पैसे देकर ऑनलाइन खेले जाने वाले गेम्स पर प्रतिबंध लगाने वाला बिल लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा से भी पास हो गया है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में इस बिल को पेश किया था। इसे 'द प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल' नाम दिया गया है। यह बिल बिना किसी चर्चा के ही पास कर दिया गया। इस बिल में न सिर्फ रियल मनी गेमिंग पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है, बल्कि इस तरह के गेम की एडवर्टाइजिंग पर रोक लगाने का भी प्रावधान है।
अगर यह कानून बनता है तो पैसे वाले ऑनलाइन गेम खिलवाने पर 3 साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। बार-बार ऐसा अपराध करने पर 3 से 5 साल की जेल और 2 करोड़ तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान इस बिल में किया गया है।
बिल को पेश करते हुए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इसका मकसद मोबाइल ऐप्स के जरिए बढ़ती ऑनलाइन गेमिंग की लत, मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी पर नकेल कसना है।
इस बिल में ऑनलाइन गेमिंग को तीन कैटेगरी- ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेमिंग और रियल मनी गेम में बांटा गया है। ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेमिंग में पैसों का लेन-देन नहीं होता। वहीं, रियल मनी गेमिंग उन्हें कहा जाएगा, जिसे यूजर पैसे लगाकर खेलता है और पैसा जीतने की उम्मीद रखता है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देगी जबकि रियल मनी गेमिंग पर लगाम लगाई जाएगी।
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बिल में क्या है प्रावधान?
- बिल के दायरे में कौन आएगा?: ऐसे सभी प्लेटफॉर्म जो ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ खिलाते हैं। इसमें ड्रीम 11 जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स से लेकर रमी और पोकर खिलाने वाले गेमिंग प्लेटफॉर्म शामिल होंगे।
- खिलाने वालों का क्या होगा?: अगर कोई भी व्यक्ति या प्लेटफॉर्म पैसे वाले ऑनलाइन गेम खिलाता है तो दोषी पाए जाने पर 3 साल की जेल या 1 करोड़ का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
- विज्ञापन करने वालों का क्या होगा?: कोई भी व्यक्ति अगर इस तरह के गेम का विज्ञापन करता है तो दोषी पाए जाने पर 2 साल की जेल या 50 लाख का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
- लेन-देने करने वालों का क्या होगा?: कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान रियल मनी गेमिंग से जुड़े ट्रांजैक्शन करता है तो 3 साल की जेल या 1 करोड़ का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
- और खेलने वालों का क्या होगा?: कुछ नहीं। बिल में खेलने वालों को अपराधी नहीं बल्कि 'पीड़ित' माना गया है। कोई व्यक्ति ऐसे गेम खेलते है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।
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इसकी जरूरत क्यों पड़ गई? 2 कारण
- मेंटल हेल्थ के लिए खतरा: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया ऑनलाइन मनी गेमिंग समाज को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी अब 'गेमिंग डिसऑर्डर' नाम की एक नई बीमारी को भी क्लासिफाई किया है, जिससे एंग्जायटी, डिप्रेशन, नींद की समस्या और स्ट्रेस जैसी परेशानियां होती हैं।
- क्राइम भी बढ़ रहा है: अश्विनी वैष्णव ने बताया कि रियल मनी वाले गेमिंग से मनी लॉन्ड्रिंग भी होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं, जहां मनी गेम्स को आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते देखा गया है। क्रॉस बॉर्डर से भी फंडिंग आ रही है। उन्होंने बताया कि बिल को तैयार करते समय इन सभी बातों को ध्यान में रखा गया है।
- करोड़ों लोगों को हो रहा नुकसान: न्यूज एजेंसी PTI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि पैसे वाले ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में हर साल 45 करोड़ लोगों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। गेमिंग की लत में अब तक 20 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है।
इस बिल से दांव पर क्या-क्या लगा?
पैसे वाले ऑनलाइन गेम पर रोक लगाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। हालांकि, गेमिंग इंडस्ट्री ने इस पर चिंता जताई है। इसे लेकर मंगलवार इंडियन गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी थी।
इसमें कहा गया था कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री एक उभरता हुआ सेक्टर है, जिसकी वैल्यू 2 लाख करोड़ रुपये और सालाना रेवेन्यू 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह भी कहा था कि इस इंडस्ट्री से सरकार को हर साल 20 हजार करोड़ रुपये का टैक्स मिलता है। यह हर साल 20% की दर से बढ़ रहा है, जो 2028 तक दोगुना हो जाएगा। इनका कहना है कि यह बिल गेमिंग इंडस्ट्री के लिए मौत की घंटी की तरह होगा।
भारत में कुछ सालों में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2020 तक 36 करोड़ भारतीय ऐसे थे जो ऑनलाइन गेम खेलते थे। 2024 तक इनकी संख्या बढ़कर 50 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। इतना ही नहीं, इस इंडस्ट्री में विदेशी निवेश भी काफी बढ़ा है। जून 2022 के बाद से इस सेक्टर में 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश आया है।
इंडस्ट्री का कहना है कि देशभर में 400 से ज्यादा कंपनियां हैं, जो ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़ी हैं। इन कंपनियों में 2 लाख से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। यह सब बंद हो जाएंगी, जिससे डिजिटल इनोवेटर के रूप में भारत की स्थिति कमजोर होगी।
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एक बड़ा खतरा यह भी...
सरकार इस बिल को लोगों की भलाई से जुड़ा बता रही है। हालांकि, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने चेताया कि इन प्रतिबंधों से ऐसी गतिविधियां 'अंडरग्राउंड' हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि रियल मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की बजाय इसे रेगुलेट कर दिया जाए तो सरकार को करोड़ों रुपये की कमाई होगी।
उन्होंने कहा कि 'मैंने 2019 में एक लेख लिखा था जिसमें कहा था कि ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाकर हम इसे अंडरग्राउंड कर रहे हैं, जबकि इसे रेगुलेट किया जाए और टैक्स लगाया जाए तो यह सरकार के लिए उपयोग स्रोत बन सकता है।' उन्होंने कहा, 'जब आप इस पर बैन लगाते हैं तो दुर्भाग्य से यह अंडरग्राउंड हो जाता है और पैसा कमाने की चाहत रखने वाले माफिया इसमें शामिल हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि इससे ऑनलाइन गेमिंग खत्म हो जाएगी, यह बस अंडरग्राउंड हो जाएगी।'
कर्नाटक सरकार में आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने इस प्रतिबंध को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग से सरकार को हर साल 20 हजार करोड़ रुपये का टैक्स मिलता है। दो हजार से ज्यादा स्टार्टअप हैं, जिनमें 2 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध भारत में गेमिंग टैलेंट को खत्म कर देगा और एंटरप्रेन्योर को विदेश जाने पर मजबूर कर देगा। उन्होंने कहा कि विज्ञापन, डेटा सेंटर, स्पॉन्सरशिप और साइबर सिक्योरिटी पर सालाना होने वाला 7 हजार करोड़ का खर्च भी रातोरात खत्म हो जाएगा।
प्रियांक खड़गे ने कहा कि 'प्रतिबंध से न तो लत छूटेगी और न ही आत्महत्या रुकेगी। इसकी बजाय इससे 8.2 लाख करोड़ रुपये का अवैध बाजार बढ़ेगा, जिस पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होगा।'
इतना ही नहीं, अगर यह कानून बनता है तो ड्रीम 11 जैसे प्लेटफॉर्म पर बैन लगता है तो इससे क्रिकेट स्पॉन्सरशिप पर भी अच्छा खासा असर पड़ सकता है। ड्रीम 11 भारतीय क्रिकेट टीम की टाइटल स्पॉन्सर है। इस पर कंपनी ने लगभग 358 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं, माय 11 सर्कल IPL की फैंटेसी स्पोर्ट्स स्पॉन्सर है। माय 11 सर्कल ने 5 साल के लिए 625 करोड़ रुपये IPL में फैंटेसी गेमिंग पार्टनर राइट्स खरीदे हैं।