उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में भी समान नागरिक संहिता लागू (UCC) हो सकती है। गुजरात सरकार ने समान नागरिक सहिंता पर कानूनी मसौदा तैयार करने के लिए एक पैनल गठित किया है। दिलचस्प बात यह है कि इस बार भी मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को ही दी गई है।
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय पैनल समान नागरिक संहिता पर कानूनी मसौदा तैयार करेगी। वह सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज हैं। उत्तराखंड का भी कानूनी मसौदा उनकी अध्यक्षता में ही तैयार हुआ था।
'गुजरात में लागू होगा UCC'
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा, 'भारतीयता हमारा धर्म है और संविधान हमारा पवित्र ग्रंथ है। हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक समान कानून लागू करने का फैसला किया है।'
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पैनल में कौन-कौन सदस्य होंगे शामिल?
सीएम भूपेंद्र पटेल ने यूसीसी के लिए एक पैनल गठित किया है। पैनल में रिटायर्ड IAS सीएल मीना, एडवोकेट आरसी कोडेकर, शिक्षाविद् दक्षेस ठाकुर, सामाजिक कार्यकर्ता गीताबेन श्राफ और जस्टिस रंजना देसाई शामिल हैं। वही पैनल की अध्यक्षता कर रही हैं।
कौन हैं जस्टिस रंजना देसाई?
जस्टिस रंजना देसाई ने साल 1970 में मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से आर्ट ग्रेजुएट किया था। उन्होंने साल 1973 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एससी प्रताप के ऑफिस में जूनियर के तौर पर काम करना शुरू किया था।
जस्टिस रंजना देसाई देश की चर्चित वकील रही हैं। उन्होंने कई सिविल और आपराधिक मामलों के निपटारे में अहम भूमिका निभाई है। वह विशेष लोक अभियोजक भी रह चुकी हैं। उन्होंने अपने पिता एसजी सामंत के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी।
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एसजी सामंत महाराष्ट्र के चर्चित वकील थे। रंजना देसाई 1979 में बॉम्बे हाई कोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर नियुक्त हुईं। साल 1996 में, उन्हें हाई कोर्ट बेंच और 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज पर प्रमोट हुईं। सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद जस्टिस रंजना देसाई को साल 2014 में इलेक्ट्रिसिटी के लिए अपीलेट अथॉरिटी का चेयरमैन बनाया गया। साल 2018 में वह एडवांस रूलिंग अथॉरिटी की अध्यक्ष बनीं।
जस्टिस रंजना देसाई क्यों चर्चा में रही हैं?
जस्टिस रंजना देसाई ने भारतीय परिसीमन आयोग का भी नेतृत्व किया है। परिसीमन आयोग ने ही जम्मू और कश्मीर के लिए 7 अतिरिक्त विधानसभा क्षेत्रों की सिफारिश की थी। जम्मू के लिए 6 और कश्मीर के लिए 1 अतिरिक्त विधानसभा सीट की सिफारिश की गई थी, जिसके बाद सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई थी। पैनल के फैसलों ने केंद्र शासित प्रदेश ने मुहर लगाई थी। अब उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो गई है। गुजरात में लागू करने के लिए औपचारिक पहल की शुरुआत हो गई है।