गुरु नानक देव जी की जयंती (प्रकाश पर्व) मनाने पाकिस्तान गए सिख जत्थे में शामिल कुछ हिंदू श्रद्धालुओं को पाकिस्तानी अधिकारियों ने वापस भारत भेज दिया। ये लोग दिल्ली और लखनऊ से थे। खबर के मुताबिक, कुल 14 हिंदुओं को सिख जत्थे के साथ जाने से रोक दिया गया, क्योंकि वे हिंदू थे और सिख धर्म के नहीं थे।

 

पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा, 'तुम हिंदू हो, सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते।' यह बात दिल्ली के अमर चंद ने मीडिया को बताया। अमर चंद अपने छह परिवार वालों के साथ गए थे, लेकिन सबको वापस भेज दिया गया।

 

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1900 श्रद्धालुओं का जत्था गया था

मंगलवार को अटारी-वाघा बॉर्डर से करीब 1,900 सिख श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान गया। अमर चंद का परिवार भी इसी जत्थे में था। वे गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर पाकिस्तान के गुरुद्वारों में मत्था टेकना चाहते थे।


श्रद्धालु अटारी-वाघा से पाकिस्तान पहुंचे और सारी औपचारिकताएं पूरी कीं। अमर चंद ने कहा, 'हमें श्रद्धालुओं की स्पेशल बस में चढ़ने को कहा गया। हम सात लोगों के लिए बस टिकट पर 95,000 पाकि अस्तानी रुपये खर्च किए।' लेकिन बाद में पांच पाकिस्तानी अधिकारी आए और उन्हें तथा लखनऊ के सात लोगों को बस से उतरने को कहा।

हिंदू होने के नाते रोका

अधिकारियों ने कहा, 'तुम हिंदू हो, सिख जत्थे के साथ नहीं जा सकते।' फिर उन्हें वापस भारत भेज दिया। भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तानी पक्ष से पूछा कि उन्हें क्यों वापस भेजा गया, लेकिन टिकट के पैसे नहीं लौटाए गए। अमर चंद पहले पाकिस्तानी नागरिक थे। वे 1999 में भारत आए और 2010 में भारतीय नागरिकता मिली। अब वह दिल्ली में रहते हैं।

 

इसके अलावा, एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 300 लोग जो अलग से वीजा लेकर आए थे, उन्हें भारतीय बॉर्डर पर ही रोक दिया गया। वजह यह थी कि गृह मंत्रालय से जरूरी मंजूरी नहीं थी।

 

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सिख जत्थे का कार्यक्रम

यह जत्था 4 नवंबर से 13 नवंबर तक पाकिस्तान में है। वे गुरुद्वारा ननकाना साहिब, गुरुद्वारा पंजा साहिब, गुरुद्वारा सच्चा सौदा और गुरुद्वारा दरबार साहिब (करतारपुर) जाएंगे। पहले केंद्र सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान से तनाव की वजह से गुरु नानक जयंती पर सिख श्रद्धालुओं को जाने से मना कर दिया था। लेकिन बाद में जत्थे को इजाजत मिली।