2024 का साल डिजिटल अरेस्ट के मामलों की वजह से खूब चर्चा में रहा है। डॉक्टर, वकील, पुलिसकर्मी, एक्टर और तमाम पढ़े-लिखे लोग भी इसका शिकार हुए हैं। अब मुंबई से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। इस बार इस मामले ने लोगों को हैरान किया है कि क्योंकि एक महिला को एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। इतने समय में 77 साल की महिला से 3.8 करोड़ रुपये ले लिए गए। कहा जा रहा है कि भारत में यह पहला केस है जब किसी को भी इतने लंबे समय तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया हो। इस केस ने लखनऊ के उस केस की याद दिला दी है जब पीजीआई की एक डॉक्टर से इसी तरह करोड़ों रुपये की ठगी की गई थी।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन ठगों ने महिला को डरा दिया था कि वह मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंस चुकी हैं। उन्हें वॉट्सऐप कॉल करके ठगों ने इस बारे में बताया और डराकर अपने जाल में फंसा लिया। महिला का कहना है कि ठगों ने उन्हें फोन करके कहा कि उन्होंने ताइवान के लिए जो पार्सल भेजा था, उसे इंटरसेप्ट कर लिया गया है। ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि जो पार्सल भेजा गया है उसमें 5 पासपोर्ट, 4 किलोग्राम कपड़े, MDMA ड्रग और बैंक कार्ड है। मुंबई क्राइम ब्रांच के मुताबिक, इन लोगों ने महिला को एक फर्जी नोटिस भी भेजा था।
कैसे फंसाया गया?
महिला ने इन लोगों से कहा कि उन्होंने कोई पार्सल भेजा ही नहीं है तो उन्हें बताया गया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके यह काम किया गया है। इस तरह से डराकर कॉल ट्रांसफर करने का झांसा दिया गया। इसके बाद जिससे बात हुई उसने खुद को क्राइम ब्रांच का सीनियर अधिकारी बताया। इस अधिकारी ने महिला को वही कहानी बताई।
जब इन लोगों को लगा कि महिला थोड़ा-बहुत फंस रही हैं तो उनसे स्काइप सॉफ्टवेयर डाउनलोड करवाया गया। यह काम जिस शख्स ने करवाया उसने खुद को IPS आनंद राणा बताया। महिला को कहा गया कि वह इस कॉल को काट नहीं सकती हैं और न ही इसके बारे में किसी और को कुछ बता सकती हैं। इसी कॉल में एक और शख्स जुड़ा और उसने खुद को फाइनेंस डिपार्टमेंट का अधिकारी बताया।
स्काइप पर एक महीने कनेक्ट रखा
अब यहां से महिला से पैसे लेने की शुरुआत हुई। इन लोगों ने महिला को एक बैंक अकाउंट दिया और उसमें पैसे ट्रांसफर करने को कहा। महिला को बताया गया कि यह जांच का हिस्सा है। महिला को भरोसा दिलाया गया कि अगर वह निर्दोष साबित होती हैं तो उनके पैसे लौटा दिए जाएंगे। इस तरह से तमाम वादे करके महिला को लगभग एक महीने तक इसी कॉल पर कनेक्ट रखा गया। अगर कॉल कट जाती तो तुरंत ही फिर से फोन आ जाता।
महिला का कहना है कि पहली बार उनसे 15 लाख रुपये लिए गए और यह सिलसिला लगातार चलता रहा। इस तरह एक महीने में उनसे 3.8 करोड़ रुपये ले लिए गए। जब महिला को लगा कि यह गड़बड़ हो रहा है तो उन्होंने अपनी बेटी को इसके बारे में बताया और यहां से बात सामने आई।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
फर्जी कॉल करने वाले लोग वॉट्सऐप या अन्य ऐप के जरिए वीडियो कॉल करते हैं। कई बार ये खुद को अलग-अलग सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताते हैं। कई बार ये खुद पुलिस की वर्दी में भी दिखते हैं। आपके मोबाइल नंबर, आधार कार्ड, पैन नंबर जैसी गुप्त जानकारी से जुड़ी बातें आपको बताकर ये आपको फंसाते हैं कि आप किसी न किसी अपराध में फंस गए हैं। इस तरह से ये लोग पीड़ित व्यक्ति को फंसा लेते हैं और उससे पैसों की उगाही करते हैं। ये लोग वीडियो कॉल हमेशा चालू रखवाते हैं ताकि आपकी हर गतिविधि पर नजर रख सकें और आप उनके सामने से कहीं जा न पाएं।