छठ की आमद के साथ-साथ ही दिल्ली में यमुना के पानी को लेकर सियासत शुरू हो जाती है। दिल्ली में यमुना को सफाई को लेकर सियासी रार मची है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार का कहना है कि यमुना के घाट, आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान बेहद प्रदूषित रहते थे, पानी में झाग रहता था, जो अब साफ है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि यमुना साफ नहीं है, वसुदेव घाट में नकली यमुना बनाकर, यमुना के साफ होने के दावे किए जा रहे हैं। छठ में व्रती यमुना नदी का पानी पीते हैं, स्नान करते हैं, नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
धार्मिक मान्यताओं से अलग क्या सच में यमुना का पानी पीने या नहाने लायक है? आंकड़े बता रहे हैं कि यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है, यहां का पानी पीने लायक नहीं है। अक्टूबर में ही यमुना पर दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (DPCC) की रिपोर्ट सामने आई है जो बता रही है कि यमुना अभी तक साफ नहीं हो पाई है।
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यमुना में बन रहा है झाग
यमुना नदी के कई हिस्सों में झाग वैसे ही उठ रहा है। केमिकल के जरिए झाग को नीचे बैठाने की कोशिश की जा रही है। मॉनसून के बाद यमुना थोड़ी साफ नजर आ रही थी लेकिन एक बार फिर पानी खराब स्थिति में पहुंच गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर की तुलना में प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। सितंबर में नदी का पानी रिकॉर्ड स्तर पर साफ था, क्योंकि तेज बहाव ने गंदगी को बहा दिया था।
कितना प्रदूषित है यमुना का पानी?
नजफगढ़ नाले का पानी ISBT ब्रिज पर यमुना नदी में मिलता है। वहां फीकल कॉलिफॉर्म का स्तर बढ़ा हुआ मिला। यहां बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 37 मिलिग्राम प्रति लीटर रहा रहा, जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 13 मिलिग्राम प्रति लीटर पर था। कुछ जगहों पर घुलनशील ऑक्सीजन (DO) का स्तर शून्य हो गया। फीकल कॉलिफॉर्म का स्तर ISBT ब्रिज पर 21,000 तक पहुंच गया, जबकि मानक 2,500 से कम होना चाहिए।
क्या नहाने या पीने लायक है यमुना का पानी?
ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी कहना है कि यमुना नदी का पानी नहाने या पीने के लिए पानी अभी भी ठीक नहीं है। डॉ. चंडिकेश कुमार त्वचा रोग विशेषज्ञ हैं। उन्होंने यमुना में प्रदूषण की स्थिति पर कहा, 'पानी में फीकल कॉलिफॉर्म का स्तर 2,500 से ज्यादा नहीं होना चाहिए, DO का स्तर 5 मिलिग्राम पर लिटर के स्तर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, वहीं BOD 3 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दिल्ली में यह स्तर, हद से ज्यादा बढ़ा हुआ है। यमुना का पानी न तो नहाने लायक है, न ही पीने लायक।'
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डॉक्टर चंडिकेश कुमार, त्वचा रोग विशेषज्ञ:-
अगर पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो तो वह पानी किसी भी काम के लिए सुरक्षित नहीं रहता। ऐसा पानी पीने या नहाने से बीमारियां हो सकती हैं। त्वचा रोग या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। संवेदनशील त्वचा या कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को इससे बचना चाहिए।
यमुना को साफ करने के लिए क्या किया जा रहा है?
छठ पूजा के लिए हरियाणा के हथनीकुंड बैराज से 21 अक्टूबर से औसतन 7,900 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन कलिंदी कुंज जैसे इलाकों में अब भी मोटा झाग दिख रहा है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि छठ के लिए कुछ घाट साफ किए जा रहे हैं, लेकिन यमुना को लंबे समय तक साफ करने की कोशिश हो रही है।
कपिल मिश्रा, मंत्री, दिल्ली सरकार:-
पिछले साल और आज की स्थिति में यमुना नदी के झाग की तुलना करें तो पिछले साल तक यमुना में 5 किलोमीटर लंबा और 10 फुट ऊंचा झाग था। उसकी तस्वीरें सबके पास हैं लेकिन आज इसमें जमीन-आसमान का अंतर है। पिछले सात साल से पूर्वांचल के लोगों को यमुना के घाटों पर पूजा करने से रोका गया। इन्होंने जानबूझकर पूर्वांचल समाज के लोगों को प्रताड़ित किया। जो वे 11 साल में नहीं कर पाए, वह हमने सात महीनों में कर दिखाया।
क्या झाग हटाना ही यमुना की सफाई है?
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि किसी केमिकल से अस्थाई तौर पर झाग हटाने से प्रदूषण कम नहीं होता है। पंकज कुमार कहा कि इस साल झाग पिछले साल से कम है, क्योंकि ज्यादा पानी छोड़ा गया है। लेकिन नजफगढ़ नाले का गंदा पानी अभी भी यमुना को प्रदूषित कर रहा है। यमुना की सफाई के लिए कई साल से काम कर रहे पर्यावरण कार्यकर्ता पंकज कुमार बताते हैं, 'छठ के 10 दिन बाद जब पानी कम होगा, तो प्रदूषण फिर बढ़ेगा।'
