सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारत निर्वाचन आयोग को बड़ा निर्देश दिया है। अदालत ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट से छूटे 65 लाख लोगों की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है। आयोग को यह जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट के अलावा टीवी, रेडियो और आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी साझा करना होगा। 22 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई होगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने कहा, 'मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख लोगों के बारे में पारदर्शिता की जरूरत है, ताकि लोग सुधार और स्पष्टीकरण मांग सके।' पीठ ने चुनाव आयोग को पहचान साबित करने के लिए आधार कार्ड और इपिक नंबर को वैध दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने का निर्देश दिया है।
पंचायत भवनों में लगानी होगी सूची
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में बिहार की ड्रॉफ्ट सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख लोगों की सूची और हटाए जाने की वजह को जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने आयोग को समाचार पत्रों, दूरदर्शन, रेडियो और अन्य आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रचार करने का निर्देश भी दिया है। अदालत के निर्देश के मुताबिक सभी पंचायत भवनों, प्रखंड विकास और पंचायत कार्यालयों में बूथवार 65 लाख लोगों की सूची भी लगानी होगी, ताकि लोग मैन्युअल तरीके से अपना नाम देख सके।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सभी बूथ और जिला स्तर के अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट हासिल करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है।