समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 90 घंटे काम करने की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सलाह इंसानों के लिए है या रोबोट के लिए? उन्होंने यह भी कहा कि 'क्वालिटी' मायने रखती है, न कि 'क्वांटिटी'।
अखिलेश यादव का यह बयान नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत के उस बयान पर आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए भारतीयों को हफ्ते में 80 घंटे या 90 घंटे काम करना चाहिए।
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क्या बोले अखिलेश यादव?
अखिलेश ने कहा, 'लोग अपने परिवार और जज्बातों के साथ जीना चाहते हैं। जब इकोनॉमिक ग्रोथ का फायदा कुछ लोगों को ही मिलना है तो फिर अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन डॉलर की हो या 100 ट्रिलियन डॉलर की, इससे लोगों को क्या ही फर्क पड़ता है।'
उन्होंने कहा, 'एंटरटेनमेंट और फिल्म इंडस्ट्री अर्थव्यवस्था में अरबों रुपये का योगदान देती है। इससे लोग तरोताजा महसूस करते हैं जिससे आखिरकार वर्क क्वालिटी में सुधार होता है।'
अखिलेश ने 90 घंटे काम करने की सलाह देने वालों से पूछा कि क्या वो अपनी युवावस्था में इतना काम करते थे। उन्होंने कहा, 'अगर वे वे वाकई अपनी युवावस्था में 90 घंटे काम करते थे तो हमारी अर्थव्यवस्था अब तक यहीं तक क्यों पहुंची?'
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'स्वस्थ वातावरण ज्यादा जरूरी'
अखिलेश यादव ने जोर देकर कहा कि मानसिक रूप से स्वस्था वातावरण ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यह युवाओं में रचनात्मकता और उत्पादकता को बढ़ावा देता है, जिससे एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।
अमिताभ कांत ने क्या कहा था?
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने सलाह देते हुए कहा था कि 2047 तक भारत को 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने कहा था, 'मैं कड़ी मेहनत पर विश्वास करता हूं। भारतीयों को हफ्ते में 80 घंटे या 90 घंटे काम करना चाहिए। अगर आपकी महत्वाकांक्षा 4 ट्रिलियन डॉलर से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है तो आप किसी फिल्म स्टार के विचारों को फॉलो करके ऐसा नहीं कर सकते।'