GST के बदलने से राज्यों को कितने का नफा-नुकसान? समझिए पूरा गणित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि सरकार GST में बड़ा बदलाव करने जा रही है। माना जा रहा है कि मौजूदा 4 स्लैब को कम कर 2 स्लैब की जा सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी। (Photo Credit: PTI)
8 साल पहले आए गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी GST में 'बहुत बड़ा' बदलाव होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से दिए भाषण में इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा था कि इस दीवाली पर लोगों को 'बहुत बड़ा तोहफा' मिलने वाला है।
स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण में पीएम मोदी ने कहा था, 'दीवाली में आपकी डबल दीवाली का काम मैं करने वाला हूं। इस दीवाली में आपको बहुत बड़ा तोहफा मिलने वाला है। पिछले 8 साल से हमने GST में बहुत बड़ा रिफॉर्म किया। पूरे देश में टैक्स के बोझ को कम किया। 8 साल के बाद समय की मांग है कि हम एक बार उसको रिव्यू करें। हमने एक हाई पावर कमेटी को बैठाकर उसको रिव्यू किया, राज्यों से भी विचार किया। हम नेक्स्ट जनरेशन GST रिफॉर्म लेकर आ रहे हैं।'
रविवार को पीएम मोदी ने बताया कि GST को लेकर जो बदलाव होने जा रहा है, उसका ड्राफ्ट सभी राज्यों को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि राज्य सरकारें इसमें सहयोग करेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि GST में बदलाव से रोजमर्रा की चीजें काफी सस्ती हो जाएंगी। इससे इकॉनमी को भी बड़ा बल मिलेगा। सरकार का कहना है कि GST में बदलाव से रेवेन्यू में कमी जरूर आएगी, लेकिन खपत बढ़ने इसकी कमी पूरी हो जाएगी।
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क्या करने जा रही है सरकार?
GST को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। इसके बाद कई सारे टैक्स और ड्यूटी को खत्म कर एक ही कर दिया गया था।
GST में अभी 4 स्लैब- 5%, 12%, 18% और 40% हैं। अभी खाने-पीने की जरूरी चीजों पर कोई टैक्स नहीं लगता है। रोजमर्रा की चीजें 5% टैक्स के दायरे में आती हैं। वहीं, स्टैंडर्ड चीजों पर 12% टैक्स लगाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विसेस पर 18% GST लगता है। जबकि, लग्जरी आइटम्स पर 28% टैक्स लगता है। इनके अलावा, कुछ चीजों पर 40% GST लगाया जाता है।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, सरकार GST की 4 स्लैब को कम कर 2 ही कर देगी। इसके बाद 12% और 28% की स्लैब खत्म हो जाएगी। बताया जा रहा है कि 12% के दायरे में आने वाले बटर, फ्रूट जूस और ड्राई फ्रूट्स जैसी 90% चीजों को 5% स्लैब में डाला जाएगा। इसी तरह AC, TV, फ्रिज और वॉशिंग मशीन के साथ सीमेंट जैसी 90% चीजें जिनपर अभी 28% GST लगता है, उन्हें 18% के दायरे में लाया जा सकता है।
PTI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि बदलाव के बाद पान-मसाला, तंबाकू, गुटखा और ऑनलाइन गेमिंग को 40% GST के दायरे में लाया जा सकता है।
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इससे होगा क्या?
सीधी सी बात है अगर GST की दरों में बदलाव किया जाता है और स्लैब को कम किया जाता है तो इससे सरकार के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा।
अभी सरकार को जो इनडायरेक्ट टैक्स मिलता है, उसका 65% रेवेन्यू 18% स्लैब से आता है। वहीं, 28% स्लैब से सरकार को 11% रेवेन्यू मिलता है। जबकि, 12% स्लैब से सिर्फ 5% का रेवेन्यू आता है। इसके अलावा, 5% वाली स्लैब से सरकार को 7% रेवेन्यू आता है।
12% स्लैब वाली 99 प्रतिशत चीजों को 5% वाली स्लैब में लाने सरकार को रेवेन्यू में नुकसान होगा। हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि चीजें सस्ती होने से खपत बढ़ेगी और कुछ ही महीनों में इस घाटे की भरपाई हो जाएगी।
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राज्यों को भी नुकसान का डर!
GST में बदलाव से राज्यों को बड़ा घाटा होने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि GST में बड़ा हिस्सा राज्यों को मिलता है। इसे समझने के लिए GST को समझना होगा।
दरअसल, GST एक ड्यूअल टैक्स सिस्टम है। एक टैक्स केंद्र सरकार के पास जाता है, जिसे सेंट्रल GST यानी CGST कहा जाता है। दूसरा टैक्स राज्यों के पास जाता है, जिसे स्टेट GST यानी SGST कहा जाता है। इसके अलावा, अगर दो राज्यों के बीच कोई कारोबार होता है तो उस पर इंटीग्रेटेड GST यानी IGST लगता है। इसे केंद्र सरकार कलेक्ट करती है और बाद में राज्यों को इसमें हिस्सा देती है। राज्य सरकारों को CGST और IGST से हिस्सा मिलता है।
बजट दस्तावेज के मुताबिक, 2024-25 में केंद्र सरकार ने CGST में से 3.72 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हिस्सा राज्यों को दिया था। 2025-26 में सरकार CGST में से 4.14 लाख करोड़ रुपये का हिस्सा राज्यों को देगी।
डेक्कन क्रॉनिकल ने Emkay Global की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि GST में बदलाव से सालाना 1.2 लाख करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है। यह कुल GDP का 0.4% होगा। इसमें से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये राज्यों का हिस्सा होगा, क्योंकि राज्यों का 45% टैक्स रेवेन्यू SGST से आता है। बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और उत्तराखंड के टैक्स रेवेन्यू में SGST का बड़ा शेयर है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि राज्यों का 2025-26 में सकल घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट GDP का 3.2% हो सकता है। GST में बदलाव से यह और बढ़ सकता है।
पीएम मोदी ने कहा है दीवाली पर 'बहुत बड़ा तोहफा' मिलेगा। ऐसे में माना जा सकता है कि नई GST दरों को अक्टूबर से लागू किया जा सकता है। अगर अक्टूबर से यह लागू होता है तो 2025-26 में GDP का 0.2% घाटा हो सकता है।
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नुकसान ही होगा क्या?
आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाली जरूरी चीजों को 12% से 5% के स्लैब में लाया जाएगा। इससे GST रेवेन्यू में कमी आएगी ही। हालांकि, सरकार को इस बात की उम्मीद है कि चीजें सस्ती होने से खपत बढ़ेगी और धीरे-धीरे घाटा भर जाएगा।
IDFC फर्स्ट बैंक का मानना है कि टैक्स कटौती से देश की GDP में 0.6% का उछाल आ सकता है। हालांकि, इसके साथ-साथ केंद्र और राज्यों पर 20 अरब डॉलर का बोझ भी बढ़ेगा।
नया GST अक्टूबर से लागू हो सकता है। इससे पहले सितंबर में GST काउंसिल की बैठक होनी है, जिसमें इस बदलाव को मंजूरी दी जा सकती है।
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