साइबर क्राइम, जिसमें ठग ऑनलाइन माध्यम से लोगों की निजी जानकारी लेते हैं या उनके पैसे ठग लेते हैं। भारत ऐसे मामलों में खासा बढ़ोतरी हो रही है, जिसमें साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। रविवार को एक ऐसा ही दिलचस्प मामला सामने आया। लेकिन साइबर ठगों की ‘डिजिटल अरेस्ट’ योजना उस समय धरी की धरी रह गई, जब उन्हें पता चला कि उन्होंने इंदौर क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश डंडोतिया को अपना शिकार बना लिया है।
यह घटना दोपहर करीब 2 बजे की है, जब डंडोतिया अपने ऑफिस में थे। उन्हें एक ऑटोमेटेड वॉयस कॉल मिली, जिसमें कहा गया कि उनके क्रेडिट कार्ड से 1,11,930 रुपए की धोखाधड़ी हुई है और एक एफआईआर दर्ज की गई है। कॉलर ने यह भी धमकी दी कि उनका बैंक अकाउंट दो घंटे के भीतर फ्रीज कर दिया जाएगा।
डंडोतिया ने ठगों की योजना समझते हुए उनका साथ देने का नाटक किया। जब ठगों ने वीडियो कॉल कर उनकी ‘स्टेटमेंट रिकॉर्ड’ करने की कोशिश की, तो डंडोतिया को पुलिस की वर्दी में देखकर वे घबरा गए और तुरंत कॉल काट दी।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक साइबर अपराध का तरीका है, जिसमें ठग खुद को कानून-प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी बताते हैं। वे पीड़ित को यह डराते हैं कि उसके खिलाफ केस दर्ज है, और उसे एक कमरे में बंद होकर उनकी निगरानी में रहना होगा। इस दौरान वे पीड़ित से पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं।
डंडोतिया ने बताया कि ठग पहले खुद को बैंक अधिकारी बताते हैं और फिर पुलिसकर्मी बनकर कॉल करते हैं। ठगों ने दावा किया कि डंडोतिया का आधार कार्ड ‘गलत तरीके से इस्तेमाल’ हुआ है और मुंबई के अंधेरी वेस्ट पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। ठगों ने कहा कि डंडोतिया को दो घंटे के भीतर अंधेरी वेस्ट पुलिस स्टेशन आना होगा। डंडोतिया ने कहा कि उन्होंने ठगों को बताया कि वह दस साल से मुंबई नहीं गए हैं और तुरंत वहां नहीं पहुंच सकते। इसके बाद ठगों ने उन्हें ‘सीनियर ऑफिसर’ से बात कराने की बात कही।
थोड़ी देर में एक नया कॉल आया, जिसमें ठग ने ‘जय हिंद’ कहा और उनसे बयान लेने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही ठगों ने वर्दी में एडिशनल डीसीपी डंडोतिया को देखा, उन्होंने घबराकर कॉल काट दिया। डंडोतिया ने बताया कि उन्होंने जानबूझकर बातचीत जारी रखी, ताकि ठगों की चाल को समझ सकें और लोगों को इस तरह के साइबर अपराधों से सावधान कर सकें।