केंद्र सरकार ने गुरुवार को 21 महीनों से अशांत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब चार दिन पहले ही राज्य में चल रही जातीय हिंसा के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।
मणिपुर के बीजेपी प्रभारी संबित पात्रा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद कहा कि मणिपुर में विधानसभा 'निलंबित' रहेगी। दरअसल, राज्य में हिंसा को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार पर विपक्ष की तरफ से काफी दबाव था। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते कानून-व्यवस्था की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।
राष्ट्रपति शासन क्या है?
मणिपुर में अब राष्ट्रपति शासन लग चुका है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर राष्ट्रपति शासन क्या होता है? केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा दी गई शक्तियों के तहत लगाती है। केंद्र ने गुरुवार को जारी आदेश में कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस बात से संतुष्ट हैं कि मणिपुर में ऐसी स्थितियां पैदा हो गई हैं, जिसमें संविधान तहत राज्य की सरकार नहीं चल सकती।
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अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि अगर किसी राज्य में मणिपुर जैसी स्थिति पैदा हो जाती है तो राष्ट्रपति शासन लगा सकती हैं। अनुच्छेद 355 केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करता है कि भारत में हर राज्य सरकार संविधान के तहत काम करे।
राष्ट्रपति शासन के तहत मणिपुर में किसका नियंत्रण होगा?
- राष्ट्रपति शासन में राष्ट्रपति के पास राज्य की सारी शक्तियों आ जाती हैं। इसमें राज्य सरकार और राज्यपाल दोनों की शक्तियां आती हैं।
- मणिपुर में राष्ट्रपति की तरफ से राज्यपाल राज्य का प्रशासन चलाएंगे। इस दौरान राज्यपाल अजय कुमार भल्ला मणिपुर के मुख्य सचिव और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सलाहकारों की मदद लेंगे।
- राष्ट्रपति शासन में राष्ट्रपति राज्य के विधानमंडल की शक्तियों को निलंबित या भंग करते हैं। राष्ट्रपति शासन के तहत विधानसभा के निलंबित या भंग होने पर संसद राज्य विधेयक और बजट पारित करती है।
- संसद कानून बनाने की शक्तियां राष्ट्रपति या उनके द्वारा बताए हुए प्राधिकरण को सौंपती है।
- राष्ट्रपति राज्य को जारी किए गए पैसे की निधि से खर्च करने के लिए बजट स्वीकृत कर सकता है।
- राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य के लिए बनाया गए कानून और नियम राष्ट्रपति शासन खत्म होने के बाद भी लागू रहते हैं। हालांकि, इन कानूनों को विधानसभा द्वारा निरस्त, संशोधित किया जा सकता है।