लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। हरिवंश राय बच्चन की इन लाइनों को जयपुर के रहने वाले मनु गर्ग ने सही साबित किया है। मनु गर्ग अपनी आंखो से कुछ नहीं देख सकते लेकिन उनका नाम संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2024 के सिलेक्टिड कैंडिडेटस की लिस्ट में सभी देख रहे हैं। मंगलवार को यूपीएससी ने रिजल्ट घोषित किया जिसमें गुलाबी नगरी जयपुर के मनु गर्ग को कामयाबी मिली है। मनु की यह कामयाबी न सिर्फ बेमिसाल है, बल्कि यह उन लोगों के लिए प्रेरणा भी है, जो शरीर की किसी कमजोरी की वजह से हिम्मत हार बैठते हैं। 

 

कल यूपीएससी का रिजल्ट आया तो बहुत से लोगों की संघर्ष की कहानी हमारे सामने आई। इन्हीं में से एक हैं जयपुर के शास्त्री नगर इलाके के रहने वाले मनु गर्ग। मनु गर्ग जब 8वीं कक्षा में थे तब धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी कम होने लगी थी और फिर उन्हें पूरी तरह दिखाई देना बंद हो गया था। इसके बाद भी मनु ने हार नहीं मानी और यूपीएससी में 91वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने आईएएस ऑफिसर बनने का सपना दूसरे ही प्रयास में पूरा कर लिया। मनु की उम्र सिर्फ 23 साल ही है। आंखों की रोशनी चले जाने के बाद मनु की मां उनका सहारा बनी और आईएएस बनकर लोगों की सेवा करने का सपना मनु को दिखाया। 

 

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8वीं कक्षा में चली गई आंखों की रोशनी 


मनु ने बताया कि वह बचपन से ही नेत्रहीन नहीं हैं। 8वीं कक्षा तक वह भी अन्य लोगों की तरह दुनिया को अपनी नजरों से निहार पाते थे। जब वह 8वीं कक्षा में थे तो उनकी आंखों की रोशनी कम होना शुरू हो गई और धीरे-धीरे उन्हें पूरी तरह से दिखना बंद हो गया। इसके बाद मनु को लगा कि उनकी जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा है। इस मुश्किल समय में मनु की मां वंदना उनका सहारा बनी। मां ने मनु को एक नया सपना दिया। मां ने मनु को यूपीएससी के बारे में बताया और उसकी तैयारी भी करवाई। 


मां ने रटवाए नोट्स


मनु की मां वंदना ने यूपीएससी का सपना ही नहीं दिखाया बल्कि उसको पूरा करने में मदद भी की। आंखों से दिखना बंद होने के बाद मनु के नोट्स उनकी मां वंदना तैयार कर उन्हें रटाती थी। बीच में कई ऐसे मौके आए जब मनु और उनके परिवार वालों को मायूसी का सामना करना पड़ा। मनु को जो उसके परिवार का साथ मिला उसके सहारे वह संघर्ष करते रहे। अंत में उनकी मेहनत रंग लाई और वह आईएएस अधिकारी बन गए। 

तकनीक को बनाया सहारा


मनु ने आंखों की रोशनी न होने को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। जब उनकी आंखों ने साथ छोड़ दिया तो मनु ने तकनीक को अपना सबसे बड़ा साथी बनाया। नेत्रहीन लोगों के लिए बनी तकनीक स्क्रीन रीडर, ऑडियो नोट्स और डिजिटल लर्निंग टूल्स की मदद से उन्होंने पढ़ाई की । मनु ने साबित कर दिया कि जब इरादे मजबूत हों तो कोई भी शारीरिक चुनौती लक्ष्य को छूने से नहीं रोक सकती।

 

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जेएनयू से की पढ़ाई


मनु की शुरुआती शिक्षा जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन और फिर जेएनयू से पॉलिटिकल सांइस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। अभी वह जेएनयू में जूनियर रिसर्च फेलो हैं। मनु बताते हैं कि उन्होंने यूपीएससी में आने का सपना ग्रेजुएशन के दौरान देखा था और तभी से उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी थी।

 

परिवार बना सहारा 


मनु के लिए यूपीएससी की परीक्षा पास करना आसान नहीं था। मनु जब भी हार मानते तो उनका परिवार उनके साथ खड़ा रहकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करता रहा। मनु ने बताया कि इस सफलता में उनके परिवार का अहम योगदान रहा। मनु ने कहा, 'मेरे परिवार ने हमेशा मुझ पर विश्वास किया और मुझे आगे बढ़ने की पूरी आजादी दी। आज जो कुछ भी हूं, उसमें उनका बहुत बड़ा हाथ है।'

 

 

'डिसेबल लोगों के लिए काम करूंगा'


मनु से जब पूछा गया कि वह आईएएस अधिकारी बनने पर किस क्षेत्र में काम करना चाहेंगे तब मनु ने बताया कि वह डिसेबल लोगों के लिए काम करना चाहेंगे। मनु ने कहा, 'सिविल सर्वेंट के रूप में जिस भी क्षेत्र में जिम्मेदारी मिलेगी उसमें बेस्ट दूंगा लेकिन हेल्थ, डिसेबिलिटी और एजुकेशन के लिए काम करना चाहुंगा।'