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'किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं', अब गृह मंत्री ने ऐसा क्यों कहा?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी भाषाओं के महिमामंडन की बात कही। मगर उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए।

Union Home Minister Amit Shah.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। (Photo Credit: PTI)

19 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी। उनके इस बयान को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया और अंग्रेजी विरोध के तौर पर पेश करना शुरू किया। अब गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह का नया बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं है। मगर अपनी भाषा का महिमामंडन होना चाहिए। अमित शाह ने कहा, "मैं पूरे दिल से मानता हूं कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की दुश्मन नहीं हो सकती। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है। हिंदी और भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे स्वाभिमान कार्यक्रम को अंतिम लक्ष्य तक पहुंचा सकती हैं।"

 

केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे कहा, 'जब तक व्यक्ति अपनी भाषा का गौरव नहीं करता। अपनी अभिव्यक्ति, अपनी सोच, अपना विश्लेषण और निर्णय करने की क्षमता को अपनी भाषा में नहीं करता, तब तक हम गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं होंगे। किसी भी भाषा का विरोध नहीं है। किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं करना चाहिए। मगर आग्रह हमारी भाषा को महिमामंडित करने का होना चाहिए। आग्रह हमारी भाषा में बोलने और सोचने का होना चाहिए।' 

 

 

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'भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं'

अपनी भाषाओं के महत्व पर शाह ने कहा, 'विकसित राष्ट्र की संकल्पना तभी हो सकती है, जब विरासत को परिभाषित करने का भाषा एक माध्यम है। इसका महिमामंडन हो। भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं होती है। एक राष्ट्र की आत्मा होती है। हमारी जड़ें, परंपराएं, इतिहास, पहचान और हमारी जीवन संस्कृति को भाषा से काटकर आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। भाषाओं को जीवंत रखना और समृद्ध करना बहुत जरूरी है। हमें आने वाले दिनों में सभी भारतीय भाषाओं और विशेषकर राजभाषा के लिए ये सारे प्रयास करने चाहिए।'

 

देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी: शाह

19 जून को पूर्व आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की पुस्तक 'मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं' के विमोचन के मौके पर अमित शाह ने कहा था कि हमें गुलामी के अवशेषों को त्यागना होगा और अपनी भाषाओं को गर्व से अपनाना होगा। हमारे सबके जीवन में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी। ऐसे समाज का निर्माण अब दूर नहीं है। हमारी देश की भाषाएं, हमारी संस्कृति का गहना हैं। देसी भाषाओं के बगैर हम भारतीय ही नहीं रहते हैं। हमारे देश, इतिहास, संस्कृति और धर्म को कोई विदेशी भाषा नहीं समझा सकती है। 
 
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अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है: कांग्रेस

20 जून को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं, जंजीरें तोड़ने का औजार है। बीजेपी-आरएसएस नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे, क्योंकि वो नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में अंग्रेजी उतनी ही जरूरी है, जितनी आपकी मातृभाषा, क्योंकि यही रोजगार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी। भारत की हर भाषा में आत्मा है, संस्कृति है, ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेजी सिखानी है। यही रास्ता है एक ऐसे भारत का, जो दुनिया से मुकाबला करे, जो हर बच्चे को बराबरी का मौका दे। 

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