पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर का उल्लंघन किया जा रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान की ओर से लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर फायरिंग बढ़ा दी गई है। इस फायरिंग की वजह से पुंछ सेक्टर में 13 नागरिकों की मौत हो गई है और लोग घायल हुए हैं। लगातार गोलीबारी और मोर्टार शेलिंग की वजह से LoC पर मौजूद घरों को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसी के चलते LoC पर मौजूद गांवों को खाली करवाया जा रहा है और लोगों को वहां से निकाला जा रहा है। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के यहां जा रहे हैं तो कुछ पहले से तय जगहों पर शिफ्ट हो रहे हैं। इस बीच लोगों के बीच डर और संशय की स्थिति बनी हुई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रचार प्रभाग ने बताया कि कुल 59 लोग घायल हुए हैं, जिसमें से 44 लोग पुंछ के हैं। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान की सेना जम्मू कश्मीर में LoC के पास कई क्षेत्रों में भारी गोलाबारी कर रही है, जिनका भारतीय सेना प्रभावी रूप से जवाब दे रही है। एक सैन्य अधिकारी ने कहा, '7 और 8 मई की रात के दौरान पाकिस्तानी सैन्य चौकियों ने बिना किसी उकसावे के जम्मू कश्मीर में एलओसी के पास के क्षेत्रों कुपवाड़ा, बारामूला, उरी और अखनूर में छोटे और बड़े हथियारों से गोलीबारी की। भारतीय सेना ने इसका माकूल जवाब दिया।' बढ़ते तनाव के मद्देनजर अधिकारियों ने आदेश दिया है कि जम्मू क्षेत्र के पांच सीमावर्ती जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थान गुरुवार को दूसरे दिन भी बंद रहेंगे।
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लगातार फायरिंग की वजह से दीवारें टूट रही हैं और कई लोग घायल भी हो रहे हैं। खतरे को देखते हुए लोग अपने घर छोड़ने पर भी मजबूर हो रहे हैं। घरों की खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हो गए हैं, कुछ घरों पर गोले गिरने के बाद आग भी लग गई है। सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
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क्या कह रहे हैं स्थानीय?
ऐसी ही फायरिंग में नुकसान झेलने वाले एक शख्स ने बताया, 'मैं कहना चाहता हूं कि पीएम मोदी ने जो किया है, वह बहुत अच्छा किया है लेकिन इस सब में गरीब लोगों का जो नुकसान हुआ है, उसके बारे में भी कुछ सोचा जाय। यह मेरे बच्चों का घर है, यह पूरा तबाह हो गया है। पाकिस्तान की ओर से जो शेलिंग हो रही है, उसकी वजह से नुकसान हुआ है। अभी तक यहां किसी विभाग का कोई आदमी यहां नहीं आया। तहसीलदार या पटवारी को यहां आकर आकलन करना चाहिए।'
LoC पर लगातार हो रही फायरिंग की वजह से लोगों को संवेदनशील इलाकों से हटाया जा रहा है। ऐसे ही एक ग्रामीण ने कहा, 'ये प्लॉट हमें साल 2007 में सरकार की ओर से दिए गए थे। 1999 में हुए युद्ध की वजह से हमें ये दिए गए थे कि जब फायरिंग हो तो आप यहां आ सकते हो। कुछ लोगों ने यहां मकान बनाए हैं लेकिन कुछ लोग नहीं बना पाए क्योंकि वे गरीब थे। जितना फंड दिया था, उससे मकान नहीं बन सकता था। जो भी लोग आए हैं, फायरिंग होने पर वे एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। अभी हमें अलर्ट किया गया है कि फायरिंग हो सकती है तो हम यहां आए हैं। फायरिंग नहीं हुई तो हम वापस चले जाएंगे। जब भी फायरिंग होती है तो हम ऐसे ही करते हैं। जिनको अलर्ट किया गया है, वे सब यहां आ गए हैं। यहां थोड़ा सुरक्षित है।'
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शांति की अपील कर रहे हैं लोग
LoC के पास के एक गांव में एक महिला का घर पूरी तरह से टूट गया है। इस महिला ने कहा, 'हम लोग घर के अंदर थे। थोड़ी बहुत गोलाबारी हो रही थी तो हम लोग बाहर निकल गए। जब गोला पड़ा तो हमें कुछ पता ही नहीं चला। हमारे कुछ बच्चे जख्मी हो गए हैं। यह सब सुबह के 3 बजे हुआ। हमें सिर्फ धुआं ही धुआं नजर आ रहा था। हम लोग जैसे-तैसे इकट्ठे हुए। हमारा सब खत्म हो गया। जो कपड़े पहन रखे हैं, वही बचा है। लोगों को छर्रे लगे हैं। मेरा घरवाला बीमार रहता है, शुगर पेशेंट हैं। हम गरीब लोग हैं, फिर से घर कहां से बनाएंगे। यह सब बंद होना चाहिए, शांति होनी चाहिए।'
लगातार गोलीबारी के चलते आग लगने की घटनाएं भी हो सकती हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन ने उरी में दमकल की गाड़ियां इकट्ठा कर ली हैं और उन्हें अलर्ट मोड पर रखा गया है। फायर एंड इमरजेंसी ऑफिस शबीर उल हसन ने बताया, 'हमें बताया गया है कि यहां हालात थोड़ा खराब है। इसलिए हमें श्रीनगर, बारामुला, सोपोर, पटन और अन्य जगहों से गाड़ियां बुलाई हैं। हम अलर्ट मोड पर हैं और तैयार हैं। हमारे पास फोम टेंडर है, वाटर टेंडर है और 5 इंजन भी हैं।'