फ्लाइट में नशे में धुत सहयात्रियों के शिकार आम लोग ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के जज भी हो जाते हैं। खुद जजों ने अपनी यह आपबीती बताई है। 15 सितंबर की रात में कोयंबटूर से आने वाली फ्लाइट में दो जज सवार हुए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन, एक जज के बेटे की शादी से लौट रहे थे। दोनों जजों के पास अगले दिन की सुनवाई के लिए लंबी केस लिस्ट थी, जिसकी वे स्टडी कर रहे थे।
उस दिन रविवार की रात थी और अगले दिन, सोमवार को ही अदालत खुल रही थी। दोनों ने तय किया कि बैठकर आइपैड पर केस पढ़ लेंगे। जैसे ही बोर्डिंग का समय हुआ, उन्हें लगा कि सब सामान्य होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कोर्ट में ऐसे की एक केस की सुनवाई चल रही थी, तभी जस्टिस विश्वनाथन ने ये बात कही।
जजों के साथ हुआ क्या था?
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक जज, आगे की सीट पर बैठे हुए थे. उनकी सीट, टॉयलेट के पास थी। करीब 30 मिनट फ्लाइट जैसे बीती, कुच लोग शिकायत करने के लगे कि एक सहयात्री आधे घंटे से टॉयलेट में बैठा हुआ है। लोगों ने दरवाजा थपथपाया फिर भी उसने नहीं खोला। इतने में ही एक और यात्री टॉयलेट की ओर गया और उलटी करने वाली बैग में उलटी करने लगा। यात्री भी हैरान रह गए। इसी दौरान दो जज भी बैठे थे।
फ्लाइट क्रू बार-बार दरवाजा खटखटाते रहे। यात्री ने दरवाजा ही नहीं खोला। वह टॉयलेट में बेहोश पड़ा था और सो रहा था। उसने शराब पी थी। जजों को पता चला कि दूसरा शख्स भी जो थैलियों में उल्टी कर रहा था, वह भी नशे में धुत था। उनके लिए यह अनुभव बेहद नया था।
क्यों चर्चा में आया किस्सा?
एयर इंडिया में एक बुजुर्ग महिला पर पेशाब करने की एक खबर सामने आई थी। एयर इंडिया की फ्लाइट में महिला के साथ बदसलूकी हुई थी। फ्लाइट के स्टैंटडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका पहुंची थी, जिस पर सुनवाई के दौरान जज ने ही कहानी बता दी।
सुनवाई के दौरान जज ने क्या कहा?
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि ऐसे मामलों को रोकने की जरूरत है, जिससे दूसरे यात्रियों को असुविधा हो जाए। इसे रचनात्मक ढंग से निपटाने की जरूरत है। सिटिंग अरेंजमेंट ठीक किया जाए, जिससे लोगों को असुविधा न होने पाए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन ने इस केस को 8 हफ्तों के लिए टाल दिया है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी पेश हुए थे। उन्होंने इस मामले में गाइडलाइन तय करने की बात कही है।