इंटरनेट के बिना हमारी जिंदगी अधूरी है। इसके जरिए हर चीज अब बेहद आसान हो गई। सब्जी, कपड़े और यहां तक की दोस्ती और प्यार तक इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है लेकिन वो कहते है ना कि कोई भी चीज कितनी ही अच्छी क्यों न हो उसके दुष्प्रभाव भी जरूर होते हैं। ऐसे में इंटरनेट के भी कुछ दुष्प्रभाव हैं, जैसे अपराध, साइबर क्राइम और धोखाधड़ी।
डिजिटल दुनिया को अपराध मुक्त करना आसान नहीं है। दुनियाभर में साइबर अपराध के मामले हद से ज्यादा बढ़ रहे हैं। इंटरनेट के आम उपभोक्ताओं पर किए गए सर्वे से पता चलता है कि लगभग 76 प्रतिशत महिलाएं अपनों से जुड़े रहने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं, तो वहीं 57 प्रतिशत महिलाएं जानकारी जुटाने और मनोरंजन के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं।
ऐसे में महिलाएं सबसे अधिक साइबर अपराध का सामना करती हैं। डिजिटल थ्रेट, उत्पीड़न, अनचाही कॉल समेत फ्राड कॉल्स, पॉर्नोग्राफी, डेटिंग के जरिए धांधली, फोन से जानकारी चुराने जैसे मामले बढ़ते जा रहे है। ऐसे में साइबर फ्रॉड की इस जालसाजी दुनिया से कैसे निकला जाए? देश में इसको लेकर कोई काम हो भी रहा है या नहीं?
साइबर फ्रॉड के केस सुलझाना और आसान हुआ
साइबर फ्रॉड कर लोगों को ठगने वाले ठगों को ट्रेस कर उन्हें पकड़ने के लिए भोपाल की साइबर क्राइम विंग के एसआई भरत प्रजापति ने इसका समाधान निकाल लिया है। जी हां, ऐसे क्राइम करने वालों को पकड़ना अब पुलिस के लिए बेहद आसान हो गया है। दरअसल, भरत प्रजापति ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसके जरिए साइबर फ्रॉड के केस सुलझाना और आसान हो गया है। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल देशभर के 10 से ज्यादा राज्यों की पुलिस कर रही है। इस सॉफ्टवेयर का नाम - Investigationcamp.com है।
क्या है इस वेबसाइट की खूबियां?
इस वेबसाइट की कई खूबियां जिसके तहत पुलिस के लिए जांच प्रक्रिया बेहद आसान हो गई है। फ्री एक्सेस होने वाली वेबसाइट पर एक बार में कई यूजर काम कर सकते हैं। तकनीकी जांच के लिए पुलिस को अब तक कई सॉफ्टवेयर खरीदने पड़ जाते थे। ऐसे में इस वेबसाइट में वो सारे फीचर हैं जिसके जरिए क्रिमिनल्स को पकड़ना बेहद आसान हो गया है।
कौन हैं भरत प्रजापति?
भरत प्रजापति ने अपनी पढ़ाई बीएससी (बायो) में की है। वह 5 साल से साइबर विंग में पोस्ट है। इसी दौरान उन्होंने आईटी की बारीकियां सीखीं। एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि ऐसे कई केस थे जिनमें बहुत परेशानी आती थी और समय भी बर्बाद होता था। इन परेशानियों पर फोकस कर समाधान पर काम किया गया। भरत के लिंकडिन प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने साइबर धोखाधड़ी से जुड़े 7,000 से अधिक मामलों का समाधान किया है और साइबर सुरक्षा से संबंधित 500 से अधिक मामलों को निपटाया है।
वेबसाइट बनाने के लिए नहीं ली एक दिन भी छुट्टी
भरत प्रजापति ने इस वेबसाइट को बनाने के लिए कोई छुट्टी नहीं ली। दिन के समय ऑफिस का काम निपटाने के बाद वह हर रात 9 से 3 बजे तक वेबसाइट की डिजाइनिंग पर काम करते थे। बता दें कि इस वेबसाइट का इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशनल सेंटर पर प्रेंजेंट किया जा चुका है। देश के कई राज्यों की पुलिस अब इसका इस्तेमाल भी कर रही हैं। भोपाल डीसीपी क्राइम अखिल पटेल ने कहा कि अब तक जो वक्त एनालिसिस में बर्बाद होता था, उसका उपयोग क्रिमिनल्स को पकड़ने में हो रहा है। इस वेबसाइट ने काम बहुत आसान कर दिया है।
इस वेबसाइट से क्या-क्या हुआ आसान?
आईपी इंटेलिजेंस- वीपीएन और प्रॉक्सी आईपी एड्रेस की पहचान आसान हो गई है। आईपी एड्रेस किस देश का उपयोग हुआ, किस कंपनी का है, अपलोड करते ही जानकारी सामने आ जाती है।
सीडीआर का एनालिसिस- मोबाइल करियर्स बल्क लुकअप फीचर से सीडीआर का एनालिसिस एक क्लिक पर उपलब्ध है। सिम कार्ड किसके नाम है, कंपनी, लोकेशन, नंबर अभी कहां पर एक्टिव है, इसकी जानकारी भी आसानी से मिल जाएगी।
आईएफएससी खर्च- अकाउंट की डिटेल के लिए पुलिस बैंक पर निर्भर रहती थी। अब इस फीचर ने सबकुछ आसान बना दिया है। बैंक स्टेटमेंट अपलोड करते ही बैंक, ब्रांच और फोन नंबर सब स्क्रीन पर दिखने लगती है।
सीडीआर रूट ट्रेस भी हुआ आसान- यूजर किस रूट पर है इसका पता भी आसानी से लग सकता है। पूरा चार्ट स्क्रीन पर आ जाएगा। आरोपी तक पहुंचने के लिए एक लिंक भी शो होता है जिससे लोकेशन आसानी से ट्रेस किया जा सकता है।
एनसीआरपी ग्राफ- ठगी का पैसा किसके अकाउंट में ट्रांसफर हुआ है इसकी भी जानकारी आसानी से मिल जाती है। इसमें किन-किन खातों में रकम पहुंची और पैसे कहां से निकाले गए, सभी की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।