वक्फ एक्ट पर सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने विधानसभा में इस कानून की कॉपियां फाड़ी और नारेबाजी भी की। हंगामा इसलिए हुआ, क्योंकि स्पीकर ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से लाए गए स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।


इस दौरान जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने 'मोदी सरकार हाय-हाय' के नारे लगाए थे। इसके बाद करीब 15 मिनट तक विधानसभा को स्थगित करना पड़ा।

हंगामा कैसे शुरू हुआ?

इस हंगामे की शुरुआत तब हुई, जब वक्फ एक्ट पर चर्चा के लिए लाए गए स्थगन प्रस्ताव को स्पीकर अब्दुल रहीम ने खारिज कर दिया। स्पीकर अब्दुल रहीम ने इसके लिए नियम 56 और 58(7) का हवाला दिया, जो कहता है कि अगर कोई मामला सुप्रीम कोर्ट में है, तो उस पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

 


उन्होंने कहा, 'चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और मेरे पास इसकी कॉपी है, इसलिए नियम साफ तौर पर कहता है कि हम स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से इस पर चर्चा नहीं कर सकते।'


स्पीकर ने जब प्रस्ताव खारिज किया तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान पार्टी के दो विधायक- हिलाल लोन और सलमान सागर ने वक्फ एक्ट की कॉपी फाड़ दी। हालात तब और बिगड़ गए, जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक अब्दुल मजीद लारमी ने विधानसभा में अपने जैकेट फाड़ दी। इसके बाद लारमी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'जिस तरह से कृषि कानूनों को वापस लिया गया था, वैसे ही मोदी सरकार को वक्फ कानून भी वापस लेना चाहिए। जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, हम विधानसभा नहीं चलने देंगे। हमारी भावनाओं को ठेस पहुंची है। इसलिए मैंने अपनी जैकेट फाड़ दी।'

 

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'जब तक चर्चा नहीं होगी, तब तक कार्यवाही नहीं'

नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नजीर अहमद गुरेजी ने कहा, 'हमें नहीं लगता कि यह कानून मुसलमानों के हित में है। यह सिर्फ वोट के लिए है। हम तब तक सदन नहीं चलने देंगे, जब तक इस पर चर्चा नहीं होगी।'

 

 

कांग्रेस विधायक इरफान हाफिज लोन ने कहा, 'मजहबी मामले में कोई हस्तक्षेप करता है, हम विरोध करेंगे। हम बताना चाहते हैं कि यह कबूल नहीं है, यह सही नहीं है, इसका हम विरोध कर रहे हैं। संविधान पर हमला हो रहा है। धर्मनिरपेक्षता पर हमला हो रहा है। फेडरलिज्म को रौंदा जा रहा है।'

 

बीजेपी ने क्या कहा?

विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि यह बिल्कुल ही 'असंवैधानिक' मांग है। उन्होंने कहा, 'संसद ने बिल पास कर दिया है। राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है और अब यह कानून बन गया है।'


उन्होंने कहा, 'जब मामला कोर्ट के पास तो इस विधानसभा को इस पर बहस या चर्चा करने का कोई अधिकार नहीं है।' उन्होंने कहा कि कोर्ट में मामला विचाराधीन होने पर अगर इस पर चर्चा होती है तो यह संविधान का उल्लंघन होगा।


वहीं, पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने स्थगन प्रस्ताव खारिज किए जाने को निराशाजनक बताया है। उन्होंने बताया, 'बहुमत में होने के बावजूद एनसी-कांग्रेस गठबंधन पूरी तरह से बीजेपी के मुस्लिम विरोधी एजेंडे के आगे झुक गया। यह गठबंधन दोनों पक्षों को खुश करने की निंदनीय कोशिश कर रहा है।'