एक दशक तक लगातार कांग्रेस के शासन काल के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में देश की सत्ता में प्रचंड बहुमत से आए तो उन्होंने कई जन कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने घर की रसोई से लेकर राशन और उद्योग-धंधों तक कई योजनाओं की पहल की। उन्होंने उज्ज्वला, पीएम आवास योजना और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसे महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लगातार तीसरी बार सत्ता में हैं। कई योजनाएं, केंद्र की सफल योजनाओं में गिनी जा रही हैं। कुछ योजनाएं, अपेक्षाकृत सफलता नहीं पा सकीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को विपक्ष के एक धड़े ने जुमला तक कह दिया। केंद्र सरकार ने हर बार लोकसभा चुनावों के बाद कुछ नई योजनाओं की आधारशिला रखी। हर घर जल, मुफ्त राशन जैसी योजनाएं अब आकार ले रही हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं का हुआ क्या, किस हाल में हैं, आइए जानते हैं-
- नमामि गंगे योजना: गंगा नदी को साफ करने के लिए 2014 में इस योजना की शुरुआत हुई। सरकार ने 2019-20 तक सफाई के लिए 20000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा। सरकार का कहना है कि उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में 48 सीवेज मेनेजमेंट प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। नदियों की सफाई अभी जारी है।
योजना का हाल: उत्तराखंड के बाद से गंगा धीरे-धीरे प्रदूषित होना शुरू होती है। कानपुर और वाराणसी तक, प्रदूषण इस हद तक है कि एक बार NGT ने कह दिया था कि बोर्ड लगा दीजिए कि गंगा का पानी नहाने-पीने लायक नहीं है। - प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: 1 मई 2016 को यह योजना शुरू हुई। मकसद था था कि गरीब परिवालों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जाएंगे। 2021 में उज्ज्वला 2.0 शुरू हुई। यह योजना जारी है।
योजना का हाल: देश में अब तक 10.33 करोड़ कनेक्शन दिए जा चुके है। उज्ज्वला 2.0 के तहत पही रिफिल और स्टोव मुफ्त में दी जाती है। उसके बाद सब्सिडी पर गैस दी जाती है। इस योजना के लिए सरकार ने 12,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। उज्जवला सिलेंडर पर 300 रुपये की सब्सिडी मिलती रहेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में कम रिफिल रेट है। सिलेंडर की कीमतें बढ़ी हैं। लोग अब भी लकड़ी और पुआल से खाना बना रहे हैं। - प्रधानमंत्री जन धन योजना: 28 अगस्त 2014 को इस योजना की शुरुआत हुई थी। इस योजना का मकसद आर्थिक तौर पर वंचित लोगों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ना है। उन्हें बचत, बीमा और लोन खाते का लाभ देना है। जीरो बैलेंस पर इस योजना से खाते खुलते हैं।
योजना का हाल: 56.03 करोड़ खाते खोले गए हैं लेकिन 23 फीसदी खाते निष्क्रिय हैं। 13.04 करोड़ खाते निष्क्रिय पड़े हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में यह जवाब दिया है। - प्रधानमंत्री आवास योजना: 25 जून 2015 को इस योजना की शुरुआत हुई थी। लोगों को किफायती आवास देने का वादा किया गया था। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लोगों को लाभ मिलता है।
योजना का हाल: 4.2 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई है। लाखों परिवारों को पक्का घर मिला है। ग्रामीण क्षेत्रों में PMAY-G और शहरी क्षेत्रों में PMAY-U के तहत लाभ दिया जा रहा है। तीसरे कार्यकाल में 3 करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकारों के ढुलमुल रवैये की वजह से बजट होने के बाद भी कई बार लोगों को लाभ नहीं मिल पाता है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में संसद में कहा कि तमिलनाडु सरकार ने 2 लाख 15 हजार घरों को मंजूरी ही नहीं दी है, जबकि राज्य के खाते में 608 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं।
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- जल जीवन मिशन: साल 2014 में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को आधार बनाकर यह मिशन 2019 में शुरू हुआ। हर घर तक जल पहुंचाने वादा किया गया।
योजना का हाल: 2024 तक सरकार ने वादा किया कि 14 करोड़ परिवारों को नल से जल कनेक्शन दिया गया है। सरकार भी मानती है कि 25 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण परिवार इससे दूर हैं। कई गांवों में पाइप पहुंचा दिया गया है लेकिन टंकी ही नहीं बनी है। - आत्मनिर्भर योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली है, आत्मनिर्भर भारत की बात बार-बार दोहरा रहे हैं। आत्मनिर्भर होने के लिए उन्होंने कई योजनाओं की शुरुआत की। इन्हीं में कुछ योजनाएं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से जुड़ी हैं। सरकार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुद्रा योजना, क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज, रेजिंग एंड एक्सीलरेटिंग MSME परफॉर्मेंस, उद्यम पंजीकरण पोर्टल, MSME पैकेज, मार्केट डेवलपमेंट असिस्टेंस, एक जनपद एक उत्पाद जैसी कई योजनाएं लेकर आई।
योजना का हाल: देश में 6.69 करोड़ से ज्यादा लोगों ने MSME के तहत रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे उद्योग बंद हुए हैं। सरकार ने संसद में कहा है कि 2024 से 2025 के बीच बंद होने वाले MSME की संख्या 39,446 थी। इन्हें चलाने में कई स्तर की चुनौतियां सामने आ रही हैं।