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ज्यादा कीमत पर 80% छूट वाला खेल होगा बंद! नियम बदलने वाली है सरकार

किसी प्रोडक्ट की MRP कितनी होगी? इसे अभी मैनुफैक्चरर्स और सेलर अपने हिसाब से तय करते हैं। अब सरकार इस MRP को तय करने के फॉर्मूले को बदलने का प्लान कर रही है।

mrp rules

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

अगर कोई दुकानदार हमसे तय MRP से एक रूपया भी ज्यादा मांगता है तो झगड़ने लगते हैं। मगर हममें से कितनों ने सोचा है कि MRP कौन और कैसे तय करता है? अब जब सरकार MRP तय करने के फॉर्मूले को बदलने की तैयारी कर रही है तो इसके बारे में जानना जरूरी हो जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही मैक्सिमम रिटेल प्राइस यानी MRP के ढांचे में बड़ा बदलाव कर सकती है। बताया जा रहा है कि इसे लेकर सरकार ने इंडस्ट्री, कंज्यूमर और टैक्स से जुड़े प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी।

 

ऐसा इसलिए करने की तैयारी है, ताकि बढ़ी हुई और कन्फ्यूज करने वाली MRP पर लगाम लगाई जा सके। अभी कंपनियां या इंडस्ट्री एक MRP तय करती हैं। अब यह MRP कितनी होगी? यह कंपनी पर निर्भर करता है।

 

सरकार इस सिस्टम को पारदर्शी बनाना चाहती है ताकि ग्राहकों को सही कीमत पर सामान मिले और उनके साथ कोई धोखा न हो।

क्या है सरकार का प्लान?

लाइवमिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, MRP के सिस्टम में बदलाव करने के लिए सरकार ने एक मीटिंग बुलाई थी। इसमें इंडस्ट्री, कंज्यूमर और टैक्स से जुड़े अफसर शामिल हुए थे।

 

इस बैठक में सरकार ने इन सभी से MRP के ढांचे को बदलने पर सुझाव मांगे हैं। सरकार चाहती है कि MRP को प्रोडक्ट की लागत से जोड़ दिया जाए। अभी ऐसा नहीं होता है। अभी कंपनियां अपनी मर्जी से किसी भी प्रोडक्ट की MRP तय कर सकती हैं।

 

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यह MRP क्या होती है?

MRP सिर्फ पैकिंग वाले प्रोडक्ट्स पर ही लागू होती है। सर्विसेस और खुले में बिकने वाले सामान पर तय नहीं होती। MRP को 1990 में लागू किया गया था। यह वह कीमत होती है, जिस पर कोई पैक्ड प्रोडक्ट रिटेल मार्केट में बेचा जाता है। इसी MRP में सभी तरह के टैक्स भी शामिल होते हैं।

 

किसी प्रोडक्ट की MRP कितनी होगी? यह मैनुफैक्चरर या सेलर लागत, सारे खर्च और अपना मुनाफा ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है। जैसा कि नाम से साफ है कि यह वह अधिकतम कीमत होती है जो ग्राहक को सामान खरीदने के लिए चुकानी होती है।

 

MRP सिस्टम को इसलिए लाया गया था ताकि टैक्स चोरी रोकी जा सके और ग्राहकों को मुनाफाखोरी से बचाया जा सके।

कैसे तय होती है MRP?

MRP आमतौर पर मैनुफैक्चरर्स और सेलर की तरफ से तय की जाती है। इसके लिए कई सारी बातों का ध्यान रखा जाता है।

 

किसी प्रोडक्ट की लागत कितनी है? मुनाफा कितना होगा? माल ढुलाई का खर्चा कितना होगा? कमीशन कितना देना होगा? दुकानदार का मुनाफा कितना होगा? GST कितना लग रहा है? विज्ञापन पर कितना खर्च हो रहा है? जैसे सारे खर्चे जोड़ने के बाद एक MRP तय की जाती है।

 

मैनुफैक्चरर्स और सेलर को MRP तय करने की छूट रहती है। जरूरी सामानों और दवाओं की कीमतों को छोड़कर मैनुफैक्चरर्स और सेलर बाकी उत्पादों की कितनी भी MRP तय कर सकते हैं। इसी कीमत पर फिर रिटेल मार्केट में वह सामान बेचा जाता था।

 

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सरकार क्यों बदलना चाहती है इसे?

ऐसा इसलिए क्योंकि अभी MRP को रेगुलेट करने का कोई तरीका नहीं है। जानकारों का मानना है कि अक्सर कई उत्पादों की MRP बेतुकी होती है। इसके अलावा, उनका यह भी मानना है कि भारत में MRP का फॉर्मूला बहुत पुराना हो गया है और अब इसे बदलने की जरूरत है। यह भी तर्क है कि अभी इस बात को जांचने का कोई तरीका नहीं है कि MRP वाजिब है या नहीं?

 

यही कारण है कि सरकार MRP के फॉर्मूले को बदलना चाहती है। इससे दो फायदे होंगे। पहला- ग्राहकों के साथ कोई धोखा नहीं होगा और उन्हें सही कीमत पर सामान मिलेगा। दूसरा- मैनुफैक्चरर्स या सेलर मनमानी MRP तय नहीं कर पाएंगे।

 

यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कई बार MRP बढ़ाकर उस पर भारी डिस्काउंट देकर ग्राहकों को ललचाने की कोशिश की जाती है। इस कारण एक ही प्रोडक्ट की अलग-अलग जगह या ऑनलाइन स्टोर पर अलग-अलग कीमत होती है। अभी MRP तय करने का कोई नियम नहीं है, जिससे मैनुफैक्चरर्स को मनमानी करने की छूट मिल जाती है।

 

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कैसे होता है MRP का यह खेला?

कई बार दुकानदार या मैनुफैक्चरर्स किसी प्रोडक्ट की MRP 1,000 रुपये रख देते हैं और बाद में उस पर डिस्काउंट दे देते हैं।

 

एक अधिकारी ने मिंट को बताया, 'अगर किसी प्रोडक्ट की MRP 5,000 रुपये है लेकिन 50% डिस्काउंट के बाद उसे 2,500 रुपये में बेचा जाता है तो सवाल उठता है कि जब 2,500 में बेचकर मुनाफा हो रहा है तो टैग पर इतनी ऊंची कीमत क्यों छपी थी?'

 

उन्होंने कहा, 'क्या 50% का डिस्काउंट सिर्फ ग्राहकों को लुभाने की एक चाल थी?' उन्होंने बताया कि सभी मामलों की जांच की जा रही है, ताकि दुकानदार को कानूनी तौर पर प्रोडक्ट को उसकी MRP पर बेचने की ही अनुमति हो।

क्या ऐसा हो सकता है?

सरकार चाहती है कि MRP सिस्टम को बदला जाए। हालांकि, सभी इसके पक्ष में नहीं हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा तर्क दिया जा रहा है कि MRP सिस्टम में बदलाव करने की जरूरत नहीं है। उनका तर्क है कि अगर MRP को लागत से जोड़ दिया जाएगा, तो हो सकता है कि इससे कई सारे प्रोडक्ट बंद हो जाएंगे।

 

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