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'कश्मीर पर हमले को विवाद बना दिया', जयशंकर ने UN को सुनाया!

रायसीन डायलॉग में विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र को लेकर कई टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर हमला हुआ था लेकिन इसे विवाद बना दिया गया।

S Jaishankar

रायसीना डायलॉग में जयशंकर। (Photo Credit: X@DrSJaishankar)

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विदेश मंत्री जयशंकर ने एक बार फिर 'निष्पक्ष' संयुक्त राष्ट्र की मांग की। साथ ही उन्होंने कश्मीर का मुद्दा भी उठाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने पीड़ित और हमलावर को 'बराबरी' पर रख दिया है। जयशंकर ने पाकिस्तान के कब्जाए कश्मीर को दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी अन्य देश के क्षेत्र पर 'सबसे लंबे समय तक चलने वाला अवैध कब्जा' कहा।

कश्मीर पर क्या बोले जयशंकर?

नई दिल्ली में चल रहे 'रायसीना डायलॉग' में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, 'हम सभी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात करते हैं। हम सब इससे सहमत हैं। वैश्विक नियमों का यही आधार है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे समय तक भारत के कश्मीर में किसी दूसरे देश का सबसे लंबे समय से अवैध कब्जा है। जब हम संयुक्त राष्ट्र गए तो इस आक्रमण को विवाद में बदल दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया। दोषी कौन थे? यूके, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका।'

 

 

जयशंकर ने आगे कहा, 'आज हम राजनीतिक हस्तक्षेप की बात करते हैं। जब पश्चिमी देश किसी देश में हस्तक्षेप करते हैं तो इसे लोकतांत्रिक स्वतंत्रता से जोड़ दिया जाता है। मगर जब कोई दूसरा देश पश्चिम में हस्तक्षेप करता है तो ऐसा लगता है कि उनका इरादा दुर्भावनापूर्ण था।'

 

यह भी पढ़ें-- कहानी कश्मीर की... कुछ पाकिस्तान के पास तो कुछ चीन के पास

संयुक्त राष्ट्र को लेकर क्या कहा?

जयशंकर कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में सुधार की वकालत कर चुके हैं। रायसीना डायलॉग में उन्होंने एक बार फिर इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'हमें एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की जरूरत है, जैसे हमें एक घरेलू व्यवस्था की जरूरत है। जैसे किसी देश में समाज की जरूरत होती है, वैसे ही एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था भी चाहिए।'


विदेश मंत्री ने कहा कि उस समय जो व्यवस्था बनी थी, वह उस समय की जरूरत थी। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें एक व्यवस्था की जरूरत है जो निष्पक्ष हो। हमें एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है लेकिन वह मजबूत भी हो। मुझे लगता है कि पिछले 8 दशक में जो कुछ हुआ, उसका हिसाब-किताब होना चाहिए और इसे लेकर ईमानदार होना चाहिए। आज यह समझना जरूरी है कि दुनिया में काफी कुछ बदल गया है। इसलिए उसके हिसाब से हमें आज एक अलग व्यवस्था की जरूरत है।'


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