बिहार के भोजपुर जिले के जवाईनिया गांव का अस्तित्व संकट में है। यहां के लगभग 150 घर अब तक गंगा नदी में समा चुके हैं। लोगों की गाढ़ी-कमाई पानी में डूब चुकी है। नदी के तेज बहाव में एक-एक करके घर समा रहे हैं। यह केवल एक गांव की कहानी नहीं है। जवाईनिया जैसे बिहार में सैकड़ों गांव हैं, जिन्हें हर साल भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ता है। कई गांवों का अस्तित्व तो हमेशा-हमेशा के लिए मिट जाता है। यूनीसेफ के डाटा के मुताबिक पिछले साल बिहार के 29 जिलों की कुल 639 ग्राम पंचायतों को बाढ़ का सामना करना पड़ा। इससे 21 लाख बच्चों समेत कुल 45 लाख लोग प्रभावित हुए। इन जिलों में स्थित 776 स्कूलों के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा।
लगभग 500 गांवों के बाढ़ में डूबने के बाद यहां के लोगों को सड़क किनारे और तटबंधों के आसपास स्थित ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन ने राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और बिहार सरकार की मदद से एक बाढ़ एटलस तैयार किया है। इसमें 1998 से 2019 के उपग्रह डेटा का उपयोग करके बाढ़ जोखिम का विश्लेषण किया गया है।
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इसरो के डेटा के मुताबिक बिहार की गणना देश के सबसे अधिक बाढ़ जोखिम वाले राज्यों में होती है। उत्तरी बिहार की लगभग 76 फीसदी आबादी बाढ़ से होने वाली तबाही के खतरे में हर साल रहती है। 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 22 वर्षों में बिहार की लगभग 35.06 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित हुई है। प्रदेश के 38 में से 29 जिले अति उच्च, उच्च और मध्यम बाढ़ जोखिम की श्रेणी में आते हैं।
| साल |
प्रभावित क्षेत्र (मिलियन हेक्टेयर) |
क्षतिग्रस्त घर | मृतकों की संख्या |
| 2010 |
0.20 |
15170 | 32 |
| 2011 |
3.82 |
85182 | 249 |
| 2012 |
0.11 |
2261 | 15 |
| 2013 |
2.36 |
169501 | 253 |
| 2014 |
3.90 |
13662 | 158 |
| 2015 |
0.01 |
518 | 27 |
| 2016 |
4.33 |
69102 | 458 |
| 2017 |
3.00 |
263848 | 815 |
| 2018 |
0.03 |
1074 | 01 |
| 2019 |
1.06 |
45161 | 300 |
नोट: आंकड़े इसरो के बाढ़ एटलस से
बिहार में यह नदियां मचाती हैं तबाही
इसरो का डेटा बताता है कि बिहार में बाढ़ का क्षेत्रफल बढ़ रहा है। उत्तर बिहार के मैदानी इलाके सबसे अधिक संवेदनशील हैं। कोसी नदी बिहार में हर साल भीषण तबाही मचाती है। नेपाल से आने के बाद कोसी नदी भीमनगर के पास भारत में दाखिल होती है। बिहार में 320 किमी लंबी अपनी यात्रा में कोसी मैदानी इलाके में भारी तबाही मचाने के बाद कुर्सेला के नजदीक गंगा नदी में मिलती है। कोसी के अलावा गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला-बलान, महानंदा और अधवारा जैसी नदियां भी नेपाल से अपने साथ बिहार में बाढ़ लाती हैं।
पिछले 30 साल में कम-कम आई बाढ़
बाढ़ के अलावा बिहार का एक बड़ा भू-भाग जलभराव की समस्या से जूझता है। इसके पीछे की मुख्य वजह छोटी नदियों में गाद का भरना और पानी निकासी वाले चैनलों पर अतिक्रमण है। पिछले 30 वर्षों में बिहार ने 10 बार भीषण बाढ़ का सामना किया। अगर वर्षवार बात करें तो 1998, 2004, 2007, 2008, 2012, 2013, 2016, 2017, 2018 और 2019 में बिहार की जनता ने भीषण बाढ़ का सामना किया।
बिहार की प्रमुख नदियां
बिहार जल संशाधन से समृद्ध प्रदेश है। मगर यही पानी मानसून सीजन में आफत बनकर आता है। बिहार में तबाही मचाने वाले अधिकांश नदियां नेपाल से आती हैं। अगर बिहार की प्रमुख नदियों की बात करें तो इसमें गंगा, सरयू, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला-बलान, कोसी, महानंदा, कर्मनाशा, सोन, पुनपुन, हरोहर, किउल, महानंदा, बदुआ, पंचाने और चंदन हैं।
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2010 से 2020 तक: कब-कब बाढ़ ने मचाई तबाही
- साल 2019 में बिहार को चार महीने में तीन बार बाढ़ का सामना करना पड़ा। सरकारी डेटा के मुताबिक प्रदेश के 34 जिलों में लगभग 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हुआ था। महानंदा, बागमती, कमला-बलान, अधवारा, बूढ़ी गंडक, कोसी, सोन, पुनपुन और गंडक नदियों में उफान की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हुई थी।
- साल 2017 के जून महीने पहले हफ्ते और बाद में अगस्त में भीषण बाढ़ के कारण बिहार बाढ़ की चपेट में आ गया था। गंगा और उसकी सभी सहायक नदियों में उफान से राज्य के 25 से अधिक जिलों में बाढ़ जैसी स्थित पैदा हो गई थी।
- 2016 में भी बिहार को बाढ़ का सामना करना पड़ा था। जुलाई महीने में मुजफ्फपुर में बागमती नदी, खगड़िया, कटिहार में कोसी नदी, पूर्णिया और कटिहार में महानंदा नदी ने तबाही मचाई थी। डेटा के मुताबिक बाढ़ से बिहार के 33 जिलों में लगभग 8.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ था। पटना, भागलपुर, कटिहार, भोजपुर, सारण, मधुबनी, दरभंगा, खगड़िया और नालंदा जिले ने सबसे अधिक तबाही देखी थी।
- 2013 में आई बाढ़ में अररिया, किशनगंज और पूर्णिया जिलों में 100 से अधिक गांव जलमग्न हो गए थे। भागलपुर में गंगा, पूर्णिया में महानंदा, कटिहार जिले के कुर्सेला में कोसी, पटना में सोन नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। अकेले गंगा नदी ने पूरे प्रदेश में कई गावों को जलमग्न कर दिया था।
