विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर देश से लेकर विदेश तक फैली कई भ्रांतियों को लेकर बातें साफ कीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि हमारा लंबे समय से एक ही राष्ट्रीय रुख रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय रूप से सुलझाना होगा। इस घोषित नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। इस बयान से भारत ने अमेरिका को साफ संदेश दे दिया है कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

 

इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने पहलगाम पहले की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को लेकर भी बातें स्पष्ट कीं। रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने कई दौर की ब्रीफिंग की है और इन ब्रीफिंग में हमने आपके साथ पहलगाम हमले के अपराधियों, विशेष रूप से द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के बीच संबंधों को भी साझा किया है। विदेश सचिव ने अपने बयान में भी स्पष्ट किया है कि हमें किस तरह के सबूत मिले हैं और इस विशेष मामले में जांच चल रही है। 

 

टीआरएफ, लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा

 

उन्होंने कहा, 'आपने देखा होगा कि टीआरएफ ने जिम्मेदारी ली थी और दूसरे दिन, दो बार उन्होंने जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद, संभवतः उनके संचालकों के कहने पर उन्होंने इस बयान को वापस ले लिया। लेकिन टीआरएफ एक ऐसा संगठन है जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है। हम यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा टीआरएफ को सूचीबद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं।'

 

 

डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर सफाई

 

जायसवाल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार वाले बयान पर कहा, '7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच उभरते सैन्य हालात पर बातचीत हुई। इनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा।' दरअसल, ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने व्यापार की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया है।

 

वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जायसवाल ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान पर कहा, 'हमने पाकिस्तानी पक्ष द्वारा दिया गया बयान देखा है। जिस देश ने औद्योगिक स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, उसका यह सोचना कि वह इसके परिणामों से बच सकता है, यह खुद को मूर्ख बनाना है। पाकिस्तान जितनी जल्दी इसे समझ लेगा, उतना ही बेहतर होगा।'

 

सिंधु जल संधि को लेकर भारत ने क्या कहा?

 

रणधीर जायसवाल ने कहा कि सिंधु जल संधि सद्भावना और मित्रता की भावना से संपन्न हुई थी, जैसा कि संधि की प्रस्तावना में बताया गया है। हालांकि, पाकिस्तान ने कई दशकों से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर इन सिद्धांतों को स्थगित रखा है। अब CCS के फैसले के अनुसार, भारत संधि को तब तक स्थगित रखेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से छोड़ नहीं देता है। कृपया ध्यान दें कि जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव और तकनीकी परिवर्तनों ने जमीन पर भी नई वास्तविकताओं को जन्म दिया है।
 
पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमसे संपर्क- MEA

 

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पिछले हफ्ते ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देते हुए भारत ने पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद और अन्य जगहों पर आतंकवादी केंद्रों को नष्ट कर दिया। उसके बाद, हमने पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को काफी हद तक कम कर दिया और प्रमुख एयरबेसों को प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर दिया। अगर पाकिस्तानी विदेश मंत्री इसे उपलब्धियों के रूप में पेश करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। जहां तक भारत का सवाल है, हमारा रुख शुरू से ही स्पष्ट और सुसंगत था। हम पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाएंगे। अगर पाकिस्तानी सेना बाहर रहती, तो कोई समस्या नहीं होती। अगर वे हम पर गोली चलाते, तो हम उचित जवाब देते। 9 मई की रात तक पाकिस्तान भारत को बड़े हमले की धमकी दे रहा था। जब 10 मई की सुबह उनकी कोशिश विफल हो गई और उन्हें भारत की ओर से विनाशकारी जवाब मिला, तो उनके सुर बदल गए और उनके डीजीएमओ ने आखिरकार हमसे संपर्क किया।

 

बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के विदेशी मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान की जीत हुई है।