छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला। नेशनल पार्क इलाके में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड एक नक्सल विरोधी अभियान पर जाते हैं। नक्सलियों की तलाश में वे भोपालपट्टनम इलाके तक पहुंचते हैं, तभी जवान का पैर एक प्रेशर IED पर पड़ता है। एक तेज धमाका होता है और DRG जवान दिनेश नाग शहीद हो जाते हैं। उनके साथ उनके दो अन्य साथी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं। नक्सलियों की चपेट में आकर जान गंवाने की यह पहली घटना नहीं है, न ही अंतिम। साल 2025 में कई जवानों की मौत हुई, जवान वामपंथी उग्रवाद का शिकार हुए। 

6 जनवरी 2025 को भी बीजापुर के कुटरू इलाके में अंबेली नाला के पास जैसे ही जवान पहुंचे, नक्सिलियों ने डीआरजी जवानों को ले जा रही बख्तरबंद गाड़ी पर IED विस्फोट किया। 1 ड्राइवर और 8 जवान वहीं शहीद हो गए। यह साल 2025 का सबसे बड़ा नक्सली हमला था। 
 
6 अगस्त, 2024 को लोकसभा में गृह मंत्रालय ने कहा था कि 2010 के मुकाबले नक्सल हिंसा में 73 फीसदी और मौतों में 86 फीसदी की कमी आई है। जून 2024 तक हिंसक घटनाओं में 32 फीसदी और मौतों में 17 फीसदी की कमी दर्ज की गई। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2013 में 126 से घटकर 2024 में 38 हो गई है। पर इन आंकड़ों से इतर एक सच्चाई यह भी है कि जवान अब भी शहीद हो रहे हैं। 

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सरकार का नक्सल मुक्त अभियान, 2025 में कितने खत्म हुए नक्सली?

  • 3 जनवरी: गरियाबंद, छत्तीसगढ़ में 3 नक्सली मारे गए
  • 4 जनवरी: अबूझमाड़, छत्तीसगढ़ में 5 नक्सली ढेर
  • 5 जनवरी: बीजापुर में 5 नक्सली मारे गए
  • 9 जनवरी: सुकमा-बीजापुर सीमा पर 3 नक्सली ढेर
  • 12 जनवरी: बीजापुर में 5 नक्सली मारे गए
  • 16 जनवरी: बीजापुर-सुकमा में 18 नक्सली ढेर
  • 21 जनवरी: गरियाबंद, छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर 16 नक्सली मारे गए
  • 1 फरवरी: बीजापुर के गंगालूर में 8 नक्सली ढेर
  • 2 फरवरी: कांकेर के पानीडोबिर में 1 नक्सली मारा गया
  • 9 फरवरी: बीजापुर के इंद्रावती नेशनल पार्क में 31 नक्सली मारे गए
  • 20 मार्च : बीजापुर और कांकेर में 30 नक्सली ढेर

देश में कितना खत्म हो पाया नक्सलवाद? 

पहले देश में नक्सलवाद से प्रभावित कुल जिलों की संख्या 38 थी। नक्सल से गंभीर रूप से प्रभावित जिलों की संख्या 12 थी, जो अब घटकर 6 हो गई। चिंताजनक जिलों की संख्या 9 थी, जो अब घटकर 6 हो गई है। वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 17 थी, जो अब घटकर 6 हो गई है।  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि देश में नक्सलवाद से बुरी तरह जूझ रहे जिलों की संख्या अब घटकर सिर्फ 6 पर सिमट गई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अब देश में 12 है।

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कब तक खत्म होगा नक्सलवाद?

केंद्रीय गृहमंत्री अमित अमित शाह ने 1 अप्रैल 2025 को ऐलान किया था कि 31 मार्च 2026 तक भारत से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

कहां अब भी जवानों की जान निगल रहा है नक्सलवाद?

नक्सलवाद से कुल प्रभावित जिलों में से अति प्रभावित 12 जिले घटकर अब 6 रह गए हैं। छत्तीसगढ़ के 4 जिले और महाराष्ट्र का एक जिला अब भी नक्सल प्रभावित है। ये जिले कौन से हैं, आइए जानते हैं 

  • छत्तीसगढ़: बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा
  • झारखंड: पश्चिमी सिंहभूम
  • महाराष्ट्र: गढ़चिरौली 

नक्सलवाद से प्रभावित जिले कितने बचे?

पहले नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की संख्या देश में 38 थी। 10 साल के नरेंद्र मोदी सरकार में 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ कंसर्न' जिलों की संख्या 9 से घटकर 6 रह गई है। ये ऐसे जिले हैं, जहां अब भी सरकार को सुरक्षा के लिए खास इंतजाम करना पड़ता है। ये जिले कौन से हैं, आइए जानते हैं- 

  • आंध्र प्रदेश: अल्लूरी सीता राम राजू
  • मध्य प्रदेश: बालाघाट
  • ओडिशा: कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी
  • तेलंगाना: भद्राद्रि-कोठागुडेम

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिले कितने बचे?

पहले देश में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 17 थी। अब घटकर यह 6 पर पहुंच गई है। यहां लगातार नक्सलवाद का असर कम हो रहा है। 

  • छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी
  • झारखंड: लातेहार
  • ओडिशा: नुआपाड़ा
  • तेलंगाना: मुलुगु 

नक्सलवाद से अति प्रभावित जिलों में क्या होता है?

नक्सलवाद से अति प्रभावित 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न' के तौर पर लिस्टेड जिलों में सरकार विशेष केंद्रीय सहायता के तहत मदद देती है। जो जिले अति प्रभावित हैं, वहां बुनियादी ढांचो को दुरुस्त करने के लिए 30 करोड़ और जो चिंताजनक जिले हैं, वहां 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। इन जिलों के लिए जरूरत के हिसाब से अलग-अलग प्रोजेक्ट चलाए जाते हैं।   

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सरकार का नक्सलवाद पर दावा क्या है?

गृह मंत्रालय ने कहा है कि एक साल में वामपंथी उग्रवाद में तेजी से कमी आई है। अब उग्रवाद प्रभावित इलाकों में नए सुरक्षा कैंप बनाए जा रहे हैं। वहां सड़क, बेहतर परिवहन सुविधाएं, पानी, बिजली और शासन की दूसरी जन कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है।