पेटीएम के भी आखिर अच्छे दिन आ ही गए। सालों से घाटों में चल रही कंपनी अब मुनाफे में आ गई है। पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस को 2025-26 की पहली तिमाही में 123 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है।
लेकिन किस कीमत पर? शायद कर्मचारियों की कीमत पर। कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्ट बताती है कि नॉन-सेल्स एम्प्लॉई पर होने वाला खर्च 28% कम किया गया है। दूसरी तरफ सेल्स एम्प्लॉई पर खर्च बढ़ा है। वह इसलिए भी क्योंकि किसी भी कंपनी का बिजनेस बढ़ाने में सेल्स एम्प्लॉई ही काम आते हैं।
पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के फाइनेंशियल रिजल्ट जारी करते हुए पेटीएम ने बताया है कि खर्चों में कटौती करने से उसका रेवेन्यू बढ़ा है, जिस कारण उसे मुनाफा हुआ है।
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पेटीएम को कितना फायदा हुआ?
- रेवेन्यू कितना बढ़ा?: कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सालाना आधार पर उसका ऑपरेटिंग रेवेन्यू 28% बढ़ गया है। 2024-25 की पहली तिमाही में कंपनी को 1,502 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था। 2025-26 की पहली तिमाही में यह बढ़कर 1,918 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, तिमाही आधार पर देखा जाए तो यह 4% के आसपास बढ़ा है। 2024-25 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च में कंपनी को 1,841 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था।

- मुनाफा कितना हुआ?: कंपनी बहुत सालों में पहली बार मुनाफे में आई है। 2024-25 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में कंपनी को 840 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। 2025-26 की पहली तिमाही में कंपनी का मुनाफा बढ़ाकर 123 करोड़ रुपये पहुंच गया। इस हिसाब से देखा जाए तो सालभर में कंपनी का 963 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। इससे पहले 2024-25 की आखिरी तिमाही में भी कंपनी को 93 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
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इतना मुनाफा कैसे हो गया?
एक साल में कंपनी ने कई ऐसी रणनीतियां अपनाई हैं, जिससे उसे फायदा हुआ है। नतीजों के मुताबिक, कंपनी को पेमेंट सर्विस से होने वाला रेवेन्यू सालभर में 23% बढ़कर 1,110 करोड़ रुपये हो गया।
इसके अलावा, एक साल में पेटीएम के मर्चेंट सब्सक्राइबर्स भी 27% तक बढ़ गए हैं। 2024-25 की पहली तिमाही में पेटीएम के मर्चेंट सब्सक्राइबर्स की संख्या 1.09 करोड़ थी, जिनकी संख्या 2025-26 की पहली तिमाही में बढ़कर 1.30 करोड़ तक पहुंच गई।
इसी दौरान कंपनी का ग्रॉस मर्चेंडाइस रेवेन्यू (GMV) में भी 27% की बढ़ोतरी हुई है। GMV यानी पेटीएम से कितना ट्रांजेक्शन हुआ। 2024-25 की पहली तिमाही में कंपनी का GMV 4.3 लाख करोड़ रुपये था, जो 2025-26 की पहली तिमाही में बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

पेटीएम के जरिए न सिर्फ पेमेंट होती है, बल्कि लोन भी मिलता है और ट्रेडिंग भी होती है और इन्वेस्टमेंट भी होता है। कई सारे सर्विसेस भी कंपनी देती है। यह सब फाइनेंशियल सर्विस में गिनी जाती हैं। एक साल में कंपनी को फाइनेंशियल सर्विसेस से मिलने वाला रेवेन्यू 100% बढ़ा है। पिछली साल की पहली तिमाही में कंपनी को फाइनेंशियल सर्विस से 280 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था। इस साल की पहली तिमाही में यह 561 करोड़ रुपये पहुंच गया।
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कर्मचारियों की कीमत पर हुआ मुनाफा?
कंपनी को मुनाफे में पहुंचाने के पीछे खर्च में कटौती भी बड़ी वजह है। कंपनी ने एक साल में अपना खर्चा काफी कम किया है। मार्केटिंग और कर्मचारियों पर किए जाने वाले खर्च में कटौती की है। पेटीएम ने बताया है कि मार्केटिंग पर भी सिर्फ 62 करोड़ रुपये खर्च किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 65% कम है।
कंपनी के मुताबिक, नॉन-सेल्स एम्प्लॉई पर होने वाला खर्च भी कम हुआ है। पिछले साल की पहली तिमाही में कंपनी ने नॉन-सेल्स एम्प्लॉई पर 482 करोड़ रुपये खर्च हुआ था, जो इस साल की पहली तिमाही में घटकर 346 करोड़ रुपये हो गया। यानी, एक साल में नॉन सेल्स एम्प्लॉई पर होने वाला खर्च 28% कम हो गया है।

दूसरी तरफ सेल्स एम्प्लॉई पर होने वाला खर्च बढ़ा है। वह इसलिए, क्योंकि यही कर्मचारी कंपनी के लिए बिजनेस लेकर आते हैं। इन कर्मचारियों पर कंपनी ने 2024-25 की पहली तिमाही में 224 करोड़ खर्च किए थे, जो 2025-26 की पहली तिमाही में बढ़कर 266 करोड़ रुपये हो गया। यानी एक साल में 19% खर्च बढ़ा है। एक साल में सेल्स एम्प्लॉई बढ़े भी हैं। पिछले साल इनकी संख्या 31,604 थी, जो अब बढ़कर 38,945 हो गई है।
ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या कंपनी ने छंटनी की, जिस कारण उसे मुनाफा हुआ। पिछले साल जून में खबर आई थी कि कंपनी ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। हालांकि, छंटनी को लेकर कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक बयान या आंकड़ा नहीं दिया गया था।
हालांकि, कंपनी ने बताया है कि सेल्स एम्प्लॉई के खर्च में इसलिए कमी आई है, क्योंकि AI का इस्तेमाल कर प्रोडक्टिविटी बढ़ाई गई है।