बिल्कुल आसान और साफ-सुथरा था। इस बीच हाइक में नए-नए फीचर आने लगे। इससे यूजर्स एक्सपीरियंस खराब हुआ। अंत: नुकसान कंपनी को ही उठाना पड़ा।

 

  • हाइक को अपनी यात्रा में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इनमें से एक मुसीबत यह थी कि हाइक एप को गूगल और प्ले स्टोर से हटा दिया गया। लोगों को आज तक नहीं पता है कि यह क्यों किया गया था? फेसबुक ने भी हाइक के खिलाफ एक्शन लिया। उसने अपने प्लेटफॉर्म के विज्ञापनों पर हाइक की आधिकारिक वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया, ताकि लोग उस तक पहुंच न सके। हाइक के पतन के पीछे एक वजह यह थी कि इसका फोकस सिर्फ युवाओं के बीच था। देश की उम्रदराज आबादी उससे अपरिचित रह गई।

 

  • कंपनी ने अपने शुरुआत के कई वर्षों तक प्रॉफिट कमाने पर फोकस नहीं किया। इसका खामियाजा उसे बाद में चुकाना पड़ा। 2020 में कंपनी ने मोनिटाइजेशन शुरू किया, लेकिन देर हो चुकी थी। तब तक व्हाट्सएप भारत में इतना बड़ा प्लेयर बन चुका था कि उसका मुकाबला करना हाइक के बस की बात नहीं थी। 6 जनवरी 2021 को हाइक ने ऐलान किया कि वह अपना मैसेंजर ऐप बंद कर रहा है। तब हाइक के फाउंडर कविन मित्तल ने ट्विटर पर लिखा था- 'भारत का अपना कोई मैसेंजर नहीं होगा।'

 

किससे था हाइक का मुकाबला

  • वीचैट
  • सिग्नल
  • फेसबुक मैसेंजर
  • व्हाट्सएप
  • टेलीग्राम

हाइक के बंद होने की असल वजह क्या?

10 जनवरी को कविन मित्तल के ट्वीट से बड़े संकेत मिलते हैं। उनके बयान से साफ होता है कि हाइक ने व्हाट्सएप जैसे ग्लोबल प्लेयर से जंग तो छेड़ दी लेकिन उसकी शक्ति के आगे टिक नहीं सका। कविन ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'वैश्विक नेटवर्क प्रभाव बहुत मजबूत हैं (जब तक कि भारत पश्चिमी कंपनियों पर प्रतिबंध नहीं लगाता)।'

 

हाइक ने रश नाम का गेमिंग प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया। इसमें लूडो और कैरम जैसे रियल मनी गेम थे। देशभर में रश के 1 करोड़ यूजर्स थे। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन अधिनियम- 2025 पारित किया तो इसके बाद रश को भी बंद कर दिया गया। 

 

 

कविन मित्तल ने अगस्त 2025 में हाइक के बंद होने के पीछे की वजह बताई। उन्होंने एक शख्स के कमेंट के जवाब में लिखा, 'भारत में मैसेजिंग के इर्द-गिर्द बिजनेस मॉडल बनाना मुश्किल है। यह अभी हाल ही में उभर रहा है। उपभोक्ता व्यवहार को विकसित होने में टाइम लगता है। निवेश पर लाभ (ROI) की कम जानकारी के साथ अरबों डॉलर की आवश्यकता होती है।