महाकुंभ और बिहार जाने के लिए ट्रेनों में चढ़ने वाले लोगों की अचानक भीड़ के कारण मची भगदड़ में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 लोगों की मौत हो गई। घटना के बाद के कई वीडियो में स्टेशन पर भारी भीड़ दिखाई दे रही है। एक क्लिप में एस्केलेटर और फुटओवर ब्रिज को जोड़ने वाली सीढ़ियों पर कई जोड़ी चप्पल-जूते और अन्य सामान बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं।
शनिवार रात करीब 10 बजे मची भगदड़ में 18 लोगों में से 9 महिलाएं, 5 बच्चे और 4 पुरुष मारे गए। दरअसल, प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों में सवार होने के लिए स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 14 और 15 पर इंतजार कर रहे यात्रियों की भीड़ बढ़ गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कई लोग रेल की पटरियां पार करके महाकुंभ के लिए प्रयागराज की ओर जाने वाली ट्रेनों में घुस गए, जिसके कारण भगदड़ मच गई। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।
प्लेटफॉर्म और ट्रैक पर पड़े मोबाइल और अन्य कीमती सामान
रेल हादसे के बाद का नजारा भय से भरा हुआ था। दुर्घटना के तुरंत बाद यात्रियों में घबराहट, चीख-पुकार और अफरा-तफरी मच गई थी। प्लेटफॉर्म पर घायल यात्री दर्द से कराहते नजर आए तो वहीं कई यात्री सदमे में हैं। प्लेटफॉर्म पर कुछ बेहोश पड़े हुए थे तो कई रिश्तेदार अपनों को खोजने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। भगदड़ के बाद यात्रियों के बैग, कपड़े, जूते, मोबाइल और अन्य कीमती सामान प्लेटफॉर्म और ट्रैक पर पड़े हुए थे।
ये वहीं सामान होंगे जिन्हें लोगों ने खुशी-खुशी बैग में पैक किया होगा। पीड़ितों को क्या पता था कि भगदड़ में वह अपनों को ऐसे खो देंगे। भगदड़ के बाद सीढ़ियों से लेकर प्लेटफॉर्म तक पर सामान बिखरे हुए थे। कहीं जूते तो कहीं मोबाइल फोन गिरा पड़ा हुआ था जो यह दर्शाता है कि भगदड़ कितनी भयावह होगी। ऐसे में सवाल है कि भगदड़ के बाद मौके पर छूटे हुए सामानों का होता क्या है?
यह भी पढे़ें: किसी के छूटे अपने, किसी की मिली लाश, कैसे मची रेलवे स्टेशन पर भगदड़?
भगदड़ के बाद मौके पर छूटे हुए सामानों का होता क्या है?
दरअसल, भगदड़ के बाद मौके पर छुटे हुए सामानों को संभालने की प्रक्रिया आमतौर पर स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा की जाती है। यह प्रक्रिया इस पर निर्भर करती है कि घटना कहां हुई और प्रबंधन कितना प्रभावी है।
भगदड़ के बाद पुलिस और प्रशासनिक टीमें तुरंत मौके पर पहुंचकर नियंत्रण स्थापित करती हैं। घटनास्थल पर पड़े बैग, चप्पल, मोबाइल, दस्तावेज, कपड़े, ज्वेलरी जैसे सामानों को इकट्ठा किया जाता है। कई बार लोगों के पहचान पत्र, टिकट, पासपोर्ट या नकदी भी मिलती है, जो प्रशासन के लिए चुनौती भी बन जाती है। ऐसे में जो सामान पहचाने जाने योग्य होता है, उसे पुलिस थाने या खोया-पाया केंद्र (Lost & Found) में रखा जाता है।
कुंभ और रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचे तो...
किसी बड़ी भगदड़ (जैसे कुंभ मेले या रेलवे स्टेशन ) के बाद स्थानीय प्रशासन 'लॉस्ट एंड फाउंड' काउंटर स्थापित करता है, जहां लोग आकर अपने सामान की जानकारी दे सकते हैं।
अगर कोई व्यक्ति अपना सामान वापस लेना चाहता है, तो उसे पहचान प्रमाण पत्र या अन्य आवश्यक दस्तावेज दिखाने होते हैं। वहीं, अगर कोई बहुमूल्य वस्तु (जैसे गहने, मोबाइल, घड़ी) मिलती है, तो पुलिस रसीद के साथ उसे असली मालिक को लौटाती है।
अनक्लेम्ड (छोड़ा हुआ) सामान का क्या होता है?
बता दें कि अगर किसी सामान को लंबे समय तक कोई क्लेम नहीं करता, तो प्रशासन उसे नीलामी (Auction) में डाल सकता है। पहचान न होने वाली चीजें सरकारी भंडार (Government Warehouse) में भेजी जाती हैं। अगर कोई संवेदनशील दस्तावेज (पासपोर्ट, पहचान पत्र आदि) मिलता है, तो इसे संबंधित विभाग को सौंप दिया जाता है। कपड़े, चप्पल और अन्य वस्त्र अक्सर बेकार मानकर नष्ट कर दिए जाते हैं या जरूरतमंदों में बांट दिए जाते हैं।
यह भी पढ़ें: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़, 15 लोगों की मौत; दर्जनों घायल
रेलवे स्टेशन और धार्मिक आयोजनों में मची भगदड़ के लिए अलग-अलग प्रशासन
धार्मिक आयोजनों (जैसे कुंभ, वैष्णो देवी यात्रा) में भगदड़ के बाद सामान का निपटारा तीर्थ प्रशासन करता है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे पर भगदड़ हो, तो सामान को रेलवे पुलिस (RPF) या एयरपोर्ट अथॉरिटी के लॉस्ट एंड फाउंड सेक्शन में जमा किया जाता है। वहीं, अगर अपराध या आतंकी खतरे की आशंका हो, तो सामान को विशेष सुरक्षा जांच के बाद ही हटाया जाता है।
बता दें कि भगदड़ के बाद लोगों की सुरक्षा प्राथमिकता होती है लेकिन छोड़े गए सामान को भी उचित प्रक्रिया से संभाला जाता है। ज्यादातर मामलों में, जरूरी सामान वापस मिल सकता है अगर वह सही प्रक्रिया से मांगा जाए।