देशभर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्राएं निकाली जा रही हैं। ओडिशा, भगवान जगन्नाथ का मुख्य धाम है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा आयोजित की जाती है। देवी सुभद्रा, भगवान बलभद्र और भगवान जगन्नाथ को रथों पर बैठाकर झांकी निकाली जाएगी। रथ यात्रा शुरू होने से पहले पुरी के राजपरिवार के गजपति दिव्य सिंह देव रथ के आगे सोने के झाड़ू से सड़क साफ करेंगे, रथ यात्रा की शुरुआत होगी। रथ पर बैठकर भगवान, अपने भाई और बहन के साथ मंदिर परिसर से 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। यह उनकी मौसी का घर कहा जाता है। भगवान जगन्नाथ की ही एक रथ यात्रा, पश्चिम बंगाल के दीघा में भी निकाली जा रही है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से यह रथ यात्रा आयोजित की जा रही है। दोपहर 1 बजे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस रथ यात्रा में शामिल होंगी। उनकी इस यात्रा पर जमकर विवाद हो रहा है।
पश्चिम बंगाल का दीघा मंदिर पहले भी विवादों में रहा है। ममता बनर्जी सरकार ने 250 करोड़ की लागत से यह मंदिर तैयार कराया था। मंदिर पूरी तरह से ओडिशा के मंदिर की नकल है। मंदिर के ट्रेड मार्क को लेकर विवाद सुर्खियों में रहा है। अब उसी तर्ज पर दीघा में भगवान जगन्नाथ मंदिर में पहली रथ यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा करीब एक किलोमीटर लंबी होगी।
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ANI को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, 'दीघा जगन्नाथ यात्रा पुरी रथ यात्रा से प्रेरित है। यहां के रथ पुरी के रथों की तरह ही तैयार किए गए हैं। थोड़ी देर में भगवान अपने रथ पर आरूढ़ (बैठेंगे) होंगे और रथ यात्रा शुरू हो जाएगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस रथ यात्रा में दोपहर 2 बजे तक शामिल होंगी।'
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पश्चिम बंगाल में TMC की रथ यात्रा पर BJP क्यों भड़की?
पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की दीघा के जगन्नाथ मंदिर यात्रा पर जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने दीघा के मंदिर को 'पर्यटन स्थल' बताया और कहा कि ओडिशा का पुरी ही भगवान जगन्नाथ का असली धाम है। सुवेंदु अधिकारी ने कहा, 'ममता बनर्जी दीघा मंदिर घूमने गई हैं। पुरी धाम ही जगन्नाथ का असली धाम है।' दूसरी तरफ बीजेपी के नेताओं का दावा है कि मुस्लिम व्यापारियों के यहां से खरीदी गई मिठाई लोगों को बांटी जा रही है। यह मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचाया।
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भारतीय जनता पार्टी ने अपने आधिकारिक X हैंडल से पोस्ट किया है, 'ममता बनर्जी हिंदुओं के धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही हैं। पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों में यह ममता बनर्जी की वोट जुटाने की साजिश है।'
बीजेपी सांसद ज्योतिर्मय सिंह ने कहा, 'पूरे देश में रथ यात्रा निकाली जा रही है लेकिन कुछ लोग नाटक कर कर रहे हैं। कुछ लोग वोट जुटाने के लिए यह ड्रामा कर रहे हैं।'

सुकांता मजूमदार, बीजेपी सांसद:-
ऐसा लगता है कि उन्हें पुरी के धाम में घुसने नहीं दिया गया था। इसके बदले में उन्होंने पुरी की रथ यात्रा की नकल करके नई रथ यात्रा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा तो होगा नहीं न, पुरी तो एक धाम है। वह मंदिर कहां है, उन्होंने तो खुद कहा है कि वहां कल्चरल सेंटर है। हिंदू धर्म को लेकर ऐसा नहीं करना चाहिए।
दूसरी ओर, ममता बनर्जी का दावा है कि दीघा का मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल बन गया है। ममता बनर्जी ने कहा, 'रथ यात्रा 1 किमी के रास्ते पर सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। दोपहर 2:30 बजे आरती होगी।' ममता बनर्जी खुद रस्सी खींचने के लिए लोगों के साथ शामिल होंगी।
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क्यों खास है पश्चिम बंगाल का दीघा मंदिर?
दीघा का मंदिर 250 करोड़ की लागत से 20 एकड़ में बनकर तैयार हुआ है। ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल, 2025 को इस मंदिर का उद्घाटन किया था। यह मंदिर पुरी के 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से प्रेरित है और इसमें भी सुभद्रा, बलभद्र और भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां हैं। हालांकि, दीघा मंदिर को 'जगन्नाथ धाम' कहने पर बीजेपी और बीजेडी नेताओं आक्रोश है। यह नाम, पुरी के मंदिर के लिए सदियों से इस्तेमाल होते आया है।

क्यों खास होती है रथ यात्रा?
रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को भक्त गुंडिचा मंदिर तक खींचते हैं, जहां वे एक सप्ताह रहते हैं और फिर वापस लौटते हैं। पश्चिम बंगाल में भी इसी तर्ज पर रथ यात्रा निकाली जा रही है।
रथ यात्रा के प्रसाद वितरण पर भी हंगामा
बीजेपी IT सेल के हेड अमित मालवीय और बीजेपी नेता सुकांता मजूमदार दोनों ने दावा किया कि दीघा जगन्नाथ धाम के लिए प्रसाद बनाने का ठेका मुस्लिम मिठाई की दुकानों को दिया गया है। बीजेपी ने इसे सियासी मुद्दा बनाया है। बीजेपी का कहना है कि यह मंदिर की पवित्रता को भंग करने की साजिश है। सोशल मीडिया पर भी लोग ममता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।