तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में मारवाड़ी समुदाय का विरोध किया जा रहा है। शुक्रवार को कुछ छात्र संगठनों ने राज्यव्यापी बंद का एलान किया था। इसके बाद तेलंगाना में पुलिस हाई अलर्ट पर रही। कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के बीच प्रदर्शनकारियों ने 'मारवाड़ी वापस जाओ' की नारेबाजी की। पार्किंग विवाद से शुरू हुआ यह मामला अब मारवाड़ी समुदाय के खिलाफ एक अभियान में तब्दील हो चुका है। मारवाड़ी समुदाय को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय सिंह का साथ मिला है। उन्होंने मारवाड़ी समुदाय के खिलाफ प्रदर्शन का विरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया।
हैदराबाद की गोशामहल से विधायक टी राजा सिंह ने मारवाड़ी समुदाय का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने समुदाय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों को जेल भेजने और सख्त एक्शन की मांग की। आइये समझते हैं कि यह पूरा विवाद कैसे शुरू हुआ?
कुछ दिन पहले सिकंदराबाद के मोंडा मार्केट में एक स्थानीय युवक और मारवाड़ी व्यापारियों के बीच पार्किंग के विषय पर झगड़ा हुआ। मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो तेलंगाना के कई संगठन और छात्र संगठनों ने घटना का विरोध किया। देखते ही देखते पार्किंग विवाद मारवाड़ी समुदाय के खिलाफ विरोध में बदल गया। सोशल मीडिया से सड़क तक 'मारवाडी वापस जाओ' की आवाज उठने लगी।
यह भी पढ़ें: जॉन बोल्टन: कैसे ट्रंप का करीबी दोस्त बना दुश्मन? विवाद की पूरी कहानी
हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की अगुवाई की। 22 अगस्त को उस्मानिया विश्वविद्यालय संयुक्त कार्रवाई समिति (OUJAC) ने तेलंगाना बंद की अपील की। इसका जमीन पर असर भी दिखा। तेलंगाना के यदाद्री, नारायणपेट, जनगांव और नलगोंडा समेत कई जिलों में दुकानें बंद थीं। सड़कों पर सन्नाटा था। पुलिस-प्रशासन अलर्ट रहा।
प्रदर्शनकारियों का क्या आरोप?
उस्मानिया विश्वविद्यालय संयुक्त कार्रवाई समिति के अध्यक्ष कोथापल्ली तिरुपति रेड्डी का आरोप है कि मारवाड़ी व्यापारी भ्रामक व्यापारिक रणनीतियां अपनाकर तेलंगाना के व्यापारियों को बर्बाद कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने समुदाय पर नकली सामान बेचने का आरोप लगाया। यह भी कहा कि गुजरात और राजस्थान के समुदाय तेलंगाना में आक्रामक तरीके से फैल रहे हैं और स्थानीय व्यवसायों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान उस्मानिया विश्वविद्यालय में तनाव जैसी स्थिति पैदा हो गई। इसके बाद पुलिस ने ओयूजेएसी अध्यक्ष कोथापल्ली तिरुपति समेत कुछ छात्रों को हिरासत में लिया। छात्रों के शामिल होने के बाद यह विरोध प्रदर्शन अधिक व्यापक हो चुका है। शुक्रवार को हब्सीगुडा में ओयूजेएसी और आदिवासी छात्र संघ के कई कार्यकर्ताओं ने नवकार गोल्ड के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। टायर जलाए और 'गो बैक मारवाड़ी' की नारेबाजी की।
बता दें कि नवकार गोल्ड प्रतिष्ठान का ताल्लुक मारवाड़ी समुदाय से है। इब्राहिमपट्टनम में भी मारवाड़ी समुदाय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। यहां स्थानीय दुकानदारों ने सागर हाईवे, मंचल रोड और ओल्ड बस स्टैंड रोड पर बाइक रैली निकाली। रैली के दौरान 'मारवाड़ी वापल जाओ', तेलंगाना बचाओ' और 'मारवाड़ी हटाओ, तेलंगाना बचाओ' जैसे नारेबाजी की।
अग्रवाल महासभा ने राज्यपाल से क्या अपील की?
अखिल भारतीय अग्रवाल महासभा ने तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णुदेव वर्मा को खत लिखा। इसमें महासभा ने तेलंगाना में 'मारवाड़ी वापस जाओ' अभियान पर गंभीर चिंता व्यक्त की। तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष महेश अग्रवाल ने भड़काऊ अभियान के हिंसा में बदलने के खतरे का उल्लेख किया। महासभा का कहना है कि इस तरह की बयानबाजी से पूंजी का पलायन होगा और नौकरियां खत्म हो सकता हैं। वहीं निवेशकों के विश्वास को भी गंभीर चोट पहुंच सकती है।
यह भी पढ़ें: 'उनका तो अपना इतिहास...' जयशंकर ने USA और PAK पर कसा तंज
महासभा ने राज्यपाल से मारवाड़ी समुदाय के खिलाफ घृणित अभियान के विरुद्ध बयान जारी करने और पुलिस महानिदेशक को संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की अपील की। इस बीच हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने मारवाड़ी वापस जाओ का नारा पोस्ट करने वाले सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया है। महिला सिपाही की शिकायत पर पुलिस ने एक अकाउंट के खिलाफ केस दर्ज किया है।
कितना प्रभावशाली है मारवाड़ी समुदाय?
निजाम के शासन के दौरान हैदराबाद में मारवाड़ी समुदाय के लोग आकर बसे थे। समुदाय के भीतर घनिष्ठ संबंध होते हैं। एक-दूसरे की मदद की भावना होती है। हर माहौल में ढलने का इनका अद्भुत गुण ही इनको अन्य लोगों से अलग बनाता है। मारवाड़ी को जाति नहीं है। यह एक सांस्कृतिक और व्यावसायिक पहचान है। माना जाता है कि यह समुदाय राजस्थान के जोधपुर के मारवाड़ से निकला और देशभर में छा गया। दुनियाभर के लगभग 85 फीसदी मारवाड़ी राजस्थान से हैं। यह समुदाय संख्या के लिहाज से भले ही छोटा है। मगर देश की अर्थव्यवस्था पर हावी है। फोर्ब्स की भारतीय अरबपतियों की सूची में एक चौथाई रईस इसी समुदाय से हैं।
