पश्चिम बंगाल पुलिस ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार किया है। शर्मिष्ठा कानून की छात्रा हैं और उनकी उम्र 22 साल है। कोलकाता पुलिस ने उन्हें गुरुग्राम से शनिवार को गिरफ्तार किया, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग उनके समर्थन में खड़े नजर आए। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि जो उन्होंने कहा, वह आपत्तिजनक था लेकिन इसके लिए उन्हें इस तरह से गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना ने कहा कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी गलत है, उनके सामने पूरा करियर पड़ा है, उन्होंने माफी मांग ली है तो मामला खत्म हो जाना चाहिए।
शर्मिष्ठा पनोली ने ऑपरेशन सिंदूर पर बॉलीवुड पर अभिनेताओं की चुप्पी को लेकर कुछ बड़े सितारों पर निशाना साधा था और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया था। पोस्ट में कथित तौर पर उन्होंने समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत किया था। शर्मिष्ठा पनोली को गुरुग्राम की अदालत में पेश किया गया, फिर उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता की अलीपुर कोर्ट में भी पेश किया गया। कोर्ट ने 13 जून तक के लिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
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वकील ने क्या कहा है?
शर्मिष्ठा के वकील शमीमुद्दीन ने कहा है कि गिरफ्तारी के खिलाफ उन्होंने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। उन्होंने ANI से बातचीत में कहा, 'हमने अदालत के सामने जमानत याचिका पेश की है। अभियोजन पक्ष ने जिन चीजों के इस्तेमाल का जिक्र किया है, मोबाइल फोन और लैपटॉप, उन्हें जब्त किया जा चुका है। कोर्ट ने याचिका सुन है। अभियोजन पक्ष ने पुलिस हिरासत की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। अब वह 13 जून तक न्यायिक हिरासत में हैं।'
'लोकतंत्र में मेरा उत्पीड़न हुआ'
शर्मिष्ठा पलोनी ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस की गाड़ी में बैठने से पहले चीखती नजर आईं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मेरा उत्पीड़न किया गया है, यह लोकतंत्र नहीं हो सकता है।
शर्मिष्ठा के खिलाफ FIR में क्या है?
शर्मिष्ठा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली थी। उन्होंने कुछ आपत्तिजनक भाषा का कथित तौर पर इस्तेमाल किया था, जिसे हम लिख नहीं सकते हैं। उनके पोस्ट पर हंगाम हुआ, जिसके बाद उन्होंने पोस्ट डिलीट करके माफी मांगी। 15 मई को कोलकाता के गार्डनरीच थाने में शर्मिष्ठा के खिलाफ FIR दर्ज हुई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 (1) ए, धारा 299, 352 और 353 (1) (सी) के तहत केस दर्ज किया है।
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जिन धाराओं के तहत आरोप लगे, उनमें क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शुभम गुप्ता ने इन धाराओं के बारे में विस्तार से बताया है। धारा 196 (1) (ए) से लेकर धारा 353(1)(सी) तक में किन बातों का जिक्र क्या है, क्या सजा मिलती है, जानिए-
- धारा 196(1)(ए): धर्म, जाति, भाषा, समुदाय आदि के आधार पर दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना।
- धारा 299: जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका मसकद किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना हो।
- धारा 352: शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर किसी का अपमान करना।
- धारा 353(1)(सी): ऐसे बयान जिनकी वजह से हंगामा हो।
कितने संगीन हैं शर्मिष्ठा पर लगे आरोप, सजा कितनी?
- धारा 196(1)(ए): दो समूहों के बीच रंजिश को बढ़ावा देना
सजा: 5 साल की कैद और जुर्माना - धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना
सजा: 3 साल की कैद और जुर्माना - धारा 352: शांति भंग करने के इरादे से किया गया अपमान
सजा: 2 साल की कैद, जुर्माना - धारा 353(1)(सी): भड़काने के मकसद से दिया गया बयान
सजा: 3 साल की कैद, जुर्माना
लोग क्या कह रहे हैं?
बीजेपी सांसद कंगना ने क्या कहा?
कंगना ने कहा, 'कानून और व्यवस्था के नाम पर किसी को परेशान करना ठीक नहीं है। जब कोई माफी मांग लेता है और पोस्ट हटा देता है, लेकिन उसे जेल में डालना, उसे प्रताड़ित करना, उसका करियर खत्म करना और उसके चरित्र पर सवाल उठाना बहुत गलत है। किसी भी बेटी के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं पश्चिम बंगाल सरकार से आग्रह करती हूं कि राज्य को उत्तर कोरिया बनाने की कोशिश न करें। सभी के पास लोकतांत्रिक अधिकार हैं।'
डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने क्या कहा?
आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, शर्मिष्ठा ने अपनी बात रखी, उनके शब्द कुछ लोगों को आहत करने वाले थे। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की, वीडियो डिलीट किया और माफी मांगी। पश्चिम बंगाल पुलिस ने शर्मिष्ठा के खिलाफ तत्काल ऐक्शन लिया। लेकिन जब टीएमसी के चुने हुए नेता, सांसद सनातन धर्म का मजाक उड़ाते हैं तो लाखों लोगों को दुख पहुंचता है, उसका क्या। जब हमारे धर्म को 'गंदा धर्म' कहा जाता है तब गुस्सा क्यों नहीं दिखता।'
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा, 'सोशल मीडिया पोस्ट के लिए ये अंतरराज्यीय गिरफ्तारियां, जब तक कि यह साफ न हो जाए कि इससे कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है, तब तक यह साफ तौर पर पुलिस शक्तियों का दुरुपयोग है।'