खेल को लेकर सरकार का नया बिल क्या है? BCCI पर क्या होगा असर? समझिए
देश
• NEW DELHI 24 Jul 2025, (अपडेटेड 24 Jul 2025, 8:18 AM IST)
खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के मकसद से केंद्र सरकार नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल लेकर आई है। अगर यह बिल कानून बनता है तो इससे BCCI भी केंद्र सरकार के कंट्रोल में आ जाएगा।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को लोकसभा में 'नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल' पेश किया। इस बिल में एक ऐसे बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है, जिसके बाद नियम बनाने और स्पोर्ट्स फेडरेशन के कामकाज की निगरानी करने का अधिकार होगा। खास बात यह है कि इस बिल के दायरे में बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) भी आएगा।
बिल पेश करते हुए मंडाविया ने बताया कि इस बिल में जवाबदेही की व्यवस्था बनाने के लिए एक नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड (NSB) का प्रावधान है। सभी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF) को केंद्र सरकार से वित्तीय मदद हासिल करने के लिए NSB से मान्यता लेनी होगी।
इस बिल में एक नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल बनाने का प्रस्ताव भी है। इस ट्रिब्यूनल के पास एक सिविल कोर्ट के बराबर ही शक्तियां होंगी। इसका काम स्पोर्ट्स फेडरेशन और एथलीटों से जुड़े सारे विवादों का निपटारा करना होगा। ट्रिब्यूनल के फैसलों को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी।
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अभी इस बिल को कानून की शक्त अख्तियार करने में वक्त है। सरकार का दावा है कि यह बिल स्पोर्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन में न सिर्फ पारदर्शिता लाएगा, बल्कि जवाबदेही भी तय करेगा। अगर यह कानून बन जाता है तो इससे क्या कुछ बदल जाएगा? BCCI पर क्या असर पड़ेगा? सबकुछ जानते हैं।
कानून बनने पर क्या कुछ बदलेगा?
- कार्यकाल की सीमा: खेल से जुड़ी किसी भी संस्था में अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष को लगातार 3 कार्यकाल ही मिलेंगे। इन पदों पर एक व्यक्ति 12 साल तक ही रह सकता है। इन पदों के लिए एज लिमिट 70 साल तय की गई है। हालांकि, नॉमिनेशन के वक्त अगर अंतर्राष्ट्रीय नियम इजाजत दें तो इसे 75 साल किया जा सकता है।
- एक्जीक्यूटिव कमेटी: किसी भी खेल संगठन की एक्जीक्यूटिव में 15 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते। ऐसा इसलिए ताकि वित्तीय बोझ कम हो सके। इसमें कम से कम दो खिलाड़ी और 4 महिलाएं भी होंगी। स्पोर्ट्स गवर्नेंस में जेंडर इक्वैलिटी लाने के लिए यह प्रावधान किया गया है।
- नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड: NSB में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। यह नियुक्तियां सर्च-कम-सिलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर होगी, जिसकी अध्यक्षता कैबिनेट सेक्रेटरी और स्पोर्ट्स सेक्रेटरी के पास होगी। NSB के पास नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन को मान्यता देने या निलंबित करने का अधिकार होगा। अगर कोई एक्जीक्यूटिव कमेटी चुनाव में गड़बड़ी करता है, ऑडिट नहीं करता है या सरकारी फंड का दुरुपयोग करता है तो उसे निलंबित किया जा सकता है। जिन फेडरेशन को NSB ने मान्यता दी होगी, सिर्फ उन्हें ही केंद्र सरकार से फंड मिलेगा।
- नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनलः खेल मंत्रालय का कहना है कि NSF और एथलीटों से जुड़े 350 से ज्यादा मामले अदालतों में हैं। इन विवादों का निपटारा करने के लिए एक ट्रिब्यूनल बनेगा, जिसके पास सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां होंगी। ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होंगे। इसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा या रिटायर्ड जज या हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस होंगे। सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। ट्रिब्यूनल के फैसलों को 30 दिन के भीतर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
- नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल: NSB की सिफारिश पर केंद्र सरकार नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल बनाएगी। इसमें चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग के रिटायर्ड सदस्य या मुख्य निर्वाचन अधिकारी या उप चुनाव आयुक्त होंगे। यह पैनल 'चुनाव अधिकारी' की तरह काम करेगा, जिसका काम खेल संगठनों की एक्जीक्यूटिव कमेटी और एथलीट कमेटी का स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना होगा।
- राइट टू इन्फोर्मेशन: खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के मकसद से इन्हें RTI के दायरे में लाया जाएगा। जिन भी स्पोर्ट्स फेडरेशन को NSB से मान्यता मिली होगी, वह सभी RTI के दायरे में आएंगे। अब तक वही खेल संगठन RTI के दायरे में आते थे जिन्हें सरकार से फंड मिलता था या जिन पर सरकार का कंट्रोल था।
- India नाम के लिए NOC: अगर कोई खेल संगठन अपने नाम, लोगो या किसी भी तरह की गतिविधि के लिए 'India', 'Indian' या 'National' या राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल करना चाहता है तो केंद्र सरकार से NOC लेनी होगी। अगर कोई खेल संगठन मान्यता प्राप्त नहीं है तो उसे भी इनका इस्तेमाल करने के लिए NSB और केंद्र सरकार से NOC लेनी होगी। अगर किसी संगठन की मान्यता रद्द हो गई है या निलंबित है तो वह 'India' या किसी भी राज्य या जिले के नाम का इस्तेमाल भी नहीं कर सकेगा।
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BCCI के लिए क्या कुछ बदल जाएगा?
BCCI अभी सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह से बाहर है, क्योंकि यह एक निजी संगठन है जो सोसायटी के तौर पर रजिस्टर है। यह तमिलनाडु सोसायटी रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1975 के तहत रजिस्टर है। घरेलू क्रिकेट के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से जुड़े सारे मामले BCCI ही संभालती है।
BCCI का कहना है कि उसे सरकार से कोई वित्तीय मदद नहीं मिलती। वह विज्ञापन, स्पॉन्सरशिप, मीडिया राइट्स, IPL और टिकट बिक्री से कमाता है, इसलिए उस पर सरकार का कंट्रोल नहीं हो सकता।
हालांकि, अब BCCI पर भी सरकार का नियंत्रण होगा। BCCI अब RTI के दायरे में भी आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 2028 के ओलंपिक में टी-20 क्रिकेट को भी शामिल किया गया है और इसके लिए BCCI को NSB के तहत खुद को NSF के तौर पर रजिस्टर करना होगा।
RTI वाला पेच BCCI और सरकार के बीच विवाद की वजह भी हो सकता है। 2018 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने BCCI को 'पब्लिक अथॉरिटी' बताया था और कहा था कि यह भी RTI के दायरे में आता है। हालांकि, BCCI ने RTI का पालन करने में आनाकानी की। इसके अलावा, अब तक BCCI की एक्जीक्यूटिव कमेटी के चुनाव और कामकाज में सरकार का कोई कंट्रोल नहीं था लेकिन NSF के तौर पर रजिस्टर होने के बाद केंद्र सरकार का इसमें दखल हो जाएगा।
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