हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दिख रहा है कि एक भालू को गांव वालों ने इतनी क्रूरता से पीटा की वह तड़प-तड़प कर मर गया। वायरल वीडियो सुकमा जिले के केरलापाल क्षेत्र का बताया जा रहा है। भालू को लहूलुहान हालत तक प्रताड़ित किया गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। वायरल वीडियो पर वन विभाग ने संज्ञान लेकर वीडियो में दिख रहे ग्रामीणों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। वन अफसर कर्मियों को वीडियो की जानकारी दो दिनों के भीतर जुटाने के निर्देश दिए गए है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक ग्रामीण भालू के दोनों कान दबोच रहा है और भालू दर्द से कराह रहा है। दूसरा युवक भालू के सिर पर जोर-जोर से हाथ से चोट पहुंचा रहा है। भालू का नाक पूरी तरह से लहुलूहान हो गए हैं।

 

भारत में जानवरों को मारना या टॉर्चर करना एक गंभीर अपराध है और इसके लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है। भालू, हाथी, बंदर, हिरण, तेंदुआ जैसे वन्य जीव को छूना, पकड़ना या खाना खिलाना तक अपराध है, क्योंकि ये वन्य जीव (Schedule I या II) के अंतर्गत आते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति जानवर को खाने में जहर मिला कर देता है या पकड़ने के लिए लालच देता है तो भी यह अपराध माना जाएगा। अगर कोई व्यक्ति आवारा जानवरों को ऐसे जगह खाना खिलाता है जहां पब्लिक को खतरा हो जैसे स्कूल, अस्पताल या सड़क के पास तो स्थानीय नगर निगम नियमों के अनुसार कार्रवाई हो सकती है। 

 

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क्या है भारत में जानवरों को लेकर कानून?

भारत में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए जो मुख्य कानून है, वह है- वन्य जीव अधिनियम, 1972। इस कानून के अंतगर्त भालू प्रताड़ना भी एक गंभीर अपराध माना जाता है। इस कानून का उद्देश्य वन्य जीवों की सुरक्षा और संरक्षण, आवास की रक्षा, अवैध शिकार, व्यापार, प्रताड़ना पर रोक है।  ऐसे में सुकमा जिले में भालू के साथ हुई प्रताड़ना भी गंभीर अपराध है। दरअसल, भालू अनुसूची I (Schedule I) में शामिल है जिसे सबसे अधिक कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है। इसका मतलब है कि भालू को मारना, घायल करना, पकड़ना, प्रताड़ित करना, पालना या बेचने की कोशिश करना गैरकानूनी है। ऐसे में अब मदारी वाले भालू भी देश में अब पूरी तक प्रतिबंधित है। 

 

वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 – Wildlife Protection Act

वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम में Schedule I से IV तक जानवरों को सूचीबद्ध किया गया है। Schedule I में आने वाले जानवरों को सबसे अधिक सुरक्षा मिलती है (जैसे बाघ, शेर, हाथी, भालू आदि)। इन्हें मारना, पकड़ना, घायल करना, या प्रताड़ित करना प्रतिबंधित है। इसका उल्लंघन करने पर 3 साल से 7 साल तक की कैद और 10 हजार या उससे अधिक का जुर्माना लगता है। पहली गलती पर भी सजा होती है और दोबारा गलती पर सजा और कड़ी हो जाती है।

 

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पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 – Prevention of Cruelty to Animals Act

यह अधिनियम पालतू और घरेलू जानवरों पर लागू होता है- जैसे गाय, कुत्ता, बिल्ली, घोड़ा आदि। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी जानवर को मारता है, पीटता है, भूखा रखता है, या घायल करता है, तो सजा दिया जा सकता है। पहली बार अपराध करने पर 10 से 50 रुपये तक जुर्माना लगता है, जो की काफी कम है। वहीं, बार-बार अपराध करने पर 100 से 500 रुपये का जुर्माना लगता है और 3 महीने तक की जेल या दोनों हो सकता है।