अखबारों की सुर्खियां हों या फिर न्यूज चैनल पर आने वाला प्राइम टाइम शो। हर जगह संभल की ही चर्चा हो रही है। इसकी वजह यह है कि 77 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले संभल में हर दिन मंदिर खोजे जा रहे हैं। जगह-जगह खुदाई की जा रही है। सर्वे हो रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि संभल ही वह जगह है जहां भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि का जन्म होगा।
संभल में वैसे तो 14 दिसंबर को पहला मंदिर मिला था। यह 46 साल से बंद था। मंदिर तब मिला जब बिजली चोरी की जांच करने के लिए टीम पहुंची। टीम को खग्गू सराय इलाके में सालों से बंद पड़ा एक मंदिर मिला। मगर संभल तो महीनेभर ही तब चर्चा में आ गया था, जब यहां शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
संभल में हुआ क्या था?
19 नवंबर को संभल के सिविल जज (सीनियर डिविजन) ने एडवोकेट कमिश्नर को शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया। यह आदेश इसलिए दिया, क्योंकि हिंदू पक्ष ने यहां हरिहर मंदिर होने का दावा किया था। दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन हिंदू पक्ष ने अपना दावा ठोका, उसी दिन कोर्ट ने सर्वे का आदेश जारी कर दिया।
कोर्ट के आदेश पर एक टीम पहुंची और मस्जिद का सर्वे किया। भीड़ तो जुटी लेकिन तनाव नहीं बढ़ा। 24 नवंबर को जब मस्जिद के दूसरे सर्वे के लिए टीम फिर पहुंची तो यहां हिंसा भड़क गई। पुलिस और प्रदर्शनकारी आमने-सामने आ गए। इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई। हालांकि, प्रशासन ने 4 की मौत मानी है।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में निचली अदालत के इस आदेश को 'जल्दबाजी' में दिया गया आदेश बताया। साथ ही यह भी दलील रखी की 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ऐसा आदेश नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी। साथ ही मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने को कहा।
बिजली चोरी की जांच और बंद पड़ा मंदिर
संभल में बिजली चोरी की शिकायतें आने के बाद टीम ने जांच शुरू की। बिजली विभाग को तीमारदास सराय, दीपा सराय, तुर्तीपुल इल्हा और हिंदुपुरा खेड़ा जैसे इलाकों से बिजली चोरी की शिकायतें मिल रही थी। 14 दिसंबर को भारी पुलिस बल के साथ टीम यहां पहुंची।
14 दिसंबर को जब टीम खग्गू सराय इलाके में पहुंची तो 46 साल से बंद पड़ा मंदिर मिला। यह मंदिर जिस जगह मिला था, वहां से महज 1 किलोमीटर दूरी पर ही शाही जामा मस्जिद है। स्थानीय लोगों का दावा था कि यह मंदिर कम से कम 500 साल पुराना है। मंदिर में हनुमान भगवान की मूर्ति और एक शिवलिंग था।
एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया था, 'हम बिजली चोरी के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे, तो हमें एक मंदिर मिला। लोगों ने बताया कि यह मंदिर 1978 से बंद है। मंदिर को खोल दिया गया है और साफ-सफाई कर दी गई है।'
नगर हिंदू सभा के संरक्षक विष्णु शरण रस्तोगी ने दावा किया था कि मंदिर को 1978 में बंद कर दिया था, क्योंकि कोई भी पुजारी यहां रहने को तैयार नहीं था। उन्होंने कहा था, 'हम खग्गू सराय इलाके में रहते थे। यहीं पास में हमारा घर था। 1978 के बाद हमने घर बेच दिया और यहां से चले गए। यह भगवान शिव का मंदिर है। हमने यह जगह छोड़ दी थी, इसलिए हम मंदिर की देखभाल नहीं कर सके। 15-20 परिवारों ने इस जगह को छोड़ दिया था। हमने मंदिर को बंद कर दिया था, क्योंकि कोई पुजारी भी यहां नहीं था। किसी पुजारी की यहां रहने की हिम्मत नहीं हुई। 1978 से मंदिर बंद था और अब इसे फिर खोला गया है।'
मंदिर के पास कुआं
विष्णु शरण रस्तोगी ने बताया था कि मंदिर के पास एक कुआं भी था। अगले दिन यानी 14 दिसंबर को डीएम राजेंद्र पेंसिया यहां पहुंचे। जब टीम ने मंदिर के आसपास खुदाई की तो एक कुआं मिला। डीएम पेंसिया ने बताया था, 'प्राचीन कुएं पर एक रैंप बना दी गई थी। जब इसे हटाया गया तो कुएं का पता चला।'
जब ये कुआं मिला तो इसकी भी खुदाई की गई। इस खुदाई से टीम को 4 से 6 इंच की तीन मूर्तियां मिलीं। इनमें दो मूर्तियां देवी पार्वती और एक लक्ष्मी की थी। यह मूर्तियां खंडित हालत में थीं।
फिर मिला राधा-कृष्ण का मंदिर
17 दिसंबर को संभल के सराय तरीन इलाके में राधा-कृष्ण का मंदिर मिला। सराय तरीन पूरी तरह से मुस्लिम बहुल इलाका है। बताया गया कि ये मंदिर भी दशकों से बंद पड़ा था। हालांकि, मंदिर के आसपास कोई अतिक्रमण नहीं किया गया था। जब इस मंदिर को खोला गया तो अंदर भगवान हनुमान के साथ-साथ राधा और कृष्ण की मूर्तियां भी मिलीं। ऐसा दावा किया गया कि हिंदुओं के पलायन के बाद से यह मंदिर बंद पड़ा था।
चंदौसी में मिला 150 साल पुराना मंदिर
21 दिसंबर को संभल के चंदौसी में खंडहर में तब्दील हो चुका बांके बिहारी मंदिर मिला। यहां के स्थानीय कौशल किशोर ने संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया को दी शिकायत में दावा किया था कि यह मंदिर 150 साल पुराना है। दावा है कि इस मंदिर की स्थापना 1870 में की गई थी। ये मंदिर लक्ष्मणगंज इलाके में है।
ऐसा भी दावा है कि इस मंदिर में 2010 तक पूजा-अर्चना भी होती थी। बाद में कथित रूप से मंदिर में कुछ शरारती तत्वों ने तोड़फोड़ कर मूर्तियों को खंडित कर दिया था। चंदौसी के तहसीलदार धीरेंद्र सिंह ने बताया था कि मंदिर की जांच के दौरान धार्मिक प्रतीक मिले हैं। दीवारों पर मूर्तियां थीं। दीवारों पर भगवान शिव का नाम भी लिखा था।
मंदिर ही नहीं, बावड़ियां भी मिल रहीं
संभल में सिर्फ मंदिर ही नहीं, बल्कि दशकों पुरानी बावड़ियां भी मिल रहीं हैं। 22 दिसंबर को लक्ष्मणगंज में 150 साल पुरानी बावड़ी मिली थी। संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया था, 'बावड़ी 400 वर्ग मीटर में फैली हुई है। बावड़ी में 4 बड़े-बड़े कमरे हैं। दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर, जबकि ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है।' उन्होंने बताया था कि यह बावड़ी बिलारी के राजा के दादा के समय बनी थी।
बावड़ी मिलने बाद खुदाई का काम जारी है। कई दिन से यहां ASI की निगरानी में खुदाई का काम चल रहा है। नगरपालिका की अफसर प्रियंका सिंह ने बताया कि हर दिन 40-50 मजदूर यहां खुदाई कर रहे हैं। दोनों शिफ्ट में खुदाई का काम किया जा रहा है।
इसके दो दिन बाद ही 24 दिसंबर को लड़ाई सराय इलाके में भी एक 50 साल पुरानी बावड़ी मिली थी। ये बावड़ी खुदाई के दौरान मिली थी। स्थानीय हिंदुओं ने दावा किया कि इस बावड़ी में कभी पूजा-अर्चना की जाती थी। उन्होंने यहां फिर से पूजा करने का अधिकार मांगा है।
ASI की टीम भी मैदान में
संभल में जगह-जगह से खुदाई के दौरान मिल रहे मंदिर, बावड़ियों और कुएं की जांच अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम भी कर रही है। ASI की निगरानी में ही लक्ष्मणगंज में बावड़ी की खुदाई की जा रही है।
26 दिसंबर को खग्गू सराय इलाके में 'मृत्यु कूप' मिला था। ये कूप शाही जामा मस्जिद से महज 200 मीटर की दूरी पर है। स्थानीय लोगों का दावा है कि भगवान ब्रह्मा ने 19 कूप बनवाए थे और ये उनमें से ही एक है। लोगों का दावा है कि 20 साल पहले तक इसमें पानी था और मृत्युंजय महादेव मंदिर में जाने से पहले लोग यहां स्नान करते थे। ऐसी मान्यता है कि इस कुएं के पानी से नहाने पर मोक्ष मिलता है।
पिछले हफ्ते डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया था कि ASI की टीम ने 5 तीर्थस्थलों और 19 कूपों का सर्वे किया था। इसके साथ ही 46 साल बाद दोबारा खुले मंदिर का भी सर्वे किया था।
क्या धार्मिक नगरी में बदल जाएगा संभल?
संभल को लेकर मान्यता है कि विष्णु के 10वें अवतार कल्कि यहीं जन्म लेंगे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब बहुत पाप बढ़ जाएगा तब कल्कि का जन्म होगा और वही कलियुग का अंत करेंगे। कलियुग के बाद सत्य युग की शुरुआत होगी। संभल में कल्कि का एक मंदिर भी था, जिसे 15वीं सदी में बाबर ने तुड़वा दिया था।
डीएम राजेंद्र पेंसिया का कहना है कि संभल का एक समृद्ध इतिहास रहा है। पुराणों में इसका जिक्र मिलता है। पृथ्वीराज चव्हाण की ये दूसरी राजधानी था। उन्होंने कहा कि इस इतिहास को हमें संरक्षित और पुनर्स्थापित करना चाहिए।
संभल का एक प्राचीन नक्शा भी सामने आया है। इस नक्शे के आधार पर संभल में 68 तीर्थ और 19 कूप खोजे जा रहे हैं। पेंसिया का कहना है कि संभल में कुल मिलाकर 87 देवतीर्थ माने जाते हैं, जिनमें 19 कूप और 68 तीर्थ शामिल हैं। इनमें से 19 कूप और 3 दर्जन तीर्थ खोजे भी जा चुके हैं।
संभल नगर निगम के अधिकारी डॉ. मणिभूषण तिवारी ने बताया था, 'हम शहर के सभी कुओं को खोद रहे हैं और उनका जीर्णोद्धार कर रहे हैं। तीर्थ स्थलों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। जो भी कुएं अब तक खोजे हैं, उन्हें पुनर्स्थापित करने की योजना भी तैयार की है। जो भी तीर्थ स्थल मिलेंगे, हम उनके पुनरुद्धार पर काम करेंगे।'
कुल मिलाकर, अब तक संभल में बंद पड़े 3 मंदिर मिल चुके हैं। संभल में अभी भी खुदाई जारी है। प्राचीन तीर्थ स्थलों को ढूंढने की कोशिश हो रही है।