बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली। कामेश्वर चौपाल 68 साल के थे और लंबे वक्त से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। 


कामेश्वर चौपाल राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे। राम मंदिर आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी। उन्होंने ही राम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा भी दिया था। 

कौन थे कामेश्वर चौपाल?

कामेश्वर चौपाल का जन्म 24 नवंबर 1956 को बिहार के सुपौल में हुआ था। वो जन्म से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने मधुबनी के जेएन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद मिथिला विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली। 1991 में बीजेपी ने उन्हें रोसड़ा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। हालांकि, वो चुनाव हार गए। इसके बाद 1995 में बखरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और वहां भी हार मिली। 2002 से 2014 तक चौपाल बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। 

 

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रखी थी राम मंदिर की पहली ईंट

9 नवंबर 1989 को विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास कार्यक्रम रखा था। उस वक्त कामेश्वर चौपाल विश्व हिंदू परिषद के बिहार में सह संगठन मंत्री हुआ करते थे। तब धर्मगुरुओं ने उन्हें राम मंदिर की पहली ईंट रखने को कहा था। कामेश्वर चौपाल ने एक बार बताया था कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनसे पहली ईंट रखवाई जाएगी। उन्होंने बताया था कि उन्हें ये पता था किसी दलित से पहली ईंट रखवाने का फैसला लिया है लेकिन वो दलित वही होंगे, इसका पता उन्हें नहीं था। राम मंदिर की पहली ईंट रखने के बाद कामेश्वर चौपाल का नाम देशभर में चर्चा में आ गया था।

 

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बाबरी मस्जिद पर कही थी ये बात?

कामेश्वर चौपाल ने एक इंटरव्यू पर बाबरी मस्जिद पर भी अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था, 'लोग गलत शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि दुनिया में किसी व्यक्ति के नाम पर मस्जिद नहीं है। मस्जिद तो अल्लाह के नाम पर बनाई जाती है।' उनका मानना था कि मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर इसलिए रखा गया ताकि लोगों को भड़काया जा सके।

बिहार के डिप्टी सीएम के लिए भी चला था नाम

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं। मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार का नाम तय था। उनके डिप्टी के तौर पर कामेश्वर चौपाल का नाम भी सामने आया। माना जा रहा था कि बीजेपी कामेश्वर चौपाल को डिप्टी सीएम बनाना चाहती थी। हालांकि, बाद में कामेश्वर इस रेस में पिछड़ गए थे।