राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में 2018 से 2022 तक हर साल वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न के 400 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी का यह डेटा केवल 2022 तक का है। इस पीरियड के दौरान हर साल दर्ज मामलों की औसत संख्या 445 थी। 2022 में यह 419 मामले थे। यह आंकड़े डरा देने वाले है जिसको देखते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन शोषण को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। 

हर जिले में नियुक्त किया जाए अधिकारी

दरअसल, 10 साल बीत चुके हैं लेकिन अब तक कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध व निवारण) अधिनियम 2013 के प्रावधान सही से लागू ही नहीं हुए है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इसको लेकर हैरानी जताई और कहा कि ऐसे मामले देखने के लिए हर जिले में अधिकारी नियुक्त किया जाए। 

 

पीठ गोवा यूनीवर्सिटी के पूर्व विभागाध्यक्ष ऑरेलियानो फर्नांडीस की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए बने कानून के प्रावधानों के लागू न होने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये बड़े निर्देश

उस दौरान कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस प्रावधानों को पूरी तरह से लागू करने का निर्देश दिया था। हालांकि, एक साल पहले दिए गए निर्देशों के बावजूद प्रावधानों को लागू नहीं किया गया। इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़े निर्देश जारी किए है...

 

  1.  31 दिसंबर तक सभी राज्य सरकारों को हर जिले में अलग से एक अफसर नियुक्त करना होगा।
  2.  31 जनवरी, 2025 तक लोकल कम्पलेंट कमेटी का गठन किया जाए। 
  3. अगर आतंरिक शिकायत कमेटी गठित नहीं की गई है तो जिला अधिकारी एक समिति बनाए, जिसका काम 31 दिंसबर तक पूरा हो जाना चाहिए। 
  4.  आदिवासी क्षेत्रों, तहसील या शहरी क्षेत्रों में नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएं। 7 दिन के भीतर शिकायतें स्थानीय समिति को सौंपी जाए। 
  5.  कार्यस्थल पर यौन शोषण के मामले पीड़िता आसानी से दर्ज करा सकें, इसके लिए स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार शी-बॉक्स पोर्टल बनाए। 
  6.  शी-बॉक्स पोर्टल पर मिली शिकायतों को आंतरिक शिकायत कमेटी और लोकल कम्पलेंट कमेटी को तुरंत सौंपा जाए। 
  7.  देश के हर सरकारी कार्यलय में आतंरिक कमेटी का होना बेहद जरूरी। 
  8. सभी राज्यों के मुख्य सचिव इन निर्देशों का पालन करें और करवाएं।
  9.  सुप्रीम कोर्ट ने इन निर्देशों का पालन करने की समयसीमा 31 मार्च 2025 तक दी है। साथ ही इसकी रिपोर्ट सभी राज्य सु्प्रीम कोर्ट को भेजा जाए। 
  10.  हेल्पलाइन नबंर 15100 पर शिकायत दर्ज करा सकती हैं। महिलाएं पुलिस स्टेशन से भी संपर्क कर सकती है। उन्हें पूरी मदद मिलेगी। 

पोश एक्ट क्या?

कार्यस्थल या वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 को पोश एक्ट कहते हैं। इसके तहत कामकाजी महिलाओं के साथ वर्कप्लेस में किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न की शिकायत को सुना जाता है। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो मामले की जांच करती है और उसके तहत सजा सुनाती हैं। 

पोश एक्ट में कितने मामले हुए दर्ज?

वित्त वर्ष 2022-23 के बीच POSH अधिनियम के तहत भारत में दर्ज मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। POSH अधिनियम के लागू होने से पहले ही वित्त वर्ष 2012-13 में 12 कंपनियों द्वारा 71 मामले दर्ज किए गए थे। वित्त वर्ष 2013-14 में जब POSH अधिनियम लागू हुआ तब फोकस में आने वाली कंपनियों ने मिलकर 161 मामले दर्ज किए।

 

एक साल के भीतर यह संख्या बढ़कर 465 हो गई। कोविड-19 महामारी के पहले साल यानी वित्त वर्ष 2020-21 तक हर साल यह संख्या बढ़ती गई। 300 कंपनियों में कुल 586 मामले दर्ज किए गए, जबकि एक साल पहले यह संख्या 961 थी। वित्त वर्ष 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 767 हो गई और फिर अगले साल 51.2 प्रतिशत बढ़कर 1,160 हो गई।