आतंकी आए, धर्म पूछा और फिर गोली मार दी। पहलगाम में आतंकियों ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं। पहलगाम से 6 किलोमीटर दूर बैसरन घाटी में छुट्टियां मना रहे पर्यटकों पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। गोलियों की आवाज जब बंद हुई तो बैसरन में सन्नाटा में छा गया। थोड़ी देर बाद चीख-पुकार मची तो उनमें से कइयों ने अपनों को खो दिया था। 


अधिकारियों का मानना है कि आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ से होते हुए दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग के रास्ते बैसरन घाटी तक पहुंचे होंगे। वहां मौजूद पर्यटकों का कहना है कि सेना और पुलिस की वर्दी पहने 4-5 आतंकी आए थे। चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने कुरान की आयतें पढ़ने को कहा और जो नहीं पढ़ सका, उसके सिर में गोली मार दी।


इस आतंकी हमले में सिर्फ उन 26 पर्यटकों की मौत ही नहीं हुई है, बल्कि इसने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन की भी हत्या कर दी है। जम्मू-कश्मीर का एक अखबार 'ग्रेटर कश्मीर' लिखता है, 'यह कश्मीर की पहचान और अर्थव्यवस्था पर सीधा हमला है।'


आतंकियों ने जिस तरह से पर्यटकों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे जम्मू-कश्मीर के पर्यटन पर बुरा असर पड़ने की पूरी-पूरी आशंका है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का भी अहम योगदान रहा है।

 

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J-K में रिकॉर्ड तोड़ रही थी पर्यटकों की संख्या

जम्मू-कश्मीर अब टेररिज्म से टूरिज्म की ओर बढ़ने लगा था। पिछले कुछ सालों से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही थी।


आजादी के बाद 1960 से 1980 के दशक के बीच कश्मीर पर्यटकों की पहली पसंद में से एक रहा था। कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां हुई थी। हालांकि, 1990 के दशक की शुरुआत में जब आतंकवाद बढ़ने लगा तो पर्यटकों की संख्या भी घटने लगी। 2019 के बाद यह संख्या फिर बढ़ने लगी थी।


2024-25 के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, 2024 में करीब 2.36 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आए थे। इनमें से करीब 65 हजार विदेशी पर्यटक थे। सर्वे के मुताबिक, इनमें से 2 करोड़ से ज्यादा पर्यटक जम्मू आए थे और लगभग 35 लाख कश्मीर आए थे। 5.12 लाख से ज्यादा यात्रियों ने अमरनाथ यात्रा की थी जबकि 94.56 लाख श्रद्धालुओं ने वैष्णो देवी के दर्शन किए थे। 

 


जम्मू-कश्मीर में आने वाले पर्यटकों में से ज्यादातर अमरनाथ यात्री और वैष्णो देवी के श्रद्धालु होते थे। मगर अब पर्यटकों की संख्या बाकी जगहों पर भी खूब बढ़ने लगी थी। गुलमर्ग गंडोला में 7.68 लाख पर्यटक आए थे और इससे 103 करोड़ की कमाई हुई थी। इतना ही नहीं, 2023 में जम्मू-कश्मीर में 103 फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग भी हुई थी।

 

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पर्यटन कैसे बढ़ा रहा था इकोनॉमी?

अर्थव्यवस्था बढ़ाने में पर्यटन की हमेशा से अहम भूमिका रही है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में दुनियाभर में पर्यटन से 11 ट्रिलियन डॉलर की कमाई हुई थी। यानी, दुनियाभर की जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 10% रही।


इसी तरह, जम्मू-कश्मीर उन राज्यों में से है, जहां की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा रोल है। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने बजट पेश करते हुए बताया था कि राज्य की जीडीपी में 7% योगदान पर्यटन का है।


2017 से पहले तक जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में करीब 8 हजार करोड़ रुपये का योगदान था। हालांकि, अब ये आंकड़ा कहीं ज्यादा बढ़ गया है। 2024-25 में जम्मू-कश्मीर की जीडीपी 2.65 लाख करोड़ रुपये रही। अगर इसमें 7% का योगदान माना जाए तो आज के समय में जम्मू-कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री करीब 18,550 करोड़ रुपये की होगी। 


इतना ही नहीं, पर्यटन से लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है। एक अनुमान के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पर्यटन से 7 से 8 लाख लोगों को रोजगार मिलता है।

 

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आतंकवाद सब कर देगा बर्बाद?

1895 में ब्रिटिश लेखक वॉल्टर रोपर लॉरेंस ने अपनी किताब 'द वैली ऑफ कश्मीर' में लिखा था, 'कश्मीर में वह सब कुछ है, जो आपकी जिंदगी को रोमांचित कर सकता है। पर्वतारोहियों के लिए पहाड़ हैं। बोटनिस्ट के लिए फूल हैं। जियोलॉजिस्ट के लिए एक बड़ा इलाका है। आर्कियोलॉजिस्ट के लिए शानदार खंडहर है।'


यह दिखाता है कि विदेशियों को कश्मीर हमेशा से लुभाता रहा है। एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 1988 में जम्मू-कश्मीर में 72 हजार से ज्यादा पर्यटक आए थे। 1990 में जब आतंकवाद बढ़ा तो पर्यटकों की संख्या गिर गई। 1991 में मात्र 6,287 पर्यटक ही कश्मीर आए। यह वो दौर था जब पर्यटक यह नहीं सोचते थे कि 'कहां और कैसे जाना है?' बल्कि यह सोचते थे कि 'घूमने जाना भी है या नहीं?' क्योंकि उस वक्त ज्यादातर ऐतिहासिक जगहों और टूरिस्ट स्पॉट या तो आतंकियों का ठिकाना थे या फिर वहां हमेशा सेना तैनात रहती थी।


कई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि 1987 से 2002 के बीच आतंकवाद की वजह से 2.7 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर नहीं आ सके, जिस कारण करीब 3.6 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इससे न सिर्फ होटल और गेस्ट हाउस के मालिकों को जबरदस्त घाटा हुआ, बल्कि झीलों में बोट चलाकर गुजर-बसर करने वाले गरीबों को भी नुकसान झेलना पड़ा। क्योंकि यह वह दौर था, जब कश्मीर दुनिया के सबसे अशांत इलाकों में होता था और यहां आए दिन आतंकी हमले होते रहते थे।


हालांकि, 2019 में जब सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया तो इससे पर्यटकों की संख्या फिर बढ़नी शुरू हो गई। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 के मुकाबले 2024 में जम्मू-कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या 108% बढ़ गई है। मगर अब आतंकियों ने पहलगाम में जिस तरह से पर्यटकों को निशाना बनाया है, उससे एक बार फिर से यहां के पर्यटन पर बड़ी मार पड़ सकती है। 


1999 में यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा में स्कॉलर सेविल सोनमेज ने कहा था, 'जब तक टूरिज्म इंडस्ट्री, आतंकवाद को एक संकट के रूप में नहीं देखती, तब तक एनर्जी और रिसोर्सेस का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।'