भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इमरजेंसी की 50वीं बरसी के मौके पर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि ये लोग आज भी इमरजेंसी के लिए माफी नहीं मांगते हैं और हाथ में संविधान की किताब लेकर घूमते हैं। कांग्रेस और गांधी परिवार की आलोचना करते हुए जयशंकर ने कहा है कि इमजरेंसी इसलिए लगाई गई कि एक परिवार के हित को देश के हित से आगे रखा गया। एस जयशंकर शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की ओर से आयोजित एक मॉक पार्लियामेंट के सत्र में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने इमरजेंसी लागू करने के लिए इंदिरा गांधी की सरकार, कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार को जमकर लताड़ा।

 

इस मौके पर कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए जयशंकर ने कहा कि उस समय हमारे जीने के तरीके पर हमला हुआ। उन्होंने आगे कहा, 'आप यहां से बाहर जाएंगे तो एक फिल्म का पोस्टर लगा हुआ है- किस्सा कुर्सी का। ये तीन शब्द आपको बताते हैं कि इमरजेंसी का कारण क्या था। जब एक परिवार को राष्ट्र से बड़ा मानते हैं तो इमरजेंसी जैसी स्थिति आती है। यह पूरी एक्सरसाइज देश और समाज का हौसला तोड़ने के लिए थी। यह दिखाने की कोशिश थी कि हम शासन में थे और हम ही शासन में रहेंगे, आप पूछने वाले कौन हैं? संविधान की हत्या हो गई है, अब उसको भूल ही जाओ, हमें जो करना है करेंगे, यही मैसेज था इमरजेंसी का।'

 

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1971 के चुनाव का जिक्र करते हुए एस जयशंकर ने कहा, '1971 का चुनाव जीतने के बाद कुछ ही साल में सरकार की लोकप्रियता बहुत कम हो गई थी। भ्रष्टाचार बढ़ गया था, महंगाई बहुत ज्यादा थी उस समय, राजनीति उनके पक्ष में नहीं जा रही थी। जनता में बहुत आक्रोश था, बिहार और गुजरात में आंदोलन चल रहे थे। गुजरात में सरकार गिर गई थी। चुनाव हुआ तो विपक्ष के लोग चुने गए। बहुत बड़ी रेल हड़ताल हुई और जनता उन लोगों के साथ थी। इस माहौल में कुछ पारिवारिक विषय भी थे। कुछ लोग अपने बिजनेस चला रहे थे। उस समय के जो युवराज थे, उनके बिजनेस के बारे में लोग प्रश्न उठा रहे थे। इस माहौल में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया था।'

 

कांग्रेस पार्टी, इंदिरा गांधी और यहां तक ​​कि राजीव गांधी ने भी कभी खेद व्यक्त नहीं किया। सिर्फ हाथ में संविधान लेकर घूमने से कुछ नहीं होता, संविधान दिल में होना चाहिए।
-एस जयशंकर (विदेश मंत्री)

राहुल गांधी पर जयशंकर का तंज

 

कई मौकों पर राहुल गांधी संविधान की प्रति लहराते दिखते हैं। उन पर तंज कसते हुए जयशंकर ने कहा है, 'मैंने कहा था कि पार्टियों का डीएनए देखिए। जो लोग आज भी इमरजेंसी के लिए माफी नहीं मांगते हैं, उनके मन में संविधान की क्या इज्जत है। संविधान हाथ में लेकर घूमने से कुछ नहीं होता है। संविधान मन में होना चाहिए। इनका रिकॉर्ड देखिए, आज तक कभी इन लोगों ने माफी नहीं मांगी, कभी यह नहीं कहा कि वह गलत फैसला था।'

 

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जयशंकर ने कहा, 'विदेश सेवा में मेरे वरिष्ठों ने मुझे बताया कि दुनिया में आपातकाल को डिफेंड करना कितना मुश्किल था। भारत को 'लोकतंत्र की जननी' माना जाता है। भारत के राजनयिक कैसे इसे डिफेंड करते। सालों बाद यह पूछे जाने पर कि क्या वे आपातकाल के बारे में कुछ बदलतीं, उसके जवाब में इंदिरा गांधी ने कहा 'नहीं'। कांग्रेस पार्टी, इंदिरा गांधी और यहां तक ​​कि राजीव गांधी ने भी कभी खेद व्यक्त नहीं किया।'

 

उन्होंने आगे कहा, 'इमरजेंसी हुई क्योंकि एक परिवार के हित को राष्ट्र हित से पहले रखा गया। आज राष्ट्र हित को आगे रखा जा रहा है। मुझे बहुत गर्व होता है जब मैं देखता हूं कि शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कनिमोई, संजय झा, जय पांडा, रविशंकर प्रसाद और श्रीकांत शिंदे की अगुवाई में जाने वाला डेलिगेशन देखता हूं। ये सभी लोग एकजुट होकर अलग-अलग देशों में गए भारत की बात रखी कि आतंकवाद कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है। यह हमारे लिए बहुत बड़ा पल है।'

 

बता दें कि बीजेपी साल 1975 में लागू की गई इमरजेंसी की 50वीं बरसी को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मना रही है और उससे जुड़े संगठन अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।