हंगामे और विरोध के बीच लोकसभा से 'विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' बिल पास हो ही गया। इसे VB-G RAM G बिल भी कहा जा रहा है। इस बिल को लेकर बुधवार को लोकसभा में 14 घंटे तक चर्चा हुई थी। रात 1 बजकर 35 मिनट तक इस पर चर्चा हुई थी। गुरुवार को जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्षी सांसद हंगामा करते हुए वेल तक आ पहुंचे। आखिरकार यह बिल ध्वनिमत से पास कर दिया।

 

विपक्षी सांसद इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर हंगामा कर रहे थे। इस पर जवाब देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि मोदी सरकार ने महात्मा गांधी के आदर्शों को जिंदा रखा।

 

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने बापू के आदर्शों को खत्म कर दिया था। एनडीए ने पीएम आवास योजना के तहत पक्का घर बनाकर, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत के माध्यम से बापू के आदर्शों को जिंदा रखा है।'

 

बिल पास होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। हालांकि, विपक्ष ने बाहर निकलकर अपना विरोध जताया। विपक्षी सांसदों ने प्रेरणा स्थल पर बनी महात्मा गांधी की प्रतिमा से लेकर मकर द्वार तक मार्च निकाला।

 

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अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। इसके बाद यह 20 साल पुरानी मनरेगा की जगह ले लेगा। ऐसे में जानते हैं कि पुरानी मनरेगा और नए VB-G RAM G बिल में क्या कुछ अलग है?

मनरेगा बनाम VB-G RAM G: कितना फर्क?

1. काम के कितने दिन होंगे?

महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम, जिसे MGNREGA भी कहा जाता है, का मकसद ग्रामीण इलाकों में परिवारों की आजीविका को सुरक्षित करना है। वहीं, VB-G RAM G बिल कहता है कि इसका मकसद 'एक समृद्ध और मजबूत ग्रामीण भारत के लिए सशक्तिकरण, विकास, तालमेल और पूरी कवरेज को बढ़ावा देना है।'

 

MGNRGEA के तहत, ग्रामीण परिवारों के हर सदस्य को सालभर में कम से कम 100 दिन काम मिलता था। इस काम की इन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलती है।

 

वहीं, VB-G RAM G बिल में रोजगार की गारंटी वाले दिनों को बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। इसका मतलब हुआ कि अगर यह कानून बनता है तो ग्रामीण परिवारों के एक सदस्य को हर साल 125 दिन का रोजगार मिलेगा।

 

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2. काम क्या करना होगा?

इन दोनों ही स्कीम में अनस्किल्ड काम शामिल हैं। यानी, ऐसे काम जिनके लिए किसी खास स्किल की जरूरत नहीं होती, वैसे काम करवाए जाते हैं और उसके लिए मेहनताना मिलता है। 

 

MGNGREA के तहत, ग्रामीण परिवारों को किसी भी तरह का काम मिल सकता था। जरूरत के हिसाब से काम लिया जाता था। इसे लेकर कोई नियम-कायदे नहीं थे। हालांकि, नए बिल में इसे सीमित कर दिया गया है।

 

नए बिल में रोजगार को 4 कैटेगरी में सीमित कर दिया गया है। पहली- पानी की सुरक्षा के लिए पानी से जुड़े काम। दूसरी- ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम। तीसरी- रोजगार के इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम। चौथी- मौसमी घटनाओं को कम करने के लिए खास काम।

 

3. काम के तरीके में अलग क्या?

दोनों स्कीम में काम के तरीके में बड़ा फर्क है। MGREGA एक डिमांड वाली स्कीम थी। जबकि, नई स्कीम सप्लाई के हिसाब से काम करेगी।

 

MGNREGA के तहत ये होता था कि मजदूर अगर काम मांग रहा है तो उसे काम दिया जाता था। इसके लिए पूरा पैसा भी केंद्र सरकार देती थी। काम मांगना मजदूर का कानूनी हक था। मगर नए बिल के तहत अगर काम है तो ही काम मिलेगा।

 

इतना ही नहीं, अगर काम की मांग है तो केंद्र सरकार ज्यादा पैसे देने के लिए बाध्य थी। मगर अब नई स्कीम के तहत केंद्र सरकार हर राज्य का एक अलोकेशन तय करेगी और उस हिसाब से पैसा देगी। 

 

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4. फंडिंग को लेकर क्या कुछ बदला?

पुरानी योजना पूरी तरह से केंद्र की थी। इसमें सारा पैसा केंद्र सरकार ही देती थी। मगर नए बिल में केंद्र और राज्यों के बीच फंड का बंटवारा कर दिया गया है।

 

MGNREGA की मजदूरी को 100% फंड केंद्र सरकार करती थी। जबकि, किसी सामान की 75% लागत केंद्र और 25% राज्य सरकार देती थी। अब नए बिल में पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के बीच पूरे बजट को 90:10 के अनुपात में बांटा जाएगा। जबकि, बाकी राज्यों में यह 60:40 का अनुपात होगा। इसका मतलब हुआ कि नई स्कीम के तहत जो खर्च होगा, उसका 60% केंद्र और 40% राज्य सरकार देगी।

 

इतना ही नहीं, अगर काम मांगने पर 15 दिन के भीतर काम नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी भत्ता मिलता है। नई स्कीम में भी इसका प्रावधान है। हालांकि, 15 दिन के भीतर काम नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ता राज्य सरकार देगी।

 

5. साल में 60 दिन बंद रहेगा काम

MGNREGA के तहत, ऐसा कोई प्रावधान नहीं था जो काम पर रोक लगा सके। लेकिन VB-G RAM G बिल में प्रावधान किया गया है कि खेती के सीजन में 60 दिन तक काम पर रोक लगाई जाएगी।

 

प्रस्तावित बिल में प्रावधान है कि खेती के पीक सीजन के दौरान मजदूरों की कमी न पड़े, इसके लिए बुवाई और कटाई के पीक सीजन की घोषणा सरकार करेगी। इस दौरान इस कानून के तहत कोई काम नहीं किया जाएगा।

 

यह पहली बार है जब बुवाई और कटाई के पीक सीजन के दौरान 60 दिनों तक ग्रामीण रोजगार को रोकने का प्रावधान किया गया है। सरकार का तर्क है कि यह ग्रामीण रोजगार और कृषि उत्पादकता के बीच संतुलन बनाता है।

 

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अब आगे क्या होगा?

VB-G RAM G बिल अभी लोकसभा से पास हुआ है। इसे अब राज्यसभा में लाया जाएगा। यहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। तब यह कानून बनेगा। सरकार ने बताया है कि जब तक नए कानून के तहत न्यूनतम मजदूरी तय नहीं हो जाएगी, तब तक MGNREGA के तहत मिलने वाली मजदूरी ही रहेगी। जब VB-G RAM G कानून को लागू किया जाएगा तो 6 महीने के भीतर राज्य सरकारों को नए प्रावधानों के हिसाब से योजना लानी होगी।