इंडियन रेलवे के लोको पायलट 11 से 16 घंटे काम करने को मजबूर हो रहे हैं। लगातार काम करना और थकावट रेल हादसे की बड़ी वजह बनती है। बता दें कि भारत में वर्क लेबर को अधिकतम 8 या 9 घंटे काम करना होता है। ऐसे में लोको पायलट 11 से 16 घंटे काम क्यों कर रहे है? लोको पायलट के लिए कोई समाधान नहीं निकला है जिसकी वजह से देश भर के लोको पायलट आज 20 फरवरी, 2025 को सुबह 8 बजे से 36 घंटे तक का उपवास रख विरोध प्रदर्शन करेंगे।

 

इस दौरान लोको पायलट ड्यूटी भी करेंगे लेकिन कुछ खाएंगे नहीं। इसका मतलब है कि वह काम करते रहेंगे लेकिन इस दौरान कुछ खाएंगे नहीं। इस तरह वह सरकार के सामने अपनी बात रखेंगे। 

 

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गुरुवार सुबह 8 बजे से शुरू हुआ उपवास

लोको पायलट का प्रतिनिधि संगठन ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने इस उपवास का आह्वान किया है। रेलवे ड्राइवरों का यह उपवास गुरुवार सुबह 8 बजे शुक्रवार रात 8 बजे तक चलेगा। एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.आर. भगत ने एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जो भी ड्यूटी पर होंगे वो भी भूखे पेट काम करते रहेंगे। जिनकी ड्यूटी नहीं होगी वो भी DRM ऑफिस के सामने धरना देंगे। 

क्या है मांग, बिगड़ रही सेहत

अध्यक्ष भगत ने बताया कि लोको पायलट को काम के दौरान बहुत दबाव महसूस करना पड़ रहा है। मालगाड़ी के ड्राइवरों को 11-11 घंटे काम करना पड़ता है। कभी-कभी तो 13 से 16 घंटे तक काम करना पड़ जाता है। इस कारण से रेल दुर्घटनाएं सबसे अधिक होते हैं।

 

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लोको पायलट ने मांग की है कि मेल या एक्सप्रेस गाड़ियों में 6 से 8 घंटे की ड्यूटी हो। एक लोको पायलट ने बताया कि 10 से 15 घंटे काम करने की वजह से सुनने की क्षमता भी कम हो गई है क्योंकि सभी 95 डेसिबल से ऊपर की ध्वानि में घंटों तक काम करने को मजबूर हो रहे है। लोको पायलट की सेहत पर भी बहुत असर पड़ रहा है। अधिकत्तर रेल ड्राइवरों को हाई ब्लड प्रेशर और शुगर हो रहा है।