पश्चिम बंगाल के दीघा में बना भगवान जगन्नाथ का मंदिर, कलिंग शैली में बनाया गया है। मंदिर के 4 स्तंभ इसे और सुंदर बना रहे हैं। पढ़ें इस मंदिर की खासियतों के बारे में।
दीघा जगन्नाथ मंदिर| Photo Credit:ChatGPT
पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन 30 अप्रैल को किया जाएगा। बुधवार के दिन मंदिर में देवाताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मूल रूप से इस मंदिर को ओडिशा के पुरी में बने 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। मंदिर के उद्घाटन के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हवन और पूजन के लिए मंगलवार को ही दीघा पहुंच गईं थी। दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करीब 20 एकड़ में किया गया है। मंदिर के निर्माण के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से लाल बलुआ पत्थर मंगाए गए थे। मंदिर प्रशासन का कहना है कि मंदिर के अनुष्ठान के लिए अलग-अलग तीर्थों से पवित्र जल पहले ही मंदिर में लाया जा चुका है।
दीघा जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन की तैयारी पूरी हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, मंदिर के उद्घाटन के बाद डायनेमिक लाइट शो और लेजर शो भी करवाया जाएगा। मंदिर के उद्घाटन से पहले दीघा की सड़कों को लाइटों से सजा दिया गया है। वहीं, मंदिर के इर्द- गिर्द के इलाकों की दीवारों को एक कलर में रंगा गया है। मंदिर से जुड़े एक कार्यकर्ता ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन होने वाली पूजा के दौरान कई अनुष्ठान का आयोजन किया गया है।
मंदिर में विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंदिर (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं।
मंदिर के अनुष्ठान के लिए मंगलवार को महायज्ञ का आयोजन किया गया था। महायज्ञ में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल हुई थीं। मंदिर की देखरेख करने वाले आधिकारियों के मुताबिक, महायज्ञ में करीब 100 कुंतल आम और बेल की लड़की और 2 कुंतल घी का इस्तेमाल किया गया था।
मंदिर के ध्वज को रोज बदला जाएगा
दीघा के जगन्नाथ मंदिर की खासियत क्या है?
पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह, दीघा के मंदिर भी चार मंडप बनाए गए हैं। यह मंदिर कलिंग शैली में बना है। इनका नाम- विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंदिर (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं।
दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां पुराने पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही बनाई गई हैं, लेकिन ये पत्थर से बनी हैं।
चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बने हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद, अरुण स्तंभ है, फिर सिंह द्वार है और इसके ठीक सामने व्याघ्र द्वार है। हर दरवाजे के पास सीढ़ियां और छतरी बनी है।
हर दरवाजे को शंख, चक्र और कमल से सजाया गया है। मंदिर के गुंबद से लेकर हर दरवाजे पर रंग-बिरंगी लाइटिंग लगाई गई है।
पुरी मंदिर की तरह, दीघा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर हर शाम झंडा फहराया जाएगा।
मंदिर की ऊंचाई लगभग 65 मीटर (213 फीट) है।
मंदिर की निर्माणाधीन तस्वीर
जगन्नाथ पुरी की तरह निकलेगी यात्रा
बंगाल सरकार मंदिर के उद्घाटन के बाद साल में एक बार रथ यात्रा निकालने की योजना बना रही है। रथ यात्रा निकालने के लिए पहले से ही रथ बनाए जा चुके हैं। संभावना है कि जून महीने में पहली रथ यात्रा का आयोजन किया जाएगा। बता दें कि दीघा से पुरी की दूरी करीब 350 किलोमीटर है।
साल 2018 में घोषणा की गई थी कि मंदिर का निर्माण साल 2022 में शुरू होगा। मंदिर के निर्माण में करीब 3 साल का समय लगा है। दीघा मंदिर का निर्माण हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HIDCO) ने किया है। राज्य सरकार ने इसपर करीब 250 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसका पूरा मैनेजमेंट इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) को सौंपी जाएगी।