खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए खुद अपनी याचिका पर बहस की। वह असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में नेशनल सिक्योरिटी ऐक्ट (NSA) के तहत बंद हैं। अमृतपाल संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल होने के लिए पैरोल मांग रहे हैं।

 

अमृतपाल सिंह ने चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की बेंच के सामने कहा कि उनकी जेल में बंदी की वजह से उनके संसदीय क्षेत्र का सारा काम रुक गया है। वह संसद में अपनी क्षेत्र की जनता की समस्याएं जैसे बाढ़, नशे की लत और कथित फर्जी एनकाउंटर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह करीब 19 लाख लोगों के प्रतिनिधि हैं और उनकी आवाज संसद में पहुंचनी चाहिए।

 

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खुद हुए शामिल

यह सुनवाई उस समय हुई जब वकीलों की हड़ताल की वजह से कोई वकील कोर्ट में नहीं आ सका। राज्य सरकार की तरफ से भी कोई वकील नहीं पहुंचा। इसलिए कोर्ट ने मामले को कल के लिए टाल दिया।

 

अमृतपाल सिंह की याचिका में उन्होंने पंजाब सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनकी पैरोल की अर्जी खारिज कर दी गई थी। वह 1 दिसंबर से 19 दिसंबर 2025 तक संसद के शीतकालीन सत्र में व्यक्तिगत रूप से शामिल होने के लिए पैरोल चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने NSA की धारा 15 का हवाला दिया है, जो विशेष परिस्थितियों में पैरोल देने की अनुमति देती है।

पहले मिली थी पैरोल

याचिका में यह भी बताया गया है कि पहले उन्हें शपथ लेने के लिए दिल्ली जाने की पैरोल मिली थी। वह दिल्ली हाई कोर्ट के एक फैसले का भी जिक्र करते हैं, जिसमें एक अन्य सांसद को जेल से संसद सत्र में शामिल होने की इजाजत दी गई थी। अमृतपाल ने कहा कि वह शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। उनकी करीब तीन साल की हिरासत अब सजा जैसी हो गई है। साथ ही, संविधान के अनुच्छेद 101 का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई सांसद 60 दिन तक संसद से अनुपस्थित रहे तो उसकी सीट खाली घोषित की जा सकती है।


साल 2023 में नेशनल सिक्युरिटी ऐक्ट (एनएसए) हिरासत लिए जाने के बाद अमृतपाल सिंह की यह पहली तस्वीर सामने आई है। वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाई कोर्ट में पेश हुए जहां उन्होंने अपनी दलीलें खुद ही दीं।

बढ़ा दी थी हिरासत

अमृतपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अपनी हिरासत को बढ़ाए जाने के आदेश को भी चुनौती दी थी और इसके खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में नई याचिका दायर की थी। अमृतपाल ने कहा था कि हिरासत का नया आदेश असंवैधानिक है और यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

 

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उन्होंने दलील देते हुए कहा कि पंजाब सरकार ने एनएसए को बढ़ाए जाने के लिए जिन मामलों का हवाला दिया है, उनमें उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता साबित नहीं होती और सरकार के डॉज़ियर में कुछ घटनाएं ऐसी भी बताई गई हैं जो तब हुईं जब वह जेल में बंद थे, इसलिए उनके शामिल होने की बात असंभव है।