महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक जैन मंदिर पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) का बुलडोजर चला है। मंदिर 3 दशक पुराने भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के तोड़े जाने पर महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक हंगामा बरपा है। जैन समाज का कहना है कि हमारे आस्था पर प्रहार किया गया है, वहीं दूसरी तरफ नेताओं ने कहा है कि मुसलमानों के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकारें, जैन समुदाय को निशाना बना रही हैं। मुंबई में मंदिर तोड़ने जाने के बाद जैन समुदाय के लोगों ने हजारों की संख्या में प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, कुछ नारे लिखे थे और मांग थी कि ऐसे धर्म विरोधी कामों पर रोक लगें, यह हमारी आस्था को चोट पहुंचाने की सरकारी कोशिश है। नाराज लोग मांग कर रहे हैं कि अब बीएमसी ही उसी जमीन पर मंदिर बनाए। धार्मिक आस्थाओं पर प्रहार असंवैधानिक है। कोर्ट की अवहेलना करके बीएमसी ने मंदिर तोड़ा है। बीएमसी का कहना है कि यह सब कोर्ट के आदेश पर हुआ है।
क्या चाह रहे हैं प्रदर्शनकारी?
कुछ नारे जो तख्तियों पर लिखे नजर आए, वही प्रदर्शनकारी गा भी रहे थे। एक तख्ती पर लिखा था, 'अहिंसा, कायरता नहीं है।' दूसरी तख्ती पर लिखा था, 'मंदिर सिर्फ पत्थर नहीं हैं, वे हमारी पहचान और संस्कृति हैं। एक पोस्टर में लिखा है कि हम रुकेंगे नहीं, हम हार नहीं मानेंगे। कुछ पोस्टर में मंदिर तोड़ने के ऐक्शन को असंवैधानिक बताया गया है। प्रदर्शनकारियों की एक ही मांग है कि दोबारा ऐसा कुछ न होने पाए।
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क्यों आयोजित हुई थी रैली?
रैली का मकसद BMC के दोषी अधिकारियों के खिलाफ ऐक्शन लेना था। मंदिर तोड़ने की वजह से BMC के वार्ड अधिकारी नवनाथ घाडगे को स्पेंड कर दिया गया है। जैन समाज इंसाफ मांग रहा है कि उनके मंदिर को दोबारा बनाया जाए, इसकी क्षतिपूर्ति भी बीएमसी ही करे। मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से सांसद वर्षा एकनाथ गायकवाड़ का कहना है कि भूषण गगरानी से वादा किया है कि विले पार्ले में वहीं मंदिर बनाया जाएगा।

क्यों तोड़ा गया जैन मंदिर?
पूर्वी विले पार्ले इलाके में नेमिनाथ सहकारी आवास भवन के बगल में कांबलीवाड़ी इलाके में 32 साल पुराना जैन मंदिर था। BMC की कंस्ट्रक्शन यूनिट ने 16 अप्रैल को इस मंदिर पर बुलडोजर चला दिया। इस मंदिर का केस कोर्ट में लंबित था फिर भी BMC ने पुलिसकर्मियों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंदिर तोड़ दिया। पूरा मंदिर ध्वस्त कर दिया गया है। लोगों को ऐतराज है कि जब मामला कोर्ट में लंबित है तो किस वजह से मंदिर को जमींदोज कर दिया गया।
कैसे भड़का लोगों का गुस्सा?
शुरुआत में जैन समुदाय सड़क पर आया, फिर हिंदू भी जुटने लगे। बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ लोग नारेबाजी करने लेग। जैन समाज और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता मुंबई के विले पार्ले ईस्ट में नगर निगम वार्ड कार्यलय तक पैदल निकल पड़े। धर्म जगत से लेकर राजनीतिक जगत तक इस घटना को लेकर आक्रोश है।
क्या कह रहे हैं प्रदर्शनकारी?
जैन प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मंदिर तोड़ना गलत है। अगर धार्मिक प्रतिष्ठान सुरक्षित नहीं रहेंगे तो जैन समुदाय कैसे सुरक्षित रहेगा। देवताओं और धर्मग्रंथों का अपमान नहीं होना चाहिए। लोग असंवैधानिक तरीके से पुलिस के साए में मंदिर तोड़ रहे हैं। पुलिस ने मंदिर से मूर्तियों तक को ले जाने नहीं दिया, घसीटकर बाहर निकाला, यह शर्मनाक है।

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मंदिर तोड़ने का कानूनी पक्ष क्या है?
यह मंदिर नेमिनाथ सहकारी आवास भवन के बगल में था। दावा किया गया है कि यह मंदिर एक इमारत के पार्किंग स्थल पर बना है, जिसे लेकर हंगामा शुरू हुआ। जमीन के दावेदार और मंदिर के ट्रस्टियों के बीच लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है। पहले सेशन कोर्ट में सुनवाई हुई, फिर यह केस हाई कोर्ट में लंबित है। हाई कोर्ट ने BMC को 4 बार मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था, कोर्ट ने कहा था कि अगर अब आदेश का पालन नहीं हुआ तो अदालत इसे अवमानना समझेगी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई 15 अप्रैल तक स्थगित कर दी थी। 16 को 11 बजे सुनवाई होने वाली थी लेकिन इसी दिन सुबह 8 बजे मंदिर तोड़ दिया गया। जब अदालती प्रक्रिया शुरू हुई तो बीएमसी ने कहा कि कार्रवाई चल रही है। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को रोक देने के लिए कह दिया। अब केस की सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
BMC के तर्क क्या हैं?
BMC के अधिकारियों ने मंदिर को नोटिस भेजा था। नोटिस मिलने के बाद भी मंदिर प्रशासन ने बात नहीं सुनी, जिसके बाद अधिकारियों ने मंदिर तोड़ दिया। यह ऐक्शन ईस्ट वार्ड डिपार्टमेंट ने की है। जब बीएमसी के बुलडोजर आगे बढ़े तो प्रदर्शनकारी उमड़ने लगे लेकिन उन्हें पुलिस की पहरेदारी में रोक दिया गया।
सियासत क्यों छिड़ी है?
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दल पहले ही बीजेपी पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं। जैन समाज भी अल्पसंख्यक समुदाय से आता है। विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी सरकार के निर्देश पर बीएमसी मनमानी कर रही है और अल्पसंख्यकों का हक छीन रही है। मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से सांसद वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि विले पार्ले में दोबारा मंदिर बनेगा। ऐसी कार्रवाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सीधा हमला है। देश की धर्म निरपेक्षता को निशाना बनाया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने कहा, 'विले पारले में जैन समाज के मंदिर के खिलाफ मुंबई महानगरपालिका की कार्रवाई सरासर नाइंसाफी है। हमारा देश एक धार्मिक देश है, धार्मिक स्थलों पर इस तरह की कार्रवाई से कानून व्यवस्था खराब होती है, सरकार को ऐसे मसलों के लिए अलग प्रक्रिया बनाने की जरूरत है।'
शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने मंगल प्रभात लोढा पर तंज कसते हुए कहा, 'सह-पालक मंत्री नौटंकी कर रहे हैं। सीएम उनकी पार्टी से हैं। बीएमसी सीएम कार्यकालय से संचालित होती है। खुद उसी जिले के सह पालक मंत्री हैं। कार्रवाई बीएमसी की ओर से की गई, उनकी पार्टी के मुख्यालय से आदेश आए। वे किस बात का विरोध कर रहे हैं? उन्हें अधिकार था कि वे बीएमसी से मामले की सुनवाई होने तक कोई कार्रवाई न करने के लिए कहें। वे जैन समुदाय और नागरिकों से झूठ बोल रहे हैं। सवाल यह है कि हमेशा की तरह एक अधिकारी का तबादला कर दिया गया, लेकिन मंत्री का क्या हुआ?'
देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री मगंल प्रभात लोढा ने भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, 'विलेपार्ले में स्थित पूज्य श्री पार्श्वनाथ भगवान के जैन मंदिर को हटाए जाने की घटना से जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि समाज की आस्था और श्रद्धा का केंद्र था। इस संदर्भ में आज बड़ी संख्या में जैन समाज के श्रद्धालु एकत्रित होकर शांतिपूर्ण निषेध मोर्चा निकाला। मैंने भी इस मोर्चे में सम्मिलित होकर जैन समाज की भावनाओं और मांगों का समर्थन किया।'