तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता से आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई संपत्तियों को आधिकारिक तौर पर अपने कब्जे में ले लिया है। पूर्व सीएम जयललिता की जब्त की गई संपत्तियों में 27 किलो सोने की ज्यूलरी, 1,116 किलो चांदी और 1,526 एकड़ जमीन शामिल हैं।

 

दरअसल, बैंगलोर की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने जयललिता की संपत्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाया है। सीबीआई कोर्ट ने जयललिता की जब्त की गई पूरी संपत्ति तमिलनाडु सरकार को हस्तांतरित करने का आदेश बुधवार को जारी किया। इससे पहले कर्नाटक विधानसभा कोषागार में संपत्ति के इन दस्तावेजों को रखा गया था। 

 

सीलबंद बक्सों में चेन्नई ले जाया गया खजाना 

 

कोर्ट के आदेश के बाद, शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच औपचारिक हस्तांतरण कार्यवाही की गई। पूरे खजाने की अनुमानित कीमत 20-22 करोड़ रुपये है। इसे छह सीलबंद बक्सों में चेन्नई ले जाया गया। पुलिस की छह गाड़ियों में लगभग 40 पुलिस अधिकारी काफिले के साथ में थे और बीच में सोने से भरा हुआ ट्रक था।

 

क्या करेगी तमिलनाडु सरकार?

 

इससे जुड़े अधिकारियों ने कहा कि तमिलनाडु सरकार या तो सोने को रिजर्व बैंक के पास जमा कर सकती है या आभूषणों के मूल्यांकन के बाद सार्वजनिक नीलामी कर सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, 'मुकदमे पर कुल खर्च 13 करोड़ रुपये आया है। यह शशिकला से प्राप्त जुर्माने से वसूला जाएगा और बची हुई राशि तमिलनाडु सरकार को हस्तांतरित कर दी जाएगी।

 

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जयललिता के पास था सोने का खजाना

 

जयललिता से जुड़ी संपत्तियों में सोने से मढ़ी तलवार, सोने का मुकुट, सोने की प्लेट, सोने की कमरबंद, जयललिता जैसी सोने की मूर्ति, सोने की घड़ियां, सोने के पेन और कई सोने की झुमके शामिल हैं। याचिकाकर्ता नरसिंह मूर्ति ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि केवल राज्य सरकार को आभूषण और दस्तावेज सौंपे गए हैं, जबकि 27 अन्य वस्तुएं 1996 से जयललिता के सचिव के पास थीं।

 

राज्य सरकार को हस्तांतरण प्रक्रिया की निगरानी कोर्ट और सरकारी अधिकारियों ने की। हस्तांतरण करते समय सभी वस्तुओं का दस्तावेजीकरण किया और उनकी तस्वीरें खींची गई।

 

सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला

 

बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी की उस याचिका को खारिज करके झटका दिया था, जिसमें जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने की मांग की गई थी। जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाया कि उनकी मौत के बाद जयललिता के खिलाफ आय से अधिक केस की कार्यवाही रोक दी गई थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जयललिता को बरी कर दिया गया।