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'दरारवादी लोग जोड़ना नहीं तोड़ना चाहते हैं', वंदे मातरम पर क्या बोले अखिलेश?

अखिलेश यादव ने लोकसभा में वंदे मातरम गीत पर बोलते हुए सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश की और कहा कि ये लोग राष्ट्रवादी नहीं राष्ट्रविवादी हैं।

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अखिलेश यादव । Photo Credit: PTI

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लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूरा होने पर 10 घंटे की चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग हर चीज पर अपना अधिकार जताते हैं, जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था, उस वक्त पार्टी के अध्यक्ष के भाषण को लेकर इस बात पर चर्चा हो रही थी कि बीजेपी किस रास्ते को अपनाएगी, यानी कि क्या पार्टी समाजवादी और सेक्युलर विचारधार को अपनाएगी या नहीं। उन्होंने कहा कि लेकिन उस वक्त तमाम विरोध के बाद भी उस वक्त जो राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए उन्होंने वही सेक्युलर और समाजवादी रास्ता अपनाया और यही नहीं उस वक्त भी उन्होंने अध्यक्ष के मंच पर जेपी की तस्वीर लगाकर यह भ्रम फैलाने की कोशिश की कि बीजेपी जय प्रकाश नारायण के रास्ते पर जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

 

तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ गाने के लिए नहीं है बल्कि निभाने के लिए भी है। सत्ता पक्ष को ‘दरारवादी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस वंदे मातरम ने आजादी की लड़ाई में लोगों को जोड़ा, आज के दरारवादी लोग उसी से लोगों को तोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम के बारे में इनके विचारों को और भाषणों को सुनते हैं तो ऐसा लगता है कि वंदे मातरम इन्हीं का बनवाया (लिखवाया) हुआ है।

 

यह भी पढ़ेंः 'मुस्लिम लीग के आगे नेहरू ने घुटने टेके,' वंदे मातरम पर लोकसभा में PM मोदी

मुखबिरी का लगाया आरोप

उन्होंने कहा, ‘जिन्होंने आजादी के आंदोलन में भाग ही नहीं लिया वे इसका महत्त्व क्या जानेंगे. सच तो यह है कि जिन सरफरोश लोगों ने वंदे मातरम गाया उनके खिलाफ अंग्रेजों के लिए कुछ लोगों ने मुखबिरी और जासूसी भी की। दरअसल ये राष्ट्रवादी नहीं बल्कि राष्ट्रविवादी लोग हैं। जहां अँग्रेज़ विवाद करके, बांट करके राज किया करते थे, आज भी कुछ लोग वही कर रहे हैं।’

 

उन्होंने बिना नाम लिए बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि इनका इतिहास खंगाला जाए तो पता चलेगा कि आजादी के पहले और बाद में इन्होंने वंदे मातरम क्यों नहीं गाया। उनकी एकरंगी सोच ने तिरंगा क्यों नहीं फहराया।

कहा- नहीं लगाते थे आंबेडकर की तस्वीर

आगे उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का भाव यह भी था कि कम्युनल पॉलिटिक्स नहीं चलेगी और उत्तर प्रदेश के साथियों ने उस कम्युनल पॉलिटिक्स का अंत किया है जहां से इन्होंने अपनी राजनीति शुरू की थी।

 

चुनावी सभाओं में कभी भी ये लोग बाबा साहेब आंबेडकर की तस्वीर नहीं लगाते थे लेकिन जब से समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने मिलकर इन्हें चुनाव हरा दिया था तब से ये लोग उनकी तस्वीर लगाने लगे।

 

उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है कि विद्यालय बंद किया जा रहा है, 26 हजार स्कूल बंद हो गए। कभी अंग्रेजों ने भारतीयों पर मुकदमा लगाया था और आज बीजेपी के लोगों ने उन पढ़ने और पढ़ाने वाले पीडीए के लोगों पर मुकदमा लगाने का काम किया।

क्या बोले पीएम मोदी?

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि नेहरू की गलतियों की वजह से वंदे मातरम के दो टुकड़े हो गए। उन्होंने दावा किया कि जवाहर लाल नेहरू, मुस्लिम लीग के दबाव में आ गए थे, जिसके वजह से उन्होंने वंदे मातरम का अहम हिस्सा हटा दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन तारीखों का भी जिक्र किया, जब वंदे मातरम पर बहस हुई।

 

 यह भी पढ़ेंः बंगाल का स्वर, देश का स्वर कैसे बना? PM ने सुनाई, वंदे मातरम की कहानी

 

कहा, 'मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी। वह मुस्लिम लीग के दबाव में झुक गए थे।'


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