लोकसभा में सोमवार को ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर आयोजित विशेष चर्चा राजनीतिक जंग का अखाड़ा बन गई। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर देश के राष्ट्रीय गीत के साथ बार-बार समझौता करने का गंभीर आरोप लगाया, तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इसे पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले का 'चुनावी हथकंडा' बताया।

 

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, 'इस सदन में आज वंदे मातरम पर बहस के दो ही कारण हैं। पहला - बंगाल में चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में हमारे माननीय प्रधानमंत्री अपनी भूमिका स्थापित करना चाहते हैं। दूसरा - जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी, देश के लिए कुर्बानी दी, इस सरकार को मौका चाहिए कि उन पर भी नए-नए आरोप लगाए जाएं। इससे मोदी सरकार जनता के असली मुद्दों से देश का ध्यान भटकाना चाहती है।'

 

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बहस पर उठाए सवाल

उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, 'आप चुनाव के लिए हैं, हम देश के लिए हैं। हम कितने भी चुनाव हार जाएं, यहां बैठकर आपसे और आपकी विचारधारा से लड़ते रहेंगे। देश के लिए लड़ते रहेंगे। आप हमें रोक नहीं सकते।'

 

प्रियंका ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर वंदे मातरम पर बहस की जरूरत ही क्या थी? उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय गीत पर कोई विवाद ही नहीं है। फिर बहस क्यों? सिर्फ इसलिए कि बंगाल में चुनाव आने वाले हैं। जनता महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं से जूझ रही है, लेकिन सरकार संसद का समय स्वतंत्रता सेनानियों पर आरोप लगाने में खर्च कर रही है।'

 

 

 

 

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी प्रधानमंत्री पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री की हर स्पीच में नेहरू जी और कांग्रेस का जिक्र आता है। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में नेहरू का नाम 14 बार और कांग्रेस का 50 बार लिया गया। संविधान के 75 साल के मौके पर भी नेहरू 10 बार और कांग्रेस 26 बार याद आए। आज वंदे मातरम की चर्चा को भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश की गई।'

नेहरू-बोस पत्र का दिया हवाला

प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री के उस दावे का भी खंडन किया जिसमें मोदी ने 1937 के नेहरू-बोस के पत्र का हवाला देते हुए कहा था कि नेहरू ने लिखा था कि वंदे मातरम का बैकग्राउंड मुस्लिमों को भड़का सकता है। प्रियंका ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने पत्र का सिर्फ चुनिंदा हिस्सा पढ़ा। उसी पत्र में नेहरू जी ने लिखा है कि वंदे मातरम के बाकी पंक्तियों पर आपत्ति साम्प्रदायिक ताकतों ने गढ़ी है। यह हिस्सा प्रधानमंत्री ने नहीं पढ़ा।'

 

उन्होंने याद दिलाया कि जब संविधान सभा में वंदे मातरम के केवल दो छंद अपनाए गए थे, तब बाबासाहेब आंबेडकर भी मौजूद थे और संघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी। 'उस वक्त किसी ने आपत्ति क्यों नहीं की?' प्रियंका ने सवाल किया।

 

दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस घंटे की इस चर्चा की शुरुआत करते हुए वंदे मातरम को स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, '1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ वंदे मातरम चट्टान की तरह खड़ा रहा। देशी-विदेशी सामान के बहिष्कार से लेकर स्वदेशी आंदोलन तक, माचिस की डिब्बी से लेकर बड़े-बड़े जहाजों तक ‘वंदे मातरम’ लिखा जाता था। यह सिर्फ राजनीतिक आजादी का नारा नहीं था, यह हमारी मातृभूमि को गुलामी से मुक्त करने की लड़ाई थी।'

क्या बोले थे मोदी?

मोदी ने कांग्रेस पर पुराना आरोप दोहराया कि उसने मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम के केवल दो छंद ही अपनाए और बाकी को छोड़ दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने चर्चा की शुरुआत में कहा, 'वंदे मातरम की अमर ध्वनि आज भी हर भारतीय के दिल में बसी है। इस गीत ने लाखों भारतीयों में स्वतंत्रता का सपना जगाया।'

 

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बीजेपी ने प्रियंका के बयान पर तीखा पलटवार किया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने ट्वीट किया, 'प्रियंका वाड्रा संसद में वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत पर ही सवाल उठा रही हैं। वह गीत जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव है। ‘आज बहस की क्या जरूरत है?’ यह मुस्लिम लीग-माओवादी कांग्रेस की सोच है!'

 

मंगलवार को राज्यसभा में यह चर्चा जारी रहेगी जिसमें गृह मंत्री अमित शाह सरकार की ओर से जवाब देंगे। लोकसभा में एनडीए को तीन घंटे का समय मिला है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी का 'राजनीतिक नाटक' करार दिया है।