प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में महाकुंभ को लेकर वक्तव्य दिया। प्रयागराज में हुए महाकुंभ को लेकर लोकसभा में पीएम मोदी ने देशवासियों को धन्यवाद दिया कि उनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ के भव्य आयोजन में पूरे विश्व ने भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए, सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है। पीएम मोदी ने महाकुंभ की तुलना महात्मा गांधी के 'दांडी मार्च' और सुभाष चंद्र बोस के 'दिल्ली चलो' अभियान से की। पीएम मोदी ने महाकुंभ को लेकर जैसे ही अपना वक्तव्य दिया विपक्ष ने संसद में हंगामा कर दिया। हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा, 'आज मैं इस सदन के माध्यम से देशवासियों को नमन करता हूं जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ है। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है, मैं सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देश के श्रद्धालुओं, उत्तर प्रदेश की जनता और विशेषकर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।’ उन्होंने कहा कि जिस तरह से गंगा को लाने के लिए भगीरथ प्रयास हुआ था उसी तरह का महाप्रयास महाकुंभ में दिखाई दिया। पीएम मोदी ने जनता की तारीफ करते हुए कहा, 'यह जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पो के लिए, जनता जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था। महाकुंभ में हमने हमारी राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए। यह जो राष्ट्रीय चेतना है, यह जो राष्ट्र को नए संकल्पों की ओर ले जाती है, यह नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करती है। महाकुंभ ने उन शंकाओं और आशंकाओं को उचित जवाब दिया है, जो हमारे सामर्थ्यों को लेकर कुछ लोगों के मन में रहते हैं।'

 

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गांधी, सुभाष पर क्या बोले पीएम मोदी?

 

पीएम मोदी ने आगे कहा, 'मैं पिछले सप्ताह त्रिवेणी का पवित्र जल मॉरीशस लेकर गया था, जब उस जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में प्रवाहित किया गया तो वहां बहुत ही उत्साह और आस्था का माहौल था। मैं प्रयागराज महाकुंभ को गांधीजी के ‘दांडी मार्च’, सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ नारे जैसे ही एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं जिसमें जागृत होते हुए देश का प्रतिबिंब नजर आता है। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ठीक एक साल बाद महाकुंभ के सफल आयोजन ने कुछ लोगों द्वारा हमारी क्षमता पर किए गए संदेह को धता बता दिया है।'

 

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उन्होंने आगे कहा, 'महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है। महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए और ‘अहम्’ त्याग कर ‘वयम्’ के भाव से प्रयागराज में जुटे। महाकुंभ में छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं था, यह दिखाता है कि एकता का अद्भुत तत्व हमारे अंदर रचा बसा है। महाकुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी उत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा, हमें इस बारे में जरूर सोचना चाहिए जिससे वर्तमान पीढ़ी को पानी का महत्व समझ में आएगा और नदियों की साफ-सफाई के साथ-साथ नदियों की रक्षा भी होगी।'

 

उन्होंने कहा कि भारत की नई पीढ़ी महाकुंभ से जुड़ी और यह युवा पीढ़ी आज गर्व के साथ अपनी आस्था और परंपराओं को अपना रही है।