केरल की दो नन की छत्तीसगढ़ में हुई गिरफ्तारी पर सियासी बखेड़ा शुरू हो गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों नन को रिहा करने की मांग की हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है।

 

केरल की दोनों नन- प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से गिरफ्तार किया गया था। इन्हें 'मानव तस्करी' और 'जबरन धर्मांतरण' के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इनके साथ ही एक सुकमान मंडावी नाम के शख्स की भी गिरफ्तारी हुई थी।

 

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दोनों नन को इंसाफ दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दखल देने की मांग की है। अब मामला संसद तक जा पहुंचा है। कांग्रेस सांसद हीबी इदेन ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव देकर दोनों नन की गिरफ्तारी को 'गैरकानूनी' बताते हुए इस पर चर्चा की मांग की है।

 

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गिरफ्तार क्यों किया गया?

प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस समेत 3 लोगों की गिरफ्तारी बजरंग दल के स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत पर हुई है। बजरंग दल के कार्यकर्ता ने इन तीनों पर नारायणपुर की तीन लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करने और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था।

 

इसके बाद तीनों को 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर GRP ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया, 'लड़कियों ने बताया कि नन उन्हें नौकरी का झांसा देकर आगरा ले जा रही थीं। लड़कियों ने बताया है कि मंडावी उन्हें दुर्ग रेलवे ले आया था, जहां से उन्हें दोनों नन के साथ आगरा जाना था।'

 

 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, 'नाराणयपुर की तीन बेटियों को नर्सिंग की ट्रेनिंग दिलाने और उसके बाद जॉब दिलाने का वादा किया था। नारायणपुर के एक व्यक्ति ने दुर्ग स्टेशन पर दो नन को इन्हें सौंप दिया। इन्हें आगरा ले जाया जा रहा था। लालच देकर मानव तस्करी करके धर्मांतरण किए जाने की कोशिश की जा रही थी।'

 

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तो इसमें बवाल क्यों हो रहा है?

दोनों नन की गिरफ्तारी को 'अवैध और गैरकानूनी' बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि उनकी आस्था के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

 

केरल के सीएम पिनराई विजयन ने इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा कि सिस्टर प्रीति मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस को उस समय हिरासत में लिया गया, जब वे दोनों अपने कॉन्वेंट में नौकरी के लिए आए लोगों को लेने गई थीं। सीएम विजयन ने यह भी कहा कि नन के रिश्तेदारों ने बताया है कि जब से उन्हें हिरासत में लिया गया है, तब से उनसे कोई संपर्क नहीं हो रहा है। उन्होंने पीएम मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

 

 

नन की गिरफ्तारी पर कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने आलोचना की है। CBCI ने एक बयान जारी कर कहा है कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ती दुश्मनी और हिंसा पर अपनी गहरी पीड़ा और चिंता व्यक्त करते हैं। CBCI ने छत्तीसगढ़ की घटना को 'परेशान करने वाला' बचाया है और दावा किया दोनों नन को कथित तौर पर 'सांप्रदायिक तत्वों' के इशारे पर गिरफ्तार किया गया है।

 

CBCI ने कहा, 'दोनों नन को दो महिलाओं के साथ जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी इस तथ्य के बावजूद की गईं कि दोनों महिलाएं 18 साल से ज्यादा उम्र की थीं और उन्होंने अपने माता-पिता से लिखित सहमति भी ली थी। दोनों महिलाओं को नौकरी दी जानी थी और नन उन्हें आगरा ले जाने के लिए छत्तीसगढ़ आई थीं।'

 

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राहुल और प्रियंका ने भी उठाए सवाल

इस मामले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी सवाल उठाए हैं। राहुल ने X पर लिखा, 'छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक नन को उनकी आस्था के कारण निशाना बनाकर जेल भेज दिया गया। यह न्याय नहीं, बल्कि बीजेपी-आरएसएस का भीड़तंत्र है। यह एक खतरनाक पैटर्न को दिखाता है।' उन्होंने दोनों नन को तत्काल रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि वह चुप नहीं बैठेंगे।

 

 

प्रियंका गांधी ने अपने वायनाड ऑफिस से एक बयान जारी कर कहा, 'यह कोई अकेली घटना नहीं है। बीजेपी सरकार में अल्पसंख्यकों को लगातार प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है।'

 

 

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी इसकी आलोचना की है। उन्होंने X पर लिखा, 'छत्तीसगढ़ में बजरंग दल की ओर से केरल की कैथोलिक ननों को प्रताड़ित और झूठे आरोपों का शिकार होते देखना बेहद परेशान करने वाला है।' स्टालिन ने कहा कि 'अल्पसंख्यकों को सम्मान और समान अधिकार चाहिए, न कि डर।'

 

सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास ने सोमवार को कहा कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी 'कानून का घोर दुरुपयोग' है और उन्होंने उन्हें रिहा करने की मांग की। इसे लेकर उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय को लेटर भी लिखा है।

 

 

वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'यह महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला है। इस मामले की जांच अभी जारी है। कानून अपने हिसाब से काम करेगा। छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय राज्य है, जहां सभी धर्म-समुदाय के लोग सद्भाव से रहते हैं। हमारी बस्तर की बेटियों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को राजनीतिक रूप देना बेहद दुर्भाग्यजनक है।'

 

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छत्तीसगढ़ में पक्ष-विपक्ष

इस बीच मंगलवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अगुवाई वाला UDF का प्रतिनिधिमंडल पहुंच गया है। वहीं, बीजेपी केरल यूनिट का एक प्रतिनिधिमंडल भी आ गया है।

 

कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में UDF सांसद बेनी बेहन्नान, फ्रांसिस जॉर्ज और एनके प्रेमचंद्रन शामिल हैं। बेहन्नान ने कहा, 'हम सबसे पहले जेल जाकर ननों से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे। इसके बाद हम संबंधित अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। हमारा मकसद है ननों को जल्द से जल्द रिहा कराना।'

 

फ्रांसिस जॉर्ज ने कहा कि क्रिश्चियन कॉन्वेंट में नौकरी के लिए लोगों को ले जाना मानव तस्करी कैसे हो सकता है।